ये एक वायरल वीडियो का कॉन्टेंट है. इसे हिंदू-मुसलमान ऐंगल से काफी शेयर किया जा रहा है. शेयर करने वाले ज्यादातर लोग इसे एक मुसलमान के हाथों हिंदुओं पर हुआ अपराध बता रहे हैं.

क्या है इस वीडियो में? ऊपर हम बता चुके हैं. जख़्मी हालत में एक लड़का-लड़की दिखते हैं. बातचीत से लगता है, दोनों भाई-बहन हैं. दोनों के शरीर से खून बह रहा है. लड़की बार-बार गिरने को हो रही है, लड़का उसे पकड़कर संभाल रहा है. इन दोनों की किसी से बात हो रही है. जिससे बात हो रही है, वो दिख नहीं रहे. कैमरे के दूसरी तरफ हैं. बातचीत से लगता है, उनमें पुलिस के भी लोग हैं. बातचीत कुछ यूं है-
लड़का- यहां कोई सुनवाई नहीं है सर. सामने वाला आदमी- ए यार, तुम्हारा मेडिकल हो जाएगा यार. लड़का- हमारा मेडिकल, पहले लिखो हमारा रिपोर्ट. आदमी- लिखकर लाओगे न रिपोर्ट. लड़का- हम लिखकर लाऊं सर? आदमी- किसने मारा भैया आपको? लड़का- (पीछे की तरफ मुड़कर जाते हुए) जो आप लोग बताए, वही करेंगे. सर, इसकी (लड़की की तरफ इशारा करते हुए) हालत देख लो. हमरे घरवाले मर रहे हैं. आप अगर सिपाही हों, तो भेज दो वहां थोड़ा. (फिर लड़की को संभालते हुए रोता है) आदमी- जाओ, जाओ. (फिर दूसरी आवाज़) किसने मारा? लड़का- इस्लाम, युनूस (फिर किसी और का भी नाम लेता है, जो समझ नहीं आता) दो चक्कर केस हो चुके हैं सर, लेकिन पुलिस थाना नहीं आए हैं सर. आदमी- FIR लिखाओ यहां थाने पर, महींगवा चौकी पर. लड़का- सर, काहे लिखवाई? हमार बहिन मरी जा रही है आदमी- तुम इसका पहले मेडिकल कराओ, जाओ. लड़का- सर, अभी हमरा घरवाले आ जाएं तब हम जाएंगे.


जख़्मी हालत में बात करते हुए एक लड़का-लड़की का वीडियो काफी वायरल हो रहा है. लोग लिख रहे हैं कि उनकी ऐसी हालत करने वाले 'मुसलमान' हैं. ये उसी वीडियो का स्क्रीनशॉट है.

शेयर करने वाले क्या लिख रहे हैं? ये बहुत सांप्रदायिक लाइन पर शेयर हो रही है. ज्यादातर शेयर करने वालों का अंदाज ऐसा है कि देखो इन 'मुसलमानों' को! देखो, ये 'मुसलमान' क्या कर रहे हैं! कुछ लोग तो सीधे-सीधे 'मुसलमान' लिख रहे हैं. बाकी कुछ ऐसे भी हैं, जो वीडियो में सुनाई देने वाले 'मुसलमानी' नामों को हाईलाइट करते हुए लिख रहे हैं. ऐंगल वहीं सांप्रदायिक है. लोग कह रहे हैं कि देखो, पुलिस कितनी बेकार और निकम्मी है. कुछ वीडियो शेयर करते हुए हिंदुओं को जवाब देने के लिए ललकार रहे हैं. कुछ मुस्लिमों को गालियां दे रहे हैं. 'वो तो ऐसे ही होते हैं' टाइप मेसेज भी शेयर हो रहे हैं.

असलियत क्या है? Viral Video सुनते हुए हमें 'महींगवा थाने' का नाम सुनाई देता है. महींगवा एक जगह है लखनऊ में. मतलब ये उत्तर प्रदेश का मामला है. हमने तलाश किया, तो लखनऊ पुलिस के ट्विटर हैंडल पर भी हमें ये वीडियो मिल गया. और इसी लिंक के एक ट्वीट में हमें वीडियो की कहानी मालूम चली. ये ट्वीट खुद लखनऊ पुलिस ने किया है. इसमें लिखा है-
थाना क्षेत्र इटौंजा में घर के सामने खेल रहे बच्चे/युवक आपस में लड़ गए थे. उसी को लेकर दो पक्षों (एक ही संप्रदाय मुस्लिम) में विवाद व मारपीट हुई थी. इस संबंध में उक्त वीडियो में दिख रहे पक्ष (शाहरुख और शबनम) द्वारा थाना इटौंजा पर रात्रि 1.25 बजे तत्काल मु.अ.स. 185/2019 धारा 308, 323, 504, 506 IPC का अभियोग पंजीकृत किया गया था. अभियुक्तों की गिरफ़्तारी हेतु तत्काल टीम गठित कर आवश्यक विधिक कार्रवाई/धड़पकड़ की जा रही है. मामले में की जांच सीओ बी के टी को सौंपी गई.यानी वीडियो में जो लड़का दिख रहा है, उसका नाम शाहरुख है. और उसकी बहन का नाम है शबनम. इनके परिवार की वहीं रह रहे कुछ लोगों से लड़ाई हुई. इसी मारपीट में ये दोनों भाई-बहन भी घायल हुए.

इस ट्वीट में लखनऊ पुलिस ने खुद ही घटना के बारे में बता दिया.
लखनऊ पुलिस ने इसी थ्रेड में एक और ट्वीट किया है. इसमें लिखा है-
उक्त प्रकरण के संबंध SHO इटौंजा द्वारा अवगत कराया गया कि मजरूब को डॉक्टरी हेतु भेजा गया है. मुकदमा पंजीकृत किया जा रहा है. आवश्यक विधिक कार्रवाई की जाएगी.

इसी वीडियो के एक वायरल पोस्ट पर UP पुलिस ने ये जवाब दिया
जिस ट्वीट के जवाब में लखनऊ पुलिस ने ये जवाब दिया है, उसे पढ़ लीजिए-

अगर वीडियो में दोनों भाई-बहन जिससे बोल रहे हैं, वो पुलिस के लोग हैं तो ये आपराधिक है. कोई शक़ नहीं कि पुलिसवालों ने ड्यूटी कायदे से नहीं निभाई. उन्होंने जिस तरीके से शाहरुख और शबनम से बात की, जैसे उन्हें टरकाया, जिस तरह उन्हें जख़्मी देखकर भी मदद नहीं की, वो बेहद गंभीर मसला है. पुलिस को उन्हें डॉक्टरी इलाज के लिए ले जाना चाहिए था. फिर उनका बयान दर्ज़ किया जाना चाहिए था. मगर ये अलग मसला है. शेयर करने वालों में से इक्का-दुक्का ही इस ऐंगल से सोचते मिले.
पिटने वाले घायल भाई-बहन हिंदू नहीं थे. ये हिंदुओं पर मुसलमानों के अत्याचार का मामला नहीं है. पिटने वाला भी मुसलमान था और पीटने वाला भी मुसलमान था. बस इतना ब्योरा जानकर ही कइयों की इस ख़बर से दिलचस्पी बिल्कुल मर जाएगी. एक मामला तो ऐसा मिला, जिसमें पोस्ट करने वाले ने अपनी पोस्ट डिलीट कर ली. नीचे की तस्वीर में शुभम नाम के एक सज्जन ने यूपी पुलिस को ऐसा ही ट्वीट किया, जवाब मिला, तो उन्होंने अपनी पोस्ट डिलीट करने की अति-समझदारी दिखाई.

पीड़ित और अपराधी का धर्म देखकर संवेदना तय करना, कितना क्रूर और वीभत्स है ये. क्या इन लोगों को ऐसे मामलों का इंतज़ार रहता है? क्या वो चाहते होंगे कि ऐसे मामले हुआ करें, खूब हुआ करें, ताकि उन्हें ज़हर उगलने का मौका मिले?
पड़ताल : राहुल गांधी के साथ दिखीं नर्स उनके जन्म के समय 13 साल की थीं?
बिहार के किशनगंज में मुसलमानों और आदिवासियों के बीच सांप्रदायिक झड़प की सच्चाई जान लीजिए