भारत की ओर से किसी भी भारतीय सैन्य कार्रवाई या पाकिस्तान की वाटर सप्लाई में हस्तक्षेप के जवाब में पाकिस्तान पूरी ताकत से जवाब देगा. चाहे वो जवाब पारंपरिक हो या परमाणु. ये बयान है रूस में पाकिस्तान के राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली का. राजदूत जमाली पहलगाम हमले के बाद से बढ़े भारत-पाकिस्तान तनाव पर रूसी मीडिया से बात कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने भारत को एक बार फिर से परमाणु हमले की धमकी दी. फिर से इसलिए क्योंकि ये कोई पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान की ओर से भारत को परमाणु युद्ध की धमकी दी गई हो. इससे पहले भी कई मौकों पर पाकिस्तान ने भारत को परमाणु हमले की धमकी दी है. पारंपरिक युद्ध में जब-जब पाकिस्तान ने भारत का सामना किया है, तब-तब उसे मुंह की खानी पड़ी है.
बार-बार 'न्यूक्लियर वॉर' की धमकी देने वाले पाकिस्तान की परमाणु क्षमता आखिर कितनी है?
India हमेशा से 'No First Use' पॉलिसी पर चला है. यानी जब तक भारत पर Nuclear Attack न हो, तब तक भारत भी परमाणु हमला नहीं करेगा. लेकिन दूसरी ओर Pakistan की सारी रक्षा नीति ही 'एंटी-इंडिया' की सोच पर आधारित है. पारंपरिक युद्ध और सैन्य क्षमता में भारत से पीछे होने के कारण वो परमाणु शक्ति को इसके बैलेंस के रूप में देखता है.

22 अप्रैल को जब भारत के पहलगाम के आतंकी हमला हुआ, तभी से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. वो ये मानने को तैयार नहीं है कि आतंकियों को पनाह उसी ने दी. भारत ने इस हमले के बाद अब तक कुछ कूटनीतिक कदम उठाए हैं. इसमें एक कदम है 'सिंधु जल समझौते' (Indus Water Treaty) से हाथ वापस खींचना. पाकिस्तान की 20 करोड़ से अधिक जनता सिंधु नदी पर निर्भर है. ऐसे में पानी रोके जाने की बात भर से पाकिस्तान तिलमिला उठा है.
यही वजह है कि वो न्यूक्लियर वॉर की धमकी दे रहा है. लेकिन क्या पाकिस्तान के परमाणु हथियारों में इतनी ताकत है कि वो पूरे भारत पर हमला कर दे, जैसा उसके राजदूत, मंत्री और नेता लगातार दावा कर रहे हैं? तो समझते हैं कि अगर तनाव बढ़ कर युद्ध, ख़ासकर परमाणु युद्ध तक पहुंचा तो पाकिस्तान कितना सक्षम है? क्या है उसके परमाणु हथियारों की ताकत? एक-एक कर के समझते हैं.
परमाणु हथियारों की संख्या को देखें तो कुछ हालिया रिपोर्ट्स इस बात की तस्दीक करती हैं कि भारत के पास 180 परमाणु हथियार हैं जबकि पाकिस्तान के पास 170. इसके अलावा दोनों देशों में एक बात कॉमन है. वो ये कि दोनों के पास न्यूक्लियर ट्रायड है. यानी दोनों देशों की आर्मी, नेवी और एयरफोर्स; तीनों ही परमाणु हमले करने में सक्षम हैं. लेकिन पाकिस्तान का न्यूक्लियर ट्रायड नेवी के मामले में अधूरा है. वजह है कि पाकिस्तान के पास सबमरीन से लॉन्च होने वाली सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल्स (SLBM) क्षमता नहीं है. इसकी जगह वो सबमरीन लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल्स का इस्तेमाल करता है. अब सवाल उठता है कि दोनों देशों के हथियार किस तरह के हैं? और उनकी रेंज कितनी है? क्योंकि परमाणु हथियारों के लिए कोई अलग तरह का लॉन्चर नहीं होता. पहले से ही इस्तेमाल हो रही कई तरह की मिसाइल्स में परमाणु हथियारों को इंटीग्रेट कर हमला किया जाता है.

