मोदी सरनेम को लेकर मानहानि केस में हुई सजा के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया है राहुल गांधी ने कोर्ट से इस मामले पर जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया. जल्द सुनवाई के अनुरोध को गुजरात हाईकोर्ट की जस्टिस गीता गोपी ने स्वीकार कर लिया. लेकिन, उन्होंने कह दिया कि वो इस मामले की सुनवाई खुद नहीं करेंगी. कोई और जज इस मामले को देखेगा.
जस्टिस गीता गोपी कौन हैं? जिन्होंने राहुल गांधी केस की सुनवाई से मना कर दिया
राहुल गांधी 2 साल की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे थे

जस्टिस गीता गोपी ने सुनवाई से खुद को अलग करने की कोई वजह नहीं बताई. लेकिन, कानून के कई जानकारों का कहना है कि अक्सर जज हाईप्रोफाइल मामलों में पड़ना नहीं चाहते, या फिर कई बार विचारधारा के चलते भी सुनवाई से अपने पैर पीछे खींच लेते हैं. कई मामलों में ऐसा तब होता है जब जज जिस के खिलाफ मामला है, उस के वकील रह चुके होते हैं.
कौन हैं गीता गोपी?24 मार्च 1966 को गुजरात के नवसारी में जन्मी जस्टिस गीता गोपी ने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया. सूरत के सर केपी कॉमर्स कॉलेज से पढ़ाई की. इसके बाद नवसारी के दिनशॉ डब्बू लॉ कॉलेज से क़ानून की डिग्री हासिल की. गीता गोपी को पढ़ने के साथ-साथ पढ़ाने में भी रूचि है. उन्होंने जिस दिनशॉ डब्बू लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी, वहीं पर 13 साल तक वो पार्ट टाईम पढ़ाने के लिए भी जाती थीं.
गुजरात हाईकोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक जस्टिस गीता गोपी ने 1993 में नवसारी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की थी. जस्टिस गोपी 24 नवंबर 2008 को डिस्ट्रिक्ट जज कैडर से जुडिशरी में आईं और तमाम क्रिमिनल और सिविल मैटर को हैंडल कर चुकी है. वो सीबीआई से लेकर पोटा कोर्ट में स्पेशल जज रही हैं. गोपी साल 2014 में गुजरात हाईकोर्ट की रजिस्ट्रार भी रह चुकी हैं. जस्टिस गीता गोपी पिछले 3 साल से गुजरात हाईकोर्ट में जज के तौर पर कार्यरत हैं. जस्टिस गीता गोपी को प्रोन्नत करके 04 मार्च, 2020 को गुजरात हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया था.
राहुल गांधी मामले में अबतक क्या हुआ?बीते 20 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात के सूरत के सेशन कोर्ट से बड़ा झटका लगा. कोर्ट ने राहुल की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 'मोदी सरनेम' को लेकर मानहानि के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा पर रोक लगाने की मांग की थी.
राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान 'मोदी सरनेम' को लेकर बयान दिया था. इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. चार साल बाद 23 मार्च, 2023 को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई. इसके बाद जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे.
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