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Paracetamol P-500 में 'विश्व का सबसे खतरनाक वायरस' होने की खबर का ये है सच

ये दवा चिग्गम की तरह खाते रहते हैं तो ये खबर आपके लिए है.

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पैरासिटामॉल P-500 में 'वायरस' से आगाह करने वाले मैसेज चल रहे हैं.
भारत डॉक्टरों का देश है. अस्पताल में इलाज करने वालों के अलावा भी बहुतेरे डॉक्टर होते हैं - पीएचडी वाले, 'मानद उपाधि' वाले, मेडिकल स्टोर वाले और बाकी सब खराब राइटिंग वाले. इनके अलावा और दो तरह के डॉक्टर होते हैं. एक जो 'वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी लंदन' से डिग्री लाते हैं और दूसरे वो जो अपना इलाज आप करते हैं. इनमें से आखिरी वालों ने वॉट्सऐप पर एडवाइज़री भी शुरू कर दी है.
वॉट्सऐप पर लोगों की सेहत के लिए फिक्रमंद इन डॉक्टरों की लेटेस्ट सलाह ये है कि वो पैरासिटामॉल न खाएं जिस पर P-500 लिखा हो. कारण बता रहे हैं कि गोली में 'विश्व का सबसे खतरनाक वायरस' है. 'दी लल्लनटॉप' के रीडर नीलेश ने हमें एक वॉट्सऐप स्क्रीनशॉट मेल कियाः
 
पैरासिटामॉल को लेकर अफवाहें 2017 की शुरूआत में भी आई थीं.
पैरासिटामॉल को लेकर अफवाहें 2017 की शुरूआत में भी आई थीं.


 
पैरासिटामॉल बुखार और दर्द के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक आम दवा है. कई बार लोग बिना डॉक्टर की पर्ची लिए भी इसे खाते हैं. तो क्या इस चक्कर में आप 'विश्व का सबसे खतरनाक वायरस' निगल जाएंगे?

जवाब है - नहीं. बिलकुल नहीं.

पैरासिटामॉल में किसी वायरस के होने की खबर फिलहाल नहीं है. इसका पहला सबूत यही है कि अगर इतना खतरनाक वायरस इस दवा में होता तो इससे अब तक एक बड़ी तादाद में लोग बीमार पड़ चुके होते. क्योंकि ये दवा भारत में खूब इस्तेमाल होती है.
 
ब्लैक टाइफस के मामले फिलहाल भारत में सामने नहीं आए हैं
ब्लैक टाइफस के मामले फिलहाल भारत में सामने नहीं आए हैं


 
ग्लोबल लेवल की अफवाह बनी थी ये
ये पहली बार नहीं है कि पैरासिटामॉल P-500 को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहें चली हैं. फरवरी-मार्च 2017 में न सिर्फ हिंदुस्तान, बल्कि इंडोनेशिया और मलेशिया में भी पैरासिटामॉल में माचुपो वायरस होने की अफवाह फैल गई थी. माचुपो वायरस से बोलिवियन हैमोरैजिक फीवर नाम की बीमारी होती है. इसे ब्लैक टायफस भी कहते हैं. इस बीमारी के ज़्यादातर केस दक्षिणी अमेरिकी देश बोलिविया में सामने आए हैं. 13 फरवरी, 2017 को छपी द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस बीमारी के होने का रिकॉर्ड नहीं है.
 
पैरासिटामॉल P-500 को लेकर मलेशिया और इंडोनेशिया में भी अफवाहें चली थीं
पैरासिटामॉल P-500 को लेकर मलेशिया और इंडोनेशिया में भी अफवाहें चली थीं


 
इस अफवाह ने इतना बवाल काटा था कि फैक्ट चेकिंग वेबसाइट स्नोप्स ने भी 7 मार्च, 2017 में इस अफवाह की पड़ताल छापी. वेबसाइट के मुताबिक मलेशिया और इंडोनेशिया की सरकारों ने एडवायज़री जारी कर के कहा था कि उन्हें पैरासिटामॉल P-500 में कोई वायरस नहीं मिला.
तो जानिए कि हालिया जानकारी के मुताबिक पैरासिटामॉल में कोई वायरस नहीं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इसका पत्ता बैग में लेकर घूमें और पीपरमेंट
  की तरह जब तब खाते चलें. कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह के बिना लेने से बचें. खुद का डॉक्टर बन के मानव इतिहास में आज तक किसी का भला नहीं हुआ. आपका भी नहीं होगा.


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