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'UAPA का मकसद किसी का घर जब्त करना नहीं', हाईकोर्ट ने NIA को समझाया कानून का 'असली' मतलब

Delhi के जामिया नगर (Jamia Nagar) के एक व्यक्ति ने सरकारी अधिसूचना को हाईकोर्ट (High Court) में चुनौती दी थी. उसी की सुनवाई में कोर्ट ने ये फ़ैसला सुनाया है. क्या-क्या कहा?

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सितंबर, 2023 में सरकारी अधिसूचना जारी की गई थी. (फ़ोटो - एजेंसी)

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक हालिया फ़ैसले में कहा है कि ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत किसी जगह को चिह्नित करने का मतलब ये नहीं कि किसी की संपत्ति ज़ब्त कर ली जाए. नोटिफ़ाई करने का इरादा ये सुनिश्चित करना है कि संपत्ति का इस्तेमाल ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों के लिए न हो.

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UAPA का केस क्या है?

27 सितंबर, 2022 को इस्लामी संगठन -  पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) - और उसके कथित सहयोगियों को UAPA के तहत 'ग़ैरक़ानूनी संगठन' घोषित किया गया था. एक दिन बाद दिल्ली के जामिया नगर में एक संपत्ति के संबंध में अधिसूचना जारी की गई, कि इसका इस्तेमाल PFI और उसके सहयोगी कर रहे थे. ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों के लिए.

UAPA की धारा 8(1) के मुताबिक़, अगर किसी संगठन को ग़ैरक़ानूनी घोषित कर दिया गया है, तो केंद्र सरकार के पास ये अधिकार है कि वो किसी भी जगह को अधिसूचित कर सकती है, जो 'उनकी राय में' गै़रक़ानूनी मंसूबों के लिए इस्तेमाल की जा रही हो. और, क़ानून में जगह/स्थान शब्द इस्तेमाल किया गया है – जो कोई घर, घर का हिस्सा या एक तम्बू भी हो सकता है.

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घर के मालिक ने सरकारी अधिसूचना को अदालत में चुनौती दी. सरकार के अलावा दिल्ली पुलिस ने भी 30 सितंबर, 2022 को एक नोटिस जारी किया था, कि घर के मालिक संपत्ति से जुड़ी जानकारी साझा करें. याचिकाकर्ता ने दिल्ली पुलिस की नोटिस को भी चुनौती दी. अदालत से संपत्ति पर से सील हटाने और अनलॉक करने की मांग की.

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के सामने बताया कि वो संपत्ति के 'वैध मालिक' हैं और वो PFI के सदस्य नहीं थे. दिसंबर, 2021 में उसने प्रॉपर्टी किसी और व्यक्ति को 11 महीने के लिए पट्टे पर दी थी और उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि किराएदार PFI का सदस्य था या घर का इस्तेमाल ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों के लिए किया जा रहा था.

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दिल्ली उच्च अदालत के कार्यवाहक चीफ़ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की. पक्षों को सुनने के बाद फ़ैसला सुनाया,

न्यायालय का मानना ​​है कि UAPA की धारा-8 के तहत किसी जगह को अधिसूचित करने का इरादा ये सुनिश्चित करना है कि उसका इस्तेमाल गै़रक़ानूनी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाता है. इसका इरादा निर्दोष मालिकों की संपत्तियों को ज़ब्त करना कतई नहीं है, जो न तो ग़ैरक़ानूनी संगठन के सदस्य हैं और न ही ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों में शामिल हैं.

अगस्त, 2019 में UAPA में संशोधन किया गया था. फिर NIA डायरेक्टर को ये अधिकार मिल गया कि जिन केसों की जांच NIA कर रही है, उनसे संबंधित संपत्ति की ज़ब्ती को वो ख़ुद मंज़ूरी दे सकते हैं. इससे पहले उन्हें राज्य के DGP से मंज़ूरी लेनी होती थी. संशोधन के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की संपत्ति ज़ब्ती में अचानक उछाल आया है. अधिकारियों के मुताबिक़, 2009 से 2023 तक NIA ने कुल 352 संपत्तियां कुर्क की हैं. इनमें से 335 संपत्तियां केवल बीते चार सालों - 2019 से 2023 के बीच - कुर्क की गई हैं.

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