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मणिपुर के एक्टिविस्ट बब्लू लोइटोंगबाम कौन हैं जिनके घर पर हमले की बात UN तक पहुंच गई?

इम्फाल में भीड़ ने मानवाधिकार कार्यकर्ता बब्लू लोइटोंगबाम के घर में तोड़फोड़ की थी.

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मानवाधिकार कार्यकर्ता बब्लू लोइटोंगबाम.

हिंसाग्रस्त मणिपुर (Manipur) की राजधानी इम्फाल में गुरुवार, 5 अक्टूबर की शाम को भीड़ ने मानवाधिकार कार्यकर्ता बब्लू लोइटोंगबाम (Babloo Loitongbam) के घर में तोड़फोड़ की थी. हमले के दौरान कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन संपत्ति का नुक़सान हुआ है. अब UN मानवाधिकार संगठन ने भारतीय अधिकारियों से बब्लू, उनके परिवार और घर की रक्षा करने के लिए कहा है. साथ ही अपराधियों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

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बब्लू लोइटोंगबाम के ख़िलाफ़ हिंसा क्यों?

बब्लू एक वकील, मानवविज्ञानी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. वो मैतेई समुदाय से हैं. बब्लू लोइटोंगबाम 20 बरसों से ज़्यादा वक़्त से भारत के उत्तर-पूर्व में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं. अपने संगठन के साथ उन्होंने लगभग 1528 ऐसे मामलों की जानकारी इकट्ठा की है, जिनमें सशस्त्र बलों पर 'फ़र्ज़ी मुठभेड़ों' के आरोप हैं. 

बब्लू ने एक मानवाधिकार पाठ्यक्रम तैयार किया है. ये गांव के पारंपरिक संस्थानों को तैयार करता है, कि वो क्षेत्र में बढ़ती मानवाधिकार चुनौतियों के ख़िलाफ़ नए तरीक़ों से कैसे संगठित हों.

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पुलिस सूत्रों के मुताबिक़, हिंसा की हालिया घटना 5 अक्टूबर की शाम क़रीब 6.30 बजे की है. लोइटोंगबाम का घर इम्फाल पश्चिम ज़िले के क्वाकीथेल थियाम लीकाई इलाक़े में है.

हिंसा से पहले मैतेई समूह 'मेइतेई लीपुन' ने बब्लू लोइटोंगबाम और पूर्व एडिशनल SP थौनाओजम बृंदा के ख़िलाफ़ 'बॉयकॉट कॉल' जारी किया था. उन्हें कोई भी पब्लिक स्टेटमेंट देने से मना किया था. चेतावनी भी दी थी कि अगर बृंदा और लोइटोंगबम ने उनकी बात नहीं मानी, तो वो किसी भी अनहोनी की ज़िम्मेदारी नहीं लेंगे.

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लोइटोंगबम सितंबर के पहले हफ़्ते से ही इम्फाल से बाहर हैं. उनके घर पर हुई हिंसा के संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने न्यूज़ पोर्टल स्क्रॉल को बताया,

"वो दावा कर रहे थे कि इम्फाल घाटी में सभी चर्च जला दिए गए हैं. इस दावे से जनता नाराज़ हो गई.''

जिस बयान की बात पुलिस कर रही है, वो बयान बब्लू ने न्यूज़क्लिक को दिया था. मई महीने में हुए एक इंटरव्यू के दौरान. इंटरव्यू में उन्होंने मणिपुर हिंसा में कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका पर बात की थी. आरोप लगाया था कि कट्टरपंथी मैतेई संगठनों - मैतेई लीपुन और आरामबाई तेंगगोल - ने लोगों के दिमाग़ में उग्रवाद भर दिया है. उन्होंने इन संगठनों पर कुकियों के ख़िलाफ़ हिंसा को बढ़ावा देने के भी आरोप लगाए.

हिंसा के शुरू होने से लेकर अभी तक बब्लू लोइटोंगबाम ने बारहा कहा भी है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.

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अब UN मानवाधिकार संगठन ने X पर पोस्ट किया है:

"मई से भड़की हिंसा के ख़िलाफ़ लगातार आवाज़ उठाने वाले मानवाधिकार रक्षक बब्लू लोइटोंगबाम को मिलीं धमकियों से हम चिंतित हैं. हम अधिकारियों से उनकी, उनके परिवार और घर की सुरक्षा करने और अपराधियों पर कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं."

दूसरी तरफ़, बृंदा ने आगज़नी की घटना के लिए मैतेई समूहों को ज़िम्मेदार बताया था, तो 4 अक्टूबर को एक भीड़ उनके घर में घुस आई और उनसे सफ़ाई मांगी.

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