उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग लगातार उठ रही है. इस बीच कांग्रेस ने कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू करके बीजेपी पर राजनैतिक दबाव बढ़ा दिया है. इसके बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने साफ़ किया है कि यूपी में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू नहीं किया जाएगा. विधानसभा में पुरानी पेंशन योजना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने साफ़ किया कि सरकार पुरानी पेंशन बहाल नहीं करेगी. राज्य सरकार का कहना है कि न्यू पेंशन स्कीम से कर्मचारियों को ज़्यादा फ़ायदा हो रहा है.
यूपी में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल होगी या नहीं? सरकार ने साफ जवाब दे दिया है
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने समाजवादी पार्टी की तरफ से उठाए गए प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि 2005 में सपा की सरकार में राज्य कर्मचारी संगठनों की सहमति से नई पेंशन योजना शुरू की गई थी.


NPS से कर्मचारियों को अधिक फ़ायदा!
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने समाजवादी पार्टी की तरफ से उठाए गए प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि 2005 में सपा की सरकार में राज्य कर्मचारी संगठनों की सहमति से नई पेंशन योजना शुरू की गई थी. उन्होंने बताया कि नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को निवेश के बदले 9% से ज़्यादा का फ़ायदा मिल रहा है.
सपा ने क्या मांग उठाई थी?
समाजवादी पार्टी की तरफ से अनिल प्रधान और पंकज मलिक ने सरकार से ये सवाल किया था. सपा विधायकों का कहना है कि पुरानी पेंशन स्कीम में किसी कर्मचारी को रिटायर होने के बाद उसकी सैलरी का लगभग आधा पेंशन के तौर पर मिलता था. लेकिन नई पेंशन स्कीम में दस परसेंट से भी कम मिल रहा है. इसलिए सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार को पुरानी पेंशन योजना लागू करनी चाहिए. इसके जवाब में जब राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि नई पेंशन स्कीम ज़्यादा लाभकारी है तो नाराज़ सपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
वित्त मंत्री ने गिनाए आंकड़े
यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने समाजवादी पार्टी विधायकों के सवाल के जवाब में कहा कि 1 अप्रैल 2005 से नई पेंशन योजना लागू है. मंत्री ने बताया,
"तब सपा की ही सरकार थी. तब राज्य सरकार ने कर्मचारी संगठनों से बात करके सहमति ली थी. उस वक्त कर्मचारी संगठन नई पेंशन योजना में कम से कम 8 फ़ीसदी ब्याज चाहते थे. आज कर्मचारियों के एनपीएस में निवेश के बदले 9.32 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है."
सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार अपने खजाने का लगभग 59 फ़ीसदी हिस्सा सैलरी और पेंशन पर ख़र्च कर रही है. ऐसे में विकास के कामों में ख़र्च के लिए ज़रूरी पैसा नहीं लग पा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि न्यू पेंशन स्कीम के तहत 85 प्रतिशत निवेश का पैसा सरकार की प्रतिभूतियों में और बाकी बचा 15 प्रतिशत स्टेट बैंक और एलआईसी जैसे संगठनों में लगाया गया है.
चुनावी मुद्दा बना OPS
यूपी में ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS एक चुनावी मुद्दा बन गया है. 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने का वादा किया था. हालांकि चुनाव में सपा को इसका बहुत फ़ायदा नहीं हुआ. लेकिन कांग्रेस ने हिमाचल में सरकार बनने पर पुरानी पेंशन को बहाल कर दिया. इसके अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस ने पुरानी पेंशन बहाल करके चुनाव से पहले कर्मचारी संगठनों को बीजेपी शासित राज्यों में सरकार पर दबाव बनाने का बड़ा मुद्दा दे दिया है.
OPS और NPS में क्या फ़र्क है?
साल 2004 में पुरानी पेंशन व्यवस्था को ख़त्म कर नई पेंशन योजना लागू की गई. इसके तहत 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद जिसने भी सरकारी नौकरी ज्वाइन की, वो अपनी सैलरी का 10% हिस्सा न्यू पेंशन स्कीम में लगा सकता है. पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारी के रिटायर होने के बाद उसे उसकी सैलरी का 50 प्रतिशत आजीवन मिलता था. इसके लिए उसे अपनी सैलरी से अलग से कोई कटौती नहीं करानी होती थी. अब कर्मचारी अगर रिटायर होने के बाद पेंशन चाहता है तो उसे NPS में अपनी सैलरी का 10वां हिस्सा निवेश के लिए कटवाना पड़ता है. सरकार इस पैसे को बाज़ार में निवेश करती है और ब्याज के तौर पर जो मिलता है, उससे कर्मचारी को रिटायर होने के बाद पेंशन के तौर पर देती है.
वीडियो: पुरानी पेंशन स्कीम के लिए प्रोटेस्ट किया तो केंद्रीय कर्मचारियों का क्या होगा?