इसके लिए बैलिस्टिक मिसाइल्स, क्रूज़ मिसाइल्स, सबमरीन से लॉन्च होने वाली मिसाइल्स का इस्तेमाल किया जाता है. विश्वयुद्ध में अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला करने के लिए बी-29 सुपरफोट्रेस ( Boeing B-29 Superfortress bomber) बॉम्बर विमान का इस्तेमाल किया था. लेकिन तब से अब तक तकनीक के मामले में काफी तरक्की हुई है. अब परमाणु हमले के लिए जरूरी नहीं कि टारगेट के ऊपर से बॉम्बर को उड़ाया जाए. अब अपनी जमीन से ही हजारों किलोमीटर दूर तक हमला किया जा सकता है. तो जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान की परमाणु रेंज और मिसाइल्स कौन सी हैं.

परमाणु हमले की स्थिति में आज मिसाइल्स हमला करने का सबसे प्रभावी जरिया बन चुकी हैं. भारत की बात करें तो अग्नि सीरीज़ की 1 से 5 तक की सभी मिसाइल्स परमाणु हमला करने में सक्षम हैं.अग्नि 5 की रेंज 5500 किलोमीटर बताई जाती है. यानी चीन की राजधानी बीजिंग इस मिसाइल की रेंज में है. लेकिन असल में इस तरह के हथियारों की रेंज गुप्त ही रखी जाती है. पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक ये मिसाइल मैक 24 यानी 29,635.2 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से ट्रैवल करती है.
इस वजह सेे दुश्मन के एयर डिफेंस के लिए इसे नष्ट करना काफी हद तक मुश्किल हो जाता है. इसमें 10-12 अलग-अलग वॉरहेड यानी हथियार लोड किए जा सकते हैं. इस खासियत को मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) कहा जाता है. यानी एक उड़ान में अग्नि 10 से 12 टारगेट्स पर परमाणु हमला कर सकती है.
ब्रह्मोसइस मिसाइल को भारत का ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है. ब्रह्मोस को भारत की DRDO ने रूस के साथ मिलकर डेवलप किया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें आर्मी, नेवी और एयरफोर्स; तीनों माध्यमों से परमाणु हमला करने की क्षमता है. इसके अलावा ब्रह्मोस को एक ट्रांसपोर्ट इरेक्टर लॉन्चर (TEL) से भी लॉन्च किया जा सकता है. भारत के मिराज-2000, जगुआर और सुखोई Su30-MKI जैसे विमान फिलहाल परमाणु हमला करने की काबिलियत रखते हैं. ये मिसाइल इन तीनों विमानों से न्यूक्लियर वॉरहेड लॉन्च कर सकती है.
करीब 49 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ती ये मिसाइल मैक 3 की रफ्तार तक जा सकती हैं. जमीन से दागे जाने पर इसकी रेंज 900 किलोमीटर तक है. एयरफोर्स यानी विमान से लॉन्च करने पर ये रेंज 500-600 किलोमीटर है जो इसे एक बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल (BVR Missile) बना देती है. उदाहरण के लिए भारत की एयरफोर्स इससे अमृतसर से पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद, रावलपिंडी या सरगोधा एयरबेस तक हमला कर सकती है.
पृथ्वी मिसाइलये मिसाइल भारत के न्यूक्लियर ट्रायड का एक अहम हिस्सा है. पृथ्वी 1, पृथ्वी 2 और पृथ्वी 3 पूरी तरह से परमाणु हमला करने में सक्षम हैं. इन तीनों वेरिएंट्स को आर्मी, नेवी और एयरफोर्स इस्तेमाल करते हैं. पब्लिक डोमेन में जो जानकारी है, उसके अनुसार पृथ्वी 3 की रेंज 750 किलोमीटर तक है. इसी पृथ्वी 3 मिसाइल को 'धनुष' के नाम से जाना जाता है. इसे खास तौर पर इंडियन नेवी के लिए बनाया गया है. 750 किलोमीटर की रेंज तक मार करने वाली ये मिसाइल 500 से 1 हजार किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है.
सबमरीन से हमलाभारत के पास फिलहाल दो परमाणु सबमरीन INS अरिहंत और INS अरिघात हैं. इन सबमरीन्स से लॉन्च की जाने वाली सबमरीन लॉन्च बलिस्टिक मिसाइल्स (SLBM) 'K' सीरीज़ की हैं. परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली वेबसाइट आर्म्स कंट्रोलर के मुताबिक K-4 मिसाइल की रेंज 3500 किलोमीटर, और K-15 की रेंज 700 किलोमीटर है.
