इसकी नौबत क्यों आई?
इस रेड के बाद भारत के अलग-अलग गांवों-शहरों से आईं महिलाओं को एड्स के लिए काम करने वाली संस्थाओं की मदद से उनके शहर वापस भेज दिया गया. नेपाली महिलाओं को कुछ दिन प्रोटेक्टिव कस्टडी में रखकर उनकी एड्स की जांच वगैरह की गई. इंटर प्रेस सर्विस न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक
इनमें से दो सेक्स वर्कर्स की एड्स संबंधी दिक्कतों की वजह से मौत हो गई. हालांकि ये पता नहीं चल सका कि उनमें से कितनी महिलाएं एआईवी पॉज़िटिव थीं. खैर, इन सेक्स वर्कर्स को नेपाल सरकार वापस लेना नहीं चाहती थी और भारत सरकार इन्हें वेश्यावृत्ति के दलदल में जाने से रोकना चाहती थी. नेपाल सरकार उन्हें कथित तौर पर इसलिए नहीं लेना चाहती थी क्योंकि इन महिलाओं के पास बर्थ सर्टिफिकेट या नेपाली सिटिज़नशिप नहीं थी. लेकिन नेपाली सोशल एक्टिविस्ट अनुराधा कोईराला की मानें, तो भारत सरकार इन एड्स पीड़ित महिलाओं से छुटकारा पाने के लिए इन्हें नेपाल भेजना चाहती थी. मतलब दोनों ओर दिक्कत एड्स को लेकर ही थी. इसी सरकारी दांव-पेच में वो मामला अटका हुआ था.

1996 कमाठीपुरा रेड की तस्वीरें. यहां जितनी महिलाएं पाई गईं उनमें से अधिकतर बड़े शहर में नौकरी का झांसा देकर या जोर-जबरदस्ती से उठाकर वहां ले जाई गई थीं. इनकी उम्र 14 से 30 से साल तक की थी. (फोटो- एपी)
सुनील शेट्टी ने कैसे मदद की?
इन दिनों सोशल मीडिया पर पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें डिजिटल मीडिया वाइस से जुड़ीं एक करेसपॉन्डेंट 1996 में कमाठीपुरा से रेस्क्यू की गईं एक नेपाली महिला से बात कर रही हैं. इस बातचीत में वो महिला बताती है कि जब नेपाली सरकार ने उन लोगों को वापस बुलाने से इन्कार कर दिया, तब सुनील शेट्टी ने इन महिलाओं को नेपाल पहुंचाया. उन्होंने उनमें से 128 महिलाओं को फ्लाइट से नेपाल पहुंचवाया. और इसका पूरा खर्च भी उन्होंने खुद वहन किया.
इन दिनों में ऐसा ही कुछ एक्टर सोनू सूद कर रहे हैं. कोरानावायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों का जीवन काफी मुश्किल हो गया है. उनकी रोज़ी-रोटी हर दिन काम करने से आने वाली कमाई से चलती थी. लेकिन लॉकडाउन के दौरान पूरा देश बंद है. उनके पास कोई काम नहीं है. कमाई का कोई जरिया नहीं है. ऐसे में वो लोग अपने-अपने घर वापस जाना चाहते हैं. लेकिन सरकार ने उनके लिए शुरुआत में कोई इंतज़ाम नहीं किया. कई मज़दूर परिवार समेत पैदल ही घर जाने के लिए निकल पड़े. कुछ गिने-चुने लोग पहुंच पाए. कई मजदूरों की रास्ते में मौत हो गई. ऐसे में सोनू ने मुंबई से 10 बसों में 350 प्रवासी मजदूरों को उनके घर कर्नाटक भिजवाया. और आने वाले दिनों में वो बिहार, झारखंड, यूपी और ओड़िशा के प्रवासी मजदूरों के लिए भी ऐसा करने वाले हैं.
वीडियो देखें: सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों के लिए वह काम किया, जो सरकार को करना चाहिए था