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अमेरिकी संस्था ने भारत में धार्मिक आजादी पर सवाल उठाए, विदेश मंत्रालय ने कहा- एजेंडा मत चलाओ

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने USCIRF की रिपोर्ट को भारत के प्रति पक्षपाती बताया है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (साभार: ट्विटर)

भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति को लेकर यूनाइडेट स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजस फ्रीडम (USCIRF) की वार्षिक रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय ने आपत्ति जताई है. USCIRF की इस वार्षिक रिपोर्ट में भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति को नकारात्मक बताया गया है. साथ ही आरोप लगाया कि भारत में आलोचनात्मक आवाज़ों, विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों की आवाज को दबाया जा रहा है और उनके लिए रिपोर्टिंग करने वालों का भी दमन किया जा रहा है. USCIRF की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए शनिवार को भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसे ‘मोटिवेडिट एजेंडा’ बताया है. 

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने USCIRF की रिपोर्ट को भारत के प्रति पक्षपाती बताया. उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां भारत के संवैधानिक ढांचे और लोकतंत्रिक व्यवस्था की समझ को लेकर गंभीर कमी को दर्शाती हैं. उन्होंने रिपोर्ट पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा, 

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‘अफसोस है कि अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने अपने मोटिवेडिट एजेंडे के चलते अपने बयानों और रिपोर्ट में बार-बार तथ्यों को गलत तरीके से दिखाया है. इस तरह की पक्षपातपूर्ण टिप्पणियां संगठन की विश्वसनीयता और निष्पक्षता को सवालों के घेरे में खड़ा करती हैं.’

USCIRF की रिपोर्ट में क्या है?

आजतक की खबर के मुताबिक 2021 और 2022 के लिए अपनी रिपोर्ट में USCIRF ने अमेरिकी सरकार से भारत को 'कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न' यानी चिंताजनक हालात वाले देशों की लिस्ट में रखने की सिफारिश की है. रिपोर्ट में भारत में धार्मिक आजादी बाधित करने, कट्टर धार्मिक संगठनों का समर्थन करने की निंदा की गई है. इस रिपोर्ट में भारत के साथ चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों के नाम की सिफारिश की गई है. हालांकि USCIRF की सिफारिश को मानने के लिए अमेरिकी सरकार बाध्य नहीं है.

इस रिपोर्ट में CAA के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की बात करते हुए कहा गया है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा दिया है. इससे धार्मिक स्वतंत्रता चिंता के घेरे में है. हालांकि पिछले साल भी अमेरिकी संस्था ने ऐसी ही चिंताएं जताई थीं, तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कोई बाहरी हमें हमारे नागरिकों की स्थिति के बारे में आकर न बताए. भारत में कानून धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है.

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