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Adani की मुश्किलें बढ़ाने वाली संस्था OCCRP क्या है? बड़े-बड़ों से लोहा ले चुकी है

OCCRP की रिपोर्ट ने Adani Group पर हिंडनबर्ग जैसा बम फोड़ा है, लेकिन ये इस संस्था का पहला कारनामा नहीं है.

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OCCRP की रिपोर्ट ने अडानी समूह की मुश्किलें फिर एक बार बढ़ा दी हैं. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

अडानी समूह की मुश्किलें फिर एक बार बढ़ती दिख रही हैं. इस बार भी मुसीबत की वजह एक रिपोर्ट है. रिपोर्ट आयी है 'आर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' (OCCRP) की तरफ से. OCCRP की ये रिपोर्ट 23 अगस्त को आई है. रिपोर्ट में अडानी समूह पर कंपनियों के शेयरों को मैनुपलेट करने का आरोप है. OCCRP ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि अडानी फैमिली से जुड़े लोगों ने मॉरीशस के किसी 'आपारदर्शी' फंड के जरिए समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग नाम के दो लोगों ने अडानी समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का ट्रेड किया है. रिपोर्ट के मुताबिक ये दोनों अडानी परिवार के पुराने बिजनेस पार्टनर हैं. रिपोर्ट में किए दावे के समर्थन में OCCRP ने कई टैक्स हैवेन देशों की फाइलों की समीक्षा और अडानी समूह के आंतरिक ईमेल्स का हवाला दिया है. OCCRP की इस रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिर रहे हैं.

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क्या है OCCRP?

OCCRP एक खोजी पत्रकारिता संगठन है. इस संगठन के पास स्वतंत्र पत्रकारों और स्वतंत्र मीडिया संस्थानों का एक विश्वव्यापी समूह है. OCCRP से जुड़े 24 गैर-लाभकारी खोजी पत्रकारिता संस्थान (non-profit investigative centers) यूरोप, एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में फैले हुए हैं. इसकी स्थापना साल 2007 में ड्रिव सुलिवन (Drew Sullivan) और पॉल राडू (Paul Radu) द्वारा की गई थी.

ड्रिव सुलिवन अमेरिका के वाशिंगटन में रहते हैं. इन्हें पूर्वी यूरोप और यूरेशिया में पत्रकारिता का 15 वर्षों का अनुभव है. उन्होंने रिपोर्टर्स शील्ड ( Reporters Shield) नाम की संस्था की स्थापना भी की है. जो दुनिया भर में स्वतंत्र मीडिया समूहों और स्वतंत्र पत्रकारों को कानूनी सहायता देने के साथ मुकदमा लड़ने के लिए भी आर्थिक सहायता मुहैया कराता है. इससे पहले ड्रिव 'द टेनेसीयन' अखबार और एसोसिएटेड प्रेस की विशेष असाइनमेंट टीम के लिए एक खोजी रिपोर्टर थे.

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पत्रकार बनने से पहले ड्रिव रॉकवेल स्पेस सिस्टम में अंतरिक्ष परियोजना पर काम करते थे. उन्होंने Texas A&M University से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री ली है. वो एक पेशेवर स्टैंडअप कॉमेडियन भी रह चुके हैं. ड्रिव सुलिवन ने चार फिल्मों में अभिनय भी किया है.

OCCRP के दूसरे सह-संस्थापक पॉल राडू OCCRP में इनोवेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख हैं. उन्हें डेटा जर्नलिज्म में महारत हासिल है. उन्हें उनकी खोजी पत्रकारिता के लिए डैनियल पर्ल पुरस्कार, ग्लोबल शाइनिंग लाइट अवार्ड, यूरोपीय प्रेस पुरस्कार समेत कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. 

OCCRP की फंडिग कौन करता है?

OCCRP की बेबसाइट पर दिए गए विवरण के अनुसार संगठन की फंडिग जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड द्वारा की जाती है. जॉर्ज सोरोस हंगरी मूल के अमेरिकी इन्वेस्टर हैं. सोरोस ओपन सोसाइटी यूनिवर्सिटी नेटवर्क के प्रमुख हैं. ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक जॉर्ज सोरोस के पास 7.16 बिलियन डॉलर की दौलत है. वहीं रॉकफेलर ब्रदर्स फंड (RBF), रॉकफेलर परिवार के द्वारा चलाई जाने वाली एक परोपकारी संस्था (Philanthropic Foundation) है.  रॉकफेलर फैमिली अमेरिका की एक बिजनेस फैमिली है. इस औद्योगिक घराने ने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में पेट्रोल के बिजनेस से पैसे बनाए, फिर बैंकिग और इंवेस्टमेंट के बिजनेस में भी आ गए. इस औद्योगिक घराने की नींव जॉन डी. रॉकफेलर और विलियम ए. रॉकफेलर जूनियर नाम के दो भाइयों ने रखी थी.

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मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक OCCRP को दी बे एंड पॉल फाउंडेशन, डच पोस्टकोड लॉटरी, यूरोपियन इंस्ट्रूमेंट फॉर डेमोक्रेसी एंड ह्यूमन राइट्स, फोर्ड फाउंडेशन, फ्रिट ऑर्ड फाउंडेशन समेत यूरोप और फ्रांस के विदेश मंत्रालयों से वित्तीय सहायता मिलती रही है. इसके अलावा डेनमार्क के नेशनल एंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी, ओक फाउंडेशन और अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट की तरफ से नेटवर्क को आर्थिक सहायता दी जाती रही है.

क्यों बनाया OCCRP?

OCCRP की वेबसाइट में दावा किया गया है,

पिछले पांच दशकों में संगठित अपराध और भ्रष्ट्राचार ने नाटकीय वैश्वीकरण के साथ मिलकर एक नेटवर्क बना लिया है. ये नेटवर्क अब हर साल खरबों डॉलर का मुनाफा कमा रहा है. इस गठजोड़ ने अपराधिक सेवाओं का एक उद्योग स्थापित कर लिया है. ये उद्योग भ्रष्ट बैंकों, लीगल फर्मों, रजिस्ट्रेशन एजेंटों और लॉबिस्टों के आपराधिक नेटवर्क से लगातार पनप रहा है. इस नेटवर्क के सहारे लूट की जा रही है. पूरी दुनिया में संगठित वित्तीय अपराध का एक वैश्विक जाल फैल चुका है.

OCCRP का मानना है कि अपराधिक नेटवर्क के जरिए वैश्विक असमानता और चरमपंथी समूहों को बढ़ावा मिला है, वहीं लोकतांत्रिक संस्थानों का पतन हुआ है. OCCRP की तरफ से दावा किया गया है कि किसी नेटवर्क से लड़ने के लिए एक नेटवर्क की आवश्यकता होती है. इसीलिए OCCRP के जरिए स्वतंत्र पत्रकारों और मीडिया समूहों का एक नेटवर्क बनाकर खोजी पत्रकारिता की जा रही है. नेटवर्क की तरफ से कहा जा रहा है कि OCCRP की खोजी पत्रकारिता जनता के हित को फिर से स्थापित करने का प्रयास है.

OCCRP विश्वव्यापी स्वतंत्र पत्रकारों और मीडिया समूहों के नेटवर्क होने के साथ-साथ, एडवोकेसी समूहों का भी साझेदार है. इसका दावा है कि नेटवर्क समाजिक न्याय और सकारात्मक परिवर्तन के लिए नागरिक समाज संगठनों (Civil Society Organizatios) को भी खोजी रपटें और जानकारियां उपलब्ध कराता है.

OCCRP में भारत से कौन?

भारत से आनंद मंगनाले और रवि नायर OCCRP नेटवर्क का हिस्सा हैं. आनंद  रीजनल एडिटर, साउथ एशिया के पद पर हैं, वहीं रवि नायर स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर OCCRP के साथ जुड़े हैं. आनंद मंगनाले ने 2021 में OCCRP में दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय संपादक का पद ज्वॉइन किया था. वो कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और सरकारी भ्रष्टाचार के साथ-साथ मावाधिकार उल्लंघन के मामलों पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं. OCCRP में जुड़ने से पहले आनंद 'Our Democracy' नाम की एक संस्था चलाते थे. ये एक ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म है, जो पोलिटिकल फंडिंग की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की वकालत करता है. आनंद 'Our Democracy' के सह-संस्थापक और निदेशक थे. वो “The Drugged State of Punjab” के सह-लेखक (Co-author) रहे हैं. आनंद मंगनाले ने लंदन के वेस्टमिन्सटर विश्वविद्यालय से मीडिया, प्रचार और समाजिक परिवर्तन में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है.

OCCRP क्या-क्या खुलासे किए?

OCCRP के सह-संस्थापक ड्रिव सुलिवन ने साल 2004 में सेंटर ‘फॉर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग’ की स्थापना की थी. ये खोजी पत्रकारों का एक नेटवर्क था, जो बोस्निया, हर्जेगोविना, रोमानिया, अल्बानिया और बुल्गारिया में काम करता था. उस समय बोस्निया, रोमानिया, अल्बानिया और बुल्गारिया में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हो रही थी. समूह ने इस बिजली कटौती की जांच की. जांच में बाल्कन में कुछ संदिग्ध व्यवसायियों और वित्तीय लेनदेन का पता चला. इन संदिग्ध सौदों और लेन-देन की वजह से एक तरफ व्यापारियों को भारी मुनाफा हुआ और दूसरी तरफ बिजली की कीमतों में भारी उछाल आया था. नतीजतन बिजली कटौती की जाने लगी और नागरिकों को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ा. समूह ने जब इन संदिग्ध सौदों और वित्तीय अनियामित्ता की रिपोर्ट सार्वजनिक की तो मामले की जांच हुई थी. 

OCCRP ने पनामा पेपर लीक मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. खोजी पत्रकारों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Consortium of Investigative Journalists) ICIJ ने पनामा पेपर OCCRP को सौंपे थे. 3 अप्रैल 2016 को OCCRP ने दस्तावेज़ों के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी. रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद पूरी दुनिया में तहलका मच गया था. पनामा पेपर्स में दुनिया भर के 140 ताकातवर नेताओं के नाम थे.  

साल 2013 में सेंट्रल अमेरिकी देश पनामा की लॉ फर्म मोसैक फोंसेका (Mossack Fonseca) का सर्वर हैक कर लिया गया था. मोसैक फोंसेका के सर्वर से 11.5 मिलियन दस्तावेज लीक हुए थे. इन्हें ही पनामा पेपर कहा गया था. इन दस्तावेज़ों में धनी व्यक्तियों, नेताओं और अधिकारियों की टैक्स फ्री देशों में मौजूद संपत्तियों की जानकारी थी. इन दस्तावेज़ों में 214,488 ऑफशोर इंटिटी का जिक्र था. ऑफशोर इंटिटी यानी विदेशी धरती पर खोली गई कंपनी या वित्तीय संस्था.  

पनामा पेपर में गौतम आडानी के भाई विनोद अडानी, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, अजय देवगन समेत करीब 500 भारतियों के नाम थे. इस मामले में भारत में प्रवर्तन निदेशालय (ED) जांच कर रही है.

पनामा के अलावा OCCRP ने और भी कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं. इसकी खोजी रपटों की पूरी दुनिया में चर्चा होती रही है.
-Russian Asset Tracker
-Suisse Secret
-The Pandora Papers
-The Pegasus Project
-China Tobacco Goes Global

ये कुछ खुलासे थे जिनकी वजह से OCCRP सुर्खियां में बना रहा. साल 2007 में स्थापना के बाद से ही OCCRP ने दुनिया भर में वित्तीय अनियमित्ताओं, संदिग्ध लेनदेन और कर चोरी के मामलों में कई खोजी रपट प्रकाशित की हैं. संगठन का दावा है कि उनकी रिपोर्ट्स के जरिए दुनिया भर में 398 से अधिक जांचें हुई हैं, 10 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया है और 702 आधिकारिक कार्रवाइयां शुरू की गई हैं. OCCRP के अनुसार उसकी खोजी पत्रकारिता के चलते अब तक 702 से अधिक अधिकारियों को इस्तीफा देना पड़ा या उन्हें उनके पदों से निलंबित किया गया है. नेटवर्क की रपटों के आधार पर 620 से अधिक मुकदमे चलाए गए और 100 से अधिक कार्पोरेट कार्रवाइयां हुई हैं.

Noble के लिए नामांकन

फरवरी 2023 में OCCRP को नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. व्रीजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम के शांति और संघर्ष अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर वोल्फगैंग वैगनर ने यह नामांकन किया. प्रो वैगनर उन चंद लोगों में शामिल हैं जिन्हें नोबल पुरस्कार के लिए किसी का नाम सुझाने का अधिकार है. उन्होंने नोबल पुस्कार कमेटी से "राजनीतिक भ्रष्टाचार और संगठित अपराध को उजागर करके शांति में योगदान देने" के लिए OCCRP को नोबल पुरस्कार देने की सिफारिश की है.

इसके अलावा साल 2017 में OCCRP को पनामा पेपर्स सीरीज़ की रिपोर्टिंग के लिए पुलित्जर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. ये पुरस्कार OCCRP नेटवर्क को कई और मीडिया संस्थाओं के साथ साझे तौर पर दिया गया था. OCCRP को संयुक्त राष्ट्र संघ और यूरोपीय संघ की तरफ से भी कई पुरस्कार दिए जा चुके हैं.

(ये स्टोरी हमारे साथी अनुराग अनंत ने की है)  

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