उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बहराइच (Bahraich) में भेड़ियों का आतंक जारी है. ताजा हमला 2-3 सितंबर की दरम्यानी रात को सामने आया. जिले के गिरधरपुर इलाके में भेड़ियों ने 5 साल की एक बच्ची को घायल कर दिया. उसके गले और सिर पर चोटें आई हैं. इससे पहले ढाई साल की एक बच्ची को भेड़ियों ने मार डाला था. बहराइच में भेड़िए 49 दिनों में 7 बच्चों और 1 महिला सहित 8 लोगों को मार चुके हैं. सवाल किया जा रहा है कि भेड़िए आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं. एक्सपर्ट अलग-अलग अनुमान लगा रहे हैं. इसी सिलसिले में यूपी वन निगम के महाप्रबंधक संजय पाठक ने भेड़ियों की बदला लेने की प्रवृत्ति से इनकार नहीं किया है.
भेड़िए इंसानों से बदला ले सकते हैं? बहराइच में ऑपरेशन चला रहे अधिकारी की बात हैरान कर देगी
Bahraich Wolf Attack: वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि अगर भेड़ियों को खून लग गया और ये समझ आ गया कि आसान शिकार है तो फिर वो अगली बार भी चांस ले लेते हैं.

संजय पाठक 'ऑपरेशन भेड़िया' का नेतृत्व कर रहे हैं. आजतक से जुड़े समर्थ श्रीवास्तव से बातचीत में उन्होंने बताया कि बहराइच के कुछ क्षेत्र भेड़ियों के खतरे से प्रभावित हैं. 3 सेक्टर में पूरे क्षेत्र को बांटा गया है. उन जगहों पर भेड़ियों के मूवमेंट के हिसाब से फोर्स की तैनाती की जा रही है. अधिकारी ने बताया कि कुछ टीमें जागरूकता के लिए भी लगाई गई हैं.
भेड़िए चांस ले सकते हैं!संजय पाठक से सवाल किया गया कि क्या भेड़िए बदला ले सकते हैं? जवाब में वो बोले,
“ये बात सुनने में आई है और लोगों ने कहा भी है, इसे नकारा नहीं जा सकता है. कई बार भेड़िए प्रतिशोधात्मक तौर पर भी हमले करते हैं. यदि आदमी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है या उनके बच्चों को या उनको मार दिया है, तो वो इंसानों पर हमला करते हैं. भेड़िया वैसे बहुत शर्मीला किस्म का जानवर होता है.”
संजय ने आगे बताया,
“कोई भी जानवर अपनेआप आदमखोर नहीं बन जाता. ऐसे ही किसी को नहीं मारता. दो कारण होते हैं. पहला, हैबिटेट का लॉस. जो सबसे बड़ा फैक्टर है. उनका क्षेत्र डूब रहा है. ये ऊंचे क्षेत्रों में रहते हैं, तराई क्षेत्र में पाए जाते हैं. वहां अगर पानी भर जाए तो उन्हें वापस जाना पड़ता है. जानवर की कोई नीयत नहीं होती, लेकिन चांस एनकाउंटर हो जाता है. अगर उन्हें खून लग गया, और ये समझ आ गया कि आसान शिकार है तो फिर वो अगली बार भी चांस ले लेते हैं.”
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस तरह के अभियान में कोई निश्चित अवधि नहीं बताई जा सकती है. भेड़िए को कल भी पकड़ा जा सकता है और कुछ दिनों में भी.
भेड़ियों को पकड़ने के लिए शार्प शूटर्स के इस्तेमाल की बात को लेकर संजय ने बताया,
“हम अगर उन्हें फिजिकली पकड़ने में नाकाम होते हैं तो आखिरी तरीके के तौर पर हम शार्प शूटरों का इस्तेमाल करेंगे. ये हमारे एक्ट में भी है. लेकिन इससे पहले जानवर को चिह्नित करना जरूरी है. सबसे बड़ी चुनौती यही है.”
उन्होंने बताया कि 6 में से दो भेड़िए बचे हैं. उनको ट्रैक करना जरूरी है. गांव वालों की हर बात नहीं मानी जा सकती. वो कई बार सियार को देखकर भी भेड़िया बता देते हैं. भेड़िया कई बार अपनी पूछ छुपाता है और कई बार लंगड़ा कर चलता है.
गांवों में दरवाजे और लाइट ना लगे होने पर संजय ने बताया कि इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. लोगों को जागरूक किया जा रहा है. उम्मीद करते हैं कि गांव वाले अपने दरवाजे बंद रखेंगे, पहरेदारी करेंगे. उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर बहुत खराब स्थिति होती है तो बच्चों को सोते वक्त अपने साथ बंद करके रखें, रस्सी बांधकर सोएं, और उन्हें अकेला न छोड़ें.
वीडियो: Bahraich में एक और बच्चे पर भेड़िए का अटैक, हमले के बाद का वीडियो देखिए