पाकिस्तानभारत की क्षमता और रेंज को देखें तो निश्चित तौर पर पाकिस्तान कहीं खड़ा दिखाई नहीं देता. अग्नि जैसी मिसाइल के आसपास भी कोई पाकिस्तानी मिसाइल नहीं है जो पाकिस्तान के आखिरी छोर की तरह भारत के पूर्वी छोर तक पहुंच सके. वो दावे तो कई करता है, लेकिन अब तक किसी युद्ध में वो कुछ कर नहीं पाया है.
हालांकि पाकिस्तान के पास भी मिसाइलों का एक विविध शस्त्रागार है. इनमें से कई मिसाइल्स परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं. लेकिन कौन सी मिसाइलें परमाणु-सक्षम हैं, इसका सटीक विवरण हमेशा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होता. पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के आधार पर कुछ पाकिस्तानी मिसाइलों को परमाणु हथियार ले जाने के काबिल माना जाता है. इन्हें भी एक-एक कर के समझते हैं.
बैलिस्टिक मिसाइल्सकम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (Short Range Ballistic Missile- SRBM) को देखें तो पाकिस्तान के पास अब्दाली (हत्फ़-2) मिसाइल है जो लगभग 180-200 किलोमीटर की रेंज के साथ आती है. दूसरी मिसाइल है ग़ज़नवी (हत्फ़-3) जो लगभग 290 किलोमीटर तक मार कर सकती है. वहीं, पाकिस्तान की शाहीन-I (हत्फ़-4) की रेंज 750-900 किलोमीटर बताई जाती है. इसके अलावा पाकिस्तान के पास नस्र (हत्फ़-9) नाम की एक बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी रेंज 70-100 किलोमीटर तक है.
मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM)- गौरी-I (हत्फ़-5): लगभग 1,250-1,500 किलोमीटर की रेंज
- शाहीन II (हत्फ़-6): लगभग 1,500-2,500 किलोमीटर की रेंज.
- शाहीन-III (हत्फ़-6): पाकिस्तान की सबसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी कथित रेंज 2,750 किलोमीटर बताई जाती है.
- अबाबील: 2,200 किलोमीटर की अनुमानित रेंज वाली ये मिसाइल अभी डेवलपिंग स्टेज में है. माना जाता है कि ये मिसाइल MIRV ले जाने में भी सक्षम है.

ये जमीन से छोड़ी जाने वाली क्रूज मिसाइल्स हैं जो पाकिस्तान के हथियार भंडार की बैकबोन मानी जाती हैं. इन मिसाइल्स में शामिल हैं
- बाबर-1 (हत्फ-7): लगभग 350 किमी की रेंज, जबकि बाबर-2 संस्करण की विस्तारित रेंज लगभग 700 किलोमीटर है. ये परमाणु और पारंपरिक, दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम हैं.
- रा'द (हत्फ-8): ये हवा से लॉन्च की जाने वाली मिसाइल है जिसकी रेंज 350 किलोमीटर से अधिक बताई जाती है.
- बाबर-3: ये समुद्र से लॉन्च की जाने वाली मिसाइल है जिसकी रेंज 450 किलोमीटर है.
बात करें विमानो की तो पाकिस्तान के मिराज III/V (Mirage III/V) और F-16 विमानों के पास न्यूक्लियर हमला करने की क्षमता है.
यहां ये समझना जरूरी है कि परमाणु-सक्षम मिसाइलों का डेवलपमेंट और तैनाती किसी भी देश के लिए एक संवेदनशील विषय है. इन हथियारों के सटीक विवरण को अक्सर स्ट्रेटेजिक कारणों से गोपनीय रखा जाता है. इस खबर में दी गई सभी जानकारियां ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस, परमाणु सुरक्षा संगठनों की रिपोर्ट्स पर आधारित हैं. भारत की परमाणु नीति शुरुआत से काफी स्पष्ट रही है. भारत हमेशा से 'नो फर्स्ट यूज़' पॉलिसी पर चला है. यानी जब तक भारत पर परमाणु हमला न हो, तब तक भारत भी परमाणु हमला नहीं करेगा. लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तान की सारी रक्षा नीति ही 'एंटी-इंडिया' की सोच पर आधारित है. पारंपरिक युद्ध और सैन्य क्षमता में भारत से पीछे होने के कारण वो परमाणु शक्ति को इसके बैलेंस के रूप में देखता है. यही वजह है कि भारत के कई बार कहने पर भी पाकिस्तान ने 'नो फर्स्ट यूज़' पॉलिसी को नहीं अपनाया.
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