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UAPA में 'आतंकी' की परिभाषा नहीं, फिर गोल्डी बराड़ UAPA के तहत आतंकी कैसे घोषित हुआ?

गोल्डी बराड़ के साथ अब आगे क्या होगा? पांच पॉइंट में सारी कहानी समझते हैं.

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(फोटो सोर्स- आजतक)
गोल्डी बराड़
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शिवेंद्र गौरव
2 जनवरी 2024 (Updated: 2 जनवरी 2024, 04:06 PM IST)
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पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला (siddhu moosewala murder) की हत्या के मास्टरमाइंड गैंगस्टर गोल्डी बराड़ (goldi barar) को आतंकवादी घोषित कर दिया गया है. भारत सरकार ने सोमवार, 1 जनवरी, को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत उसे नामित आतंकवादी घोषित किया है. UAPA में ‘आतंकी’ शब्द की परिभाषा नहीं है, फिर किसी आरोपी को UAPA के तहत आतंकवादी कैसे कहा जाता है, क्या प्रावधान हैं, कितनी सज़ा होती है, आरोपी के पास क्या कानूनी विकल्प होते हैं, इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे.

ये भी पढ़ें: सिद्धू मूसेवाला की हत्या को 'जरूरी' बताकर गोल्डी बराड़ ने क्या वजह बता दी?

UAPA क्या है?

UAPA क़ानून, साल 1967 में बना. साल 2004, 2008 और 2012 में कांग्रेस सरकार के वक़्त इसे और मजबूत किया गया. UAPA क़ानून, सरकार और प्रशासन को भारतीय दंड संहिता (IPC) की तुलना में ज्यादा शक्तियां देता है. इसके तहत बनाए गए आपराधिक क़ानून, सामान्य आपराधिक क़ानूनों से ज्यादा सख्त हैं. UAPA के तहत सरकार को किसी आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए ज्यादा वक़्त मिल जाता है, जमानत की शर्तें और सख्त होती हैं.

UAPA में 'आतंकवाद' या 'आतंकवादी' शब्द की अपनी कोई परिभाषा नहीं दी गई है. लेकिन UAPA की धारा 15 में 'आतंकवादी कृत्य' की परिभाषा दी गई है. पहले इसे समझते हैं.

धारा 15 में लिखा है,

"भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, [आर्थिक सुरक्षा], या संप्रभुता को खतरा पहुंचाने या खतरा पहुंचाने के इरादे से या लोगों या लोगों के किसी समूह में आतंक फैलाने के इरादे या आतंक फैलाने की संभावना के साथ कोई काम करना."

इस प्रावधान में किसी की मौत की वजह बनने या संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकने वाले बम, डायनामाइट या दूसरे किसी विस्फोटक पदार्थ के इस्तेमाल का जिक्र है. इसके अलावा देश में किसी भी समुदाय के जीवन के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति रोकने, भारत की नकली करेंसी छापकर, सिक्के बनाकर या किसी भी दूसरे मटेरियल की तस्करी करके या सर्कुलेट करके भारत की मौद्रिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाने जैसे कृत्यों को आतंकी कृत्य माना गया है.

UAPA की धारा 16, के तहत आतंकी कृत्यों/गतिविधियों के लिए सजा तय होती है. इसके तहत आने वाले अपराध गंभीर प्रकृति के होते हैं. इनके लिए कम से कम 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. अगर किसी आतंकी कृत्य की वजह से किसी की मौत हो जाती है, तो फांसी की भी सजा है.

UAPA अपने मूल रूप में 'गैरकानूनी कृत्यों' से संबंधित था. साल 2004 में इसमें आतंकवाद विरोधी प्रावधान पेश किए गए थे. साल 2019 में इसमें कुछ संशोधन किए गए और कुछ ऐसे प्रावधान लाए गए जिनके तहत, केंद्र सरकार, न केवल किसी आर्गेनाईजेशन को बल्कि किसी व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है.

2019 के प्रावधान

इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक, किसी संगठन को 'आतंकवादी संगठन' घोषित करने के लिए UAPA के पार्ट 4 और 6 में प्रावधान मौजूद हैं. लेकिन अगर कोई व्यक्ति कोई आतंकवादी कृत्य करता है, उसकी तैयारी करता है, प्लान बनाता है या प्रचार करता है या ऐसे किसी काम में शामिल होता है तो साल 2019 के विधेयक में ऐसे व्यक्ति को 'आतंकवादी' नामित करने का अधिकार केंद्र सरकार को देने की मांग की गई. लोकसभा में इस विधेयक पर बहस हुई, गृहमंत्री अमित शाह ने आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने के लिए किसी व्यक्ति को आतंकी के बतौर नामित करने की जरूरत पर जोर दिया.

कैसे घोषित होता है आतंकी?

केंद्र सरकार एक ऑफिशियल गजट (आधिकारिक राजपत्र) में नोटिफिकेशन जारी करके किसी व्यक्ति को आतंकवादी का नाम दे सकती है. और उसका नाम UAPA की चौथी अनुसूची में जोड़ सकती है. किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने से पहले उस व्यक्ति को मामले पर कोर्ट में सुनवाई का मौक़ा देने की भी जरूरत नहीं है.

क्या, सरकार के आतंकी घोषित करते ही, व्यक्ति आतंकी हो जाता है?

जवाब है नहीं. हमारे संविधान में दोष सिद्ध न होने तक व्यक्ति निर्दोष माना जाता है. इसी आधार पर केंद्र सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किए जाने के बावजूद, उस व्यक्ति को तब तक आतंकवाद का आरोपी ही कहा जाएगा जब तक उसपर आतंकी गतिविधि करने या उसमें शामिल होने का आरोप साबित नहीं हो जाता. साल 2019 के संशोधन में ये स्पष्ट नहीं है कि किसी व्यक्ति पर आतंकी कृत्य की दोषसिद्धि के लिए जरूरी सबूतों का मानक क्या होगा.

आतंकी घोषित होने के बाद क्या?

संयुक्त राष्ट्र अगर किसी व्यक्ति को वैश्विक आतंकवादी घोषित करता है तो उसकी विदेशी यात्राओं पर बैन लगता है, उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं और उसके हथियारों की खरीद पर भी प्रतिबंध लगता है. लेकिन भारत में साल 2019 के संशोधन में ऐसे किसी प्रतिबंध के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. एक और बात, आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद अगर कोई व्यक्ति उसका नाम  UAPA की चौथी अनुसूची से हटाने की एप्लीकेशन देता है तो सरकार को उसके आग्रह पर विचार करने और उसका नाम  UAPA की चौथी अनुसूची से हटाने का अधिकार है. हालांकि अगर सरकार उसका आवेदन खारिज कर दे तो भी एक महीने के अंदर फिर से आवेदन पर विचार किया जा सकता है.

संशोधन के तहत, केंद्र सरकार ने एक समीक्षा समिति (रिव्यू कमेटी) का गठन भी किया गया है. हाईकोर्ट का कोई मौजूदा या रिटायर्ड जज, इस समिति का अध्यक्ष होता है, जबकि तीन अन्य सदस्य भी होते हैं. अगर रिव्यू कमेटी को, आदेश में कुछ गलती समझ आती है तो, उसे अधिकार है कि वो सरकार को उस व्यक्ति का