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कानपुर में '125 मंदिरों को चिह्नित' करने का दावा, मेयर बोलीं- "मुस्लिम लोगों ने ही बताया..."

कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे ने दावा किया कि 1930 के दंगों के बाद इन मंदिरों पर ताला लग गया था.

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एक पुराने मंदिर पर कानपुर की महापौर प्रमिला पांडे. (Aaj Tak)

एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मस्जिद या मंदिर को लेकर फिलहाल कोई नया केस फाइल नहीं किया जाएगा, दूसरी तरफ यूपी में पुराने मंदिर खोजे जा रहे हैं. नया मामला कानपुर से आया है. यहां की मेयर प्रमिला पांडे 23 दिसंबर को पूरे दल-बल के साथ शहर के बेकनगंज इलाके में पहुंच गईं. वहां उन्होंने कई पुराने मंदिर होने का दावा किया. कई सालों से बंद पड़े एक मंदिर का ताला भी तोड़ा गया. इस दौरान उनके साथ पुलिस के आला अफसरान भी मौजूद थे.

आजतक से जुड़े सिमर चावला की रिपोर्ट के मुताबिक बेकनगंज इलाके में 40 साल से एक मंदिर बंद पड़ा था. महापौर ने इस मंदिर का ताला तुड़वाया. फिर वो अपनी टीम के साथ अंदर गईं. बाद में कहा गया कि मंदिर के अंदर से मिली प्रतिमाएं ‘खंडित’ थीं और मंदिर भी जर्जर अवस्था में था.

इसके अलावा मेयर प्रमिला पांडे कैमरों के साथ एक फैक्ट्रीनुमा इमारत के अंदर भी गईं. वहां एक बहुत बड़ा पेड़ था. प्रमिला पांडे ने दावा किया कि उस जगह पर मंदिर था जिसकी मूर्तियां ‘फेंक दी गईं’. उन्होंने कहा,

"मंदिरों की हालत बेहद खराब हैं. कई मंदिरों में मूर्तियां नहीं हैं. एक जगह तो लेदर फैक्ट्री बना दी गई है. मंदिरों की मूर्तियों को गंगा नदी में फेंक दिया गया."

इतना ही नहीं, मेयर ने ये भी दावा किया कि सौ से ज्यादा मंदिरों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें दोबारा स्थापित किया जाएगा. महापौर ने कहा,

"पिछले ढाई साल में मंदिरों को चिह्नित किया गया है. मुस्लिम लोगों ने ही मुझे 6-7 मंदिरों के बारे में बताया. एक शख्स ने ही बताया कि 1930 के दंगों के बाद हिंदुओं ने इलाका खाली कर दिया था. यहां हर पांच घर पर एक मंदिर और एक कुआं था."

प्रमिला पांडे ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा कि 125 मंदिरों को चिह्नित किया गया है. सभी की सफाई कराई जाएगी. मंदिरों को दोबारा स्थापित करने के लिए नगर निगम और प्रशासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश?

12 दिसंबर, 2024 सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कहा था कि जब तक इस मामले की सुनवाई नहीं हो जाती है तब तक मस्जिद या मंदिर को लेकर कोई केस फाइल नहीं किया जाएगा. कोई भी कोर्ट किसी लंबित मामले पर फैसला नहीं सुनाएगा. एक अहम आदेश में कोर्ट ने निचली अदालतों को ये भी कहा कि वे किसी भी धार्मिक स्थलों को लेकर सर्वे का आदेश जारी नहीं करेंगी.

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