सुपर फ्लावर मून या फ्लावर सुपरमून. एक ही बात है. इसे देखने के लिए लोग बेहद एक्साइटेड हैं. क्योंकि 7 मई को साल 2020 का चौथा और आखिरी सुपरमून दिखने वाला है. पिछले महीने लोगों ने पिंक सुपरमून देखा था, अब फ्लावर सुपरमून की बारी है.
क्या होता है फ्लावर सुपरमून? भारत में इसे कब देखा जा सकता है
क्या इसमें चांद फूल जैसा दिखेगा?

ये सुपरमून क्या होता है? क्या ये फूल जैसा दिखेगा? कब और कहां-कहां दिखेगा? कई सवाल हैं. इनके जवाब एक-एक करके जानते हैं.
सुपरमून क्या होता है?
चांद धरती के चक्कर लगाता है. एक चक्कर 27 से 29 दिन में पूरा होता है. अब ये जो चक्कर है, वो गोल आकार का नहीं होता. अंडाकार में होता है. तो एक चक्कर में एक वक्त ऐसा होता है जिसमें चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है, और एक वक्त में ऐसा होता जब वो पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है.
सुपरमून वाले केस में करीब होने का फंडा काम करता है. जब चांद और पृथ्वी की दूरी सबसे कम हो, और धरती से पूरा चांद (फुल मून/पूर्णिमा) दिखे, तो वो होता है सुपरमून. यानी चांद, पृथ्वी और सूरज तीनों सीधी लाइन में इसी क्रम के मुताबिक मौजूद रहे. क्योंकि फुल मून तभी दिखता है, जब चांद और सूरज के बीच पृथ्वी आती है. सुपरमून की कंडिशन में चांद आम फुल मून के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखता है.

इस तस्वीर में जैसी कंडिशन दिख रही है, बिल्कुल ऐसी ही कंडिशन में फुल मून बनता है. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट Lowell Observatory)
फिल ये फ्लावर कैसे आ गया?
दरअसल, मई के महीने के आस-पास दुनिया के कई हिस्सों में अच्छे खासे फूल खिलते हैं. इसलिए मई के फुल मून को फ्लावर मून कहा जाता है. अब इस बार मई में जो फुल मून पड़ा है, वो सुपरमून भी है. इसलिए इसे फ्लावर सुपरमून कहा जा रहा है. यानी सिर्फ नाम फूल वाला है, चांद फूल जैसा नहीं दिखेगा.
भारत में कब दिखेगा?
शाम 4 बजकर 15 मिनट पर. लेकिन तब तो दिन होता है यहां पर. इसलिए भारत के लोग इसे नहीं देख सकेंगे. लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में लोग इसका नज़ारा एन्जॉय ज़रूर करेंगे. नासा की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, फुल मून तो 5 मई की शाम से ही दिखना शुरू हो गया था, लेकिन वो सुपरमून 32 घंटे बाद यानी 7 मई की शाम 4.15 बजे बनेगा. अगली सुबह तक दुनिया के कुछ हिस्सों में लोग इसे देख पाएंगे.
चलते चलते सुपरमून का टेक्निकल नाम भी जान लीजिए
बोलने में बहुत लंबा और जटिल है- perigee syzygy of of the Earth–Moon–Sun system. यानी पृथ्वी-चांद और सूरज के सिस्टम की पैरेजी-सिजेजी.
जब पृथ्वी, चांद और सूरज एक लाइन में होते हैं, तो उसे सिजेजी कहते हैं. पैरेजी- जब चांद और पृथ्वी एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं, उस वक्त उनके बीच की जो दूरी होती है, वो पैरेजी कहलाती है.
वीडियो देखें: मून पर 12 लोग पहुंचाने वाले नासा के अपोलो मिशन 1972 में क्यों बंद हो गए?