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उम्र के पहले ही पुरुषों के बाल क्यों झड़ जाते हैं?

इस समस्या को आप 'बाला' और 'उजड़ा चमन' में देखने वाले हैं.

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(तस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनग्रैब)
दो फिल्में आ रही हैं. बाला और उजड़ा चमन. बाला में आयुष्मान खुराना हैं, और उजड़ा चमन में सोनू के टीटू की स्वीटी फेम सनी सिंह हैं. दोनों ही फिल्में पुरुषों में होने वाले गंजेपन, और उससे होने वाली दिक्कतों पर आधारित हैं. इनकी रिलीज डेट में भी एक दिन का ही फर्क है. दोनों फिल्मों के ट्रेलर देख कर लोग प्लान बना रहे हैं कि आखिर देखनी कौन सी है.
फिल्मों के ही बहाने, पुरुषों से जुड़े एक बेहद अहम मुद्दे को उठाने की हिम्मत की है बॉलीवुड ने. गंजेपन को लेकर पुरुषों में अक्सर ही काफी हीनभावना रहती है. एक उम्र के बाद जब उनके सिर पर से बाल उड़ने लगते हैं, तो उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस चोट खा जाता है. अपनी इमेज को लेकर वो असहज होने लगते हैं.
आखिर ये गंजापन होता क्यों है पुरुषों को?
इसे मेल पैटर्न बॉल्डनेस / ऐन्ड्रोजेनेटिक एलोपीशिया (Male Pattern Baldness/Androgenetic Alopecia) कहा जाता है. इसमें पुरुषों के सिर के बाल झड़ने लग जाते हैं. माथे की तरफ से या सिर के ऊपर से पहले धीरे-धीरे बाल झड़ने शुरू होते हैं. फिर पतले होते-होते ख़त्म हो जाते हैं. जैसे रोम छिद्र होते हैं हमारे शरीर में चमड़ी के ऊपर, वैसे ही सिर के ऊपर हेयर फॉलिकल्स होते हैं. इन्हीं में से बाल निकलते हैं. जब ये हेयर फॉलिकल्स सिकुड़ने लगते हैं, तो बाल पतले होने शुरू हो जाते हैं. समय के साथ ये गायब भी हो जाते हैं.
ये परेशानी दुनिया भर के पुरुषों में पाई जाती है. कहीं कम तो कहीं ज्यादा. प्रिंस विलियम्स जो इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ के बेटे हैं, उनके भी बाल इसी तरह झाड़ गए हैं. (तस्वीर: विकिमीडिया)
ये परेशानी दुनिया भर के पुरुषों में पाई जाती है. कहीं कम तो कहीं ज्यादा. प्रिंस विलियम्स जो इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ के पोते हैं, उनके भी बाल इसी तरह झड़ गए हैं. (तस्वीर: विकिमीडिया)

इसके पीछे कारण क्या हैं?

डॉक्टर्स बताते हैं कि जेनेटिक्स (खानदानी कारण यानी पहले से घर के पुरुषों में ये दिक्कत चली आ रही हो), उम्र का बढ़ना, और हॉर्मोन्स का ऊपर-नीचे होना बॉल्डनेस के सबसे बड़े कारण हैं. दूसरे कारणों में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी, न्यूट्रीशन वाला खाना न खाना, स्ट्रेस, लम्बी बीमारी को गिना जाता है. डॉक्टर भावुक मित्तल, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल , गाजियाबाद में स्किन स्पेशलिस्ट हैं. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया,
हेयर फॉलिकल्स तब तेजी से बढ़ते हैं जब उनकी बढ़त में सहायता करने वाले मिनरल्स उनको मिलें. हर चार घंटे में पानी पीने जैसा साधारण काम भी आपके बालों को तरावट पहुंचा सकता है. बालों में प्रोटीन और विटामिन की कमी को नट्स (बादाम,अखरोट,काजू इत्यादि), दूध, चिकन, ब्रॉकली (हरी गोभी) से पूरा किया जा सकता है.

कैसे होगा बचाव?

अगर जेनेटिक कारणों से हेयर लॉस हो रहा है, तो उसे धीमा किया जा सकता है. लेकिन पूरी तरह से उससे छुटकारा नहीं पाया जा सकता. लेकिन अगर बीमारी या पोषण की कमी की वजह से बाल झड़ रहे हैं, तो उनके लिए उपाय किए जा सकते हैं. शरीर में आयरन की कमी की वजह से भी बाल झड़ते हैं. अगर इनमें से कोई भी वजह नहीं है, तो आपको फुल बॉडी टेस्ट कराकर अपने हॉर्मोन्स की जांच भी करवा लेनी चाहिए. डॉक्टर इस बाबत आपको बेहतर सलाह दे पाएंगे. घरेलू नुस्खे अपनाने की जगह ये देख लें कि आपके डॉक्टर आपको क्या सलाह देते हैं.

उपाय कौन-कौन से हैं?

अगर कुछ भी काम नहीं आता, और बाल फिर भी झड़ते रहते हैं, तो कुछ उपाय हैं जो अपनाए जा सकते हैं. जैसे विग, हेयर एक्सटेंशन, हेयर ट्रांसप्लांट इत्यादि.  हेयर ट्रांस्प्लांट को हेयर ग्राफ्टिंग भी कहते हैं.

हेयर ट्रांसप्लांट में क्या होता है?

ऐसे ईमेल या मैसेज कई लोगों को आते होंगे, जिनमें कहा जाता है गंजेपन का शर्तिया इलाज किया जाएगा. इसमें हेयर ट्रांसप्लांट के बारे में बताया जाता है. इसमें सिर के बचे हुए बालों और शरीर के बाकी हिस्सों से बालों के फॉलिकल्स निकाल कर वहां लगाए जाते हैं जहां गंजापन काफी ज्यादा है. जैसे मान लीजिए कि आपकी खोपड़ी के ऊपरी हिस्से से बाल उड़ रहे हैं, तो जहां से नहीं उड़ रहे वहां से फॉलिकल्स निकाल कर गंजे हिस्से में लगा दिए जाएंगे. आम तौर पर सिर के निचले हिस्से में जो बाल होते हैं, वो गंजेपन से जल्दी प्रभावित नहीं होते. इस ट्रांसप्लांट के बाद कुछ समय उन फॉलिकल्स को जड़ें पकड़ने में लगता है. इस दौरान वहां पर से बाल झड़ सकते हैं. लेकिन वहां से दुबारा बाल उग आते हैं.
हेयर ट्रांसप्लांट का एक नमूना. (तस्वीर: Pinterest)
हेयर ट्रांसप्लांट का एक नमूना. (तस्वीर: Pinterest)

हमने बात की मंजुल (बदला हुआ नाम) से. इन्होंने हेयर ट्रांसप्लांट करवाया है. उन्होंने हमें अपना पूरा एक्सपीरियंस बताया,
मैंने टेंपल (माथे का ऊपरी हिस्सा दायीं और बायीं ओर कनपटी के पास) पर ट्रांसप्लांट करवाया था. ज्यादा गंजापन नहीं हुआ था तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई ट्रांसप्लांट में. हां कुछ चीज़ें थीं जिनका ध्यान रखना था. जैसे ट्रांसप्लांट के बाद पसीना नहीं आना चाहिए. कैप नहीं लगानी है, हेलमेट नहीं पहनना है. पसीने वाली दिक्कत से बचने के लिए मैंने सर्दियों में ट्रांसप्लांट करवाया था. लोगों को दिक्कत आती है कभी-कभी सूजन वगैरह की. वैसे सालभर में सब ठीक हो जाता है.
हेयर ट्रांसप्लांट के भी दो तरीके होते हैं:
# 1 Follicular Unit Transplantation
# 2 Follicular Unit Extraction
फॉलिक्यूलर ट्रांसप्लांटेशन में बालों को लगाने के लिए चमड़ी का एक बड़ा हिस्सा काटकर निकाल लिया जाता है. फिर उसके बालों को अलग-अलग किया जाता है. फिर जहां गंजापन हो, वहां पर उन्हें लगा दिया जाता है.
फॉलिक्यूलर ट्रांसप्लांटेशन का एक नमूना. (तस्वीर: Pinterest)
फॉलिक्यूलर ट्रांसप्लांटेशन का एक नमूना. (तस्वीर: Pinterest)

फॉलिक्यूलर एक्सट्रेक्शन में एक-एक फॉलिकल को निकाला जाता है, और जहां पर गंजापन हो वहां पर उन्हें लगा दिया जाता है. कई लोगों का कहना है कि ये वाला तरीका बेहतर है और ज्यादा सफल होता है. इसमें कोई सर्जरी का निशान भी नहीं छूटता.
फॉलिक्यूलर एक्सट्रेक्शन का एक नमूना. (तस्वीर साभार: Bernstein medical)
फॉलिक्यूलर एक्सट्रेक्शन का एक नमूना. (तस्वीर साभार: Bernstein medical)

हेयर ग्राफ्टिंग या ट्रांसप्लांट तभी अपनाएं जब ये आपके लिए सेफ़ हो और आप इसके लिए तैयार हों. इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें. बिना डॉक्टरी सलाह के कोई कदम न उठाएं.


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