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आर्टिकल 188, जिसका हवाला देकर बंगाल के गवर्नर ने ममता बनर्जी की शपथ में पेच फंसा दिया!

सीएम बने रहने के लिए ममता बनर्जी को लेनी है विधायक पद की शपथ.

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ममता बनर्जी और जगदीप धनखड़ के बीच शपथ ग्रहण के मसले पर फिर से ठनती दिख रही थी. लेकिन आख़िरकार मामला सुलझ गया. (फाइल फोटो- PTI)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में भवानीपुर सीट से जीत चुकी हैं. माने अब उनके CM बने रहने में कोई अड़चन नहीं होनी चाहिए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ममता के बतौर विधायक शपथ ग्रहण में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक पेच फंसा दिया. क्या है ये पेच? राज्यपाल धनखड़ ने विधानसभा स्पीकर का नए सदस्यों को शपथ दिलाने का अधिकार खुद ले लिया. इसके पीछे संविधान के आर्टिकल 188 का हवाला दिया. अब सरकार अड़ गई कि 7 अक्टूबर तक शपथ दिलाई जाए. लेकिन राज्यपाल ने कहा कि विचार करके तारीख़ देंगे. यानी शपथ ग्रहण टलता हुआ नजर आने लगा. पूरा मामला क्या है और आख़िर में क्या हुआ, आइए बताते हैं. इसी के साथ आर्टिकल 188 को भी समझाएंगे. विस चुनाव और ममता की हार अप्रैल 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुए. 2 मई को नतीजे आए. राज्य में तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई लेकिन पार्टी की मुखिया और मुख्यमंत्री फ़ेस ममता बनर्जी चुनाव हार गईं. ममता नंदीग्राम सीट से लड़ी थीं, जहां उन्हें TMC से BJP में पहुंचे सुवेंदु अधिकारी ने हरा दिया. इसके बाद ममता 5 मई को मुख्यमंत्री तो बन गईं लेकिन कुर्सी पर बने रहने के लिए उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा पहुंचना था, यानी विधायकी जीतनी थी. ऐसे में 21 मई को TMC नेता सोमदेब चट्टोपाध्याय ने अपनी सीट ममता के लिए खाली कर दी. भवानीपुर सीट. यहां उपचुनाव हुए 30 सितंबर को. 3 अक्टूबर को नतीजा आया, जिसमें ममता बनर्जी ने जीत हासिल की. यानी उनके CM बने रहने का रास्ता साफ हो गया. शपथ ग्रहण में राज्यपाल की एंट्री अब ममता बनर्जी चाह रही थीं कि दुर्गा पूजा से पहले उनको विधायक पद की शपथ दिला दी जाए. 7 अक्टूबर को वह कार्यक्रम रखवाना चाह रही थीं. लेकिन इस बीच एंट्री हुई बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की. संविधान के आर्टिकल 188 का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने विधायकों को शपथ दिलाने का विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी का अधिकार उनसे ले लिया. कहा कि अब वह खुद राजभवन में नए विधायकों को शपथ दिलाएंगे. शपथ कब होगी, इस पर  गैजेट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद कॉल लेंगे. यानी शपथ ग्रहण टलता दिखने लगा. इसी बात पर ममता बनर्जी और जगदीप धनखड़ फिर आमने-सामने आ गए. क्या है आर्टिकल 188? संविधान का आर्टिकल 188 कहता है कि
राज्य की विधानसभा या विधान परिषद का हर सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले राज्यपाल या उनके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ लेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा.
यानी स्पष्ट है कि शपथ या तो राज्यपाल द्वारा नियुक्त व्यक्ति दिला सकता है, जो कि आमतौर पर स्पीकर ही होता है, या फिर खुद राज्यपाल शपथ दिला सकते हैं. इसी अधिकार का इस्तेमाल करके राज्यपाल धनखड़ ने ममता सहित तीन विधायकों की शपथ खुद दिलाने का फ़ैसला किया. नतीजा क्या निकला? अब सरकार का ये पक्ष था कि अगर राज्यपाल ही शपथ दिला रहे हैं तो वह विधानसभा आकर शपथ दिलाएं, न कि राजभवन में. और ये कार्यक्रम 7 अक्टूबर को ही हो. तमाम ना-नुकुर और टालमटोल के बीच राज्यपाल के ट्विटर अकाउंट से 5 अक्टूबर की शाम ट्वीट किया गया कि कार्यक्रम 7 अक्टूबर को विधानसभा भवन में होगा. यानी हैप्पी एंडिंग हो गई. बता दें कि ममता बनर्जी के साथ जाकिर हुसैन और अमीरुल इस्लाम भी विधायक पद की शपथ लेंगे.