उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग हादसे (Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue) के 17वें दिन सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. सुरंग के मलबे के आगे ड्रिलिंग मशीनें फेल हो गईं. इसके बाद 27 नवंबर से यहां मैनुअल ड्रिलिंग शुरू हुई, जिसे रैट होल ड्रिलिंग कहा जाता है. 12 रैट माइनर्स विशेषज्ञों की एक टीम ने इसे लीड किया.
सुरंग ऑपरेशन के हीरो मुन्ना कुरैशी ने रेस्क्यू के बारे में जो बताया, इमोशनल हो जाएंगे आप!
उत्तरकाशी सुरंग हादसे के 17वें दिन सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. ड्रिलिंग मशीनों के फेल होने के बाद यहां मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई. इसके जरिए मजदूरों को बचाने के लिए अंदर पहुंचे पहले व्यक्ति Munna Qureshi ने क्या-क्या बताया?
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मैनुअल ड्रिलिंग के जरिए सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों तक सबसे पहले मुन्ना कुरैशी नाम के शख्स पहुंचे. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर हाथों से करीब 12 मीटर तक का मलबा हटाया.
"हमारे सामने अड़चनें आती रहीं लेकिन हम चलते रहे. हमारे सामने स्टील आई, पत्थर आए, उन सबको हमने हटवाया. हमारे सामने कई परेशानियां आईं, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी. हम चलते रहे और हमें सफलता मिली. ये बहुत मुश्किल था लेकिन हमने ये कर दिखाया. हम बता भी नहीं सकते, उतनी ज्यादा खुशी हो रही है."
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आखिरी फेज में लगा 26 घंटे का समयमुन्ना ने कहा कि हमारा लक्ष्य केवल मजदूरों को बचाना था. उन्होंने कहा,
"हमारा मुख्य लक्ष्य था सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाना. हम इन्हें बचाए बिना घर तक नहीं जाते. हमने सोच लिया था कि इन्हें बचाने के बाद ही घर जाएंगे. जब हमने मिट्टी हटाई और हमें मजदूर दिखाई दिए तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अंदर फंसे मजदूर भी हमें देखकर बहुत खुश हुए."
मुन्ना ने बताया कि इस ऑपरेशन में 26 घंटे का समय लगा. वे बोले,
"ऑपरेशन के आखिर फेज में 26 घंटे का समय लगा. हमने दिन में 3 बजे से खुदाई शुरू की और अगले दिन शाम 7 बजे के करीब हम मजदूरों को बाहर निकाल पाए."
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मुन्ना ने कहा,
Munna Qureshi: 'जीवन को मिला मकसद'"मजदूर हमें देखकर इतना खुश थे. उन्होंने हमसे कहा कि हम आपको अपनी जान दे दें या दौलत दे दें. हमने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, जैसे आप मजदूर हैं, वैसे ही हम भी हैं. हमारा दिल बहुत उदास था आपके अंदर फंसे होने की वजह से. लेकिन अब हम सब बहुत खुश हैं कि आप सभी को बचा लिया गया है."
मुन्ना कुरैशी ने सिल्क्यारा सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को बचाने को अपनी जिंदगी का जरूरी मकसद बताया. वे बोले,
"मेरी जिंदगी का पहला मौका था जब हमें ऐसा मकसद मिला. मुझे कभी नहीं लगता था कि हमें कोई ऐसा काम करने का मौका मिलेगा. ये हमारे लिए केवल काम नहीं था, ये हमारा जूनून था. मशीनों के फेल होने के बाद हमें बुलाया गया और हमने 26 घंटों के अंदर सभी को बचाकर बाहर निकाल लिया."
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मजदूरों के बारे में बात करते हुए मुन्ना ने कहा,
"हम चाहते हैं कि भारत में सभी मजदूरों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए. उनकी तन्ख्वाह कम होती हैं, उनका खर्च नहीं चल पाता है. वो बढ़ाई जाए. उन्हें सम्मान मिले."
मुन्ना कुरैशी दिल्ली के खजूरी खास के रहने वाले हैं. वे सीवर और वॉटर लाइन्स को साफ करने का काम करते हैं. मोनू, इरशाद, नसीम और मुन्ना कुरैशी को मिलाकर मैनुअल ड्रिलिंग के आखिरी फेज में कुल 5 लोगों ने मिलकर सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला.
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