आज से 95 साल पहले गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय शुरू किया था. 1901 में ये ब्रह्म विद्यालय कहलाता था फिर शांति निकेतन कहाया और बाद में विश्वभारती विश्वविद्यालय. ये पश्चिम बंगाल के बीरभूम में पड़ता है. इसे शुरू करते समय रवीन्द्रनाथ ठाकुर का मानना था 'यत्र विश्वम भवत्येकनीडम' माने सारा विश्व जहां एक घोंसला/घर हो जाता है. जाहिर है, विदेशी छात्र भी यहां पढ़ते थे.
2014 के अगस्त की बात है. एक छात्र ने इसी विश्वविद्यालय के कैंपस में 12वीं की एक बच्ची का रेप किया. बच्ची बांग्लादेश से यहां पढ़ने आई थी. रेपिस्ट भी बांग्लादेशी था, उसका नाम सफिकुल इस्लाम था. 27 साल का सफिकुल यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर था. उसने बच्ची कारेप किया, उसका वीडियो बनाया और उसे धमकाने लगा. पहले तो बच्ची डर गई, दिसंबर में उसने अपने घरवालों को बताया तो बोलपुर थाने में एफआईआर कराई गई. इसके बाद बच्ची बांग्लादेश लौट गई. विश्व भारती ने भी सफिकुल को यूनिवर्सिटी से निकाल दिया था. इस केस पर बहुत बात हुई, एक तो ये सब इतनी जानी-मानी यूनिवर्सिटी में हुआ था दूसरे विदेशी बच्ची के रेप का मामला था और आरोपी भी बांग्लादेशी था.

डेढ़ साल तक मामले में सुनवाई वगैरह चली और आज फैसला आया है. कोर्ट ने लड़के को दोषी माना है और उसको आजीवन कारावास की सजा हुई है. पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 4 में सजा हुई है. सजा होने लगी तो वो बोला कि हम घर तरफ से बहुत गरीब हैं, मेरी मम्मी नहीं हैं, घर में सिर्फ पैरालाइज्ड पापा हैं. अभी तो पढ़ लिख रहे थे.हमारी सजा कम कर दी जाए, लेकिन कोर्ट ने उसको आजीवन कारावास की सजा और दस हजार का जुर्माना लगाया है. साथ में 5 लाख का हर्जाना बच्ची को देने का आर्डर भी राज्य सरकार को दिया है.