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ज्ञानवापी परिसर के ‘व्यास जी का तहखाना’ की असली कहानी, जहां कल कोर्ट के आदेश के बाद पूजा-पाठ हुआ

सोमनाथ व्यास साल 1993 तक तहखाने में पूजा-अर्चना करते थे. इसके बाद तहखाने को बंद कर दिया गया. क्या है Vyasji Ka Tehkhana की पूरी कहानी, पढ़िए....

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अदालत ने दक्षिणी तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार दिया था. (फोटो- ट्विटर)

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi). परिसर के व्यास तहखाने (Vyas Ji Ka Tehkhana) में बीती रात पूजा-अर्चना की गई. ये सब कुछ जिला अदालत के आदेश के बाद हुआ. अदालत ने दक्षिणी तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार दिया था. तहखाने में पूजा-पाठ पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुआ. सोशल मीडिया पर व्यास तहखाने में पूजा के दौरान की फोटोज़ भी सामने आईं. लेकिन ये ‘व्यास जी का तहखाना’ असल में है क्या?

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मस्जिद के बेसमेंट में चार तहखाने हैं

ज्ञानवापी मस्जिद के बेसमेंट में कुल चार तहखाने हैं. इनमें से एक तहखाने पर व्यास परिवार का कब्जा है. ये परिवार यहां रहा करता था. व्यास परिवार के शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. मुकदमे में कोर्ट से आग्रह किया गया था कि जिला मजिस्ट्रेट को व्यास तहखाने का रिसीवर नियुक्त किया जाए.

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याचिका के मुताबिक पुजारी सोमनाथ व्यास साल 1993 तक वहां पूजा-अर्चना करते थे. इसके बाद तहखाने को बंद कर दिया गया. शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने याचिका दायर कर बताया था कि सोमनाथ व्यास उनके नाना हैं. इसलिए तहखाने में उन्हें प्रवेश दिया जाए और फिर से पूजा शुरू करने की अनुमति दी जाए. शैलेंद्र व्यास ने ये भी आरोप लगाया कि मस्जिद कमेटी के लोग तहखाने में आते रहते हैं, वो इसपर कब्जा कर सकते हैं.

नंदी भगवान के ठीक सामने है तहखाना

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक नंदी भगवान के ठीक सामने व्यास परिवार का तहखाना है. मस्जिद के ग्राउंड फ्लोर में 1993 तक इस जगह पर पूजा होती थी. लेकिन नवंबर 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार द्वारा यहां पूजा रोक दी गई. वहां से पुजारियों को भी हटा दिया गया. वकील ने बताया कि उन्होंने ये मांग की थी कि कभी भी अंजुमन इंतजामिया इस तहखाने पर कब्जा कर सकती है, जिसके बाद कोर्ट ने डीएम को रिसीवर के रूप में नियुक्त किया था.

विष्णु जैन ने आगे बताया कि ASI रिपोर्ट बहुत मजबूत साक्ष्य साबित होगी. अकबर द्वारा बनाने वाली दलीलें फेल हो चुकी हैं. ये मंदिर 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है. अंजुमन इंतजामिया को खुद से ही इस केस को छोड़ देना चाहिए और ट्रस्ट के हवाले कर देना चाहिए.

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वीडियो: Gyanvapi Masjid Case में कोर्ट ने क्या कहा है? ASI Survey से अबतक की कहानी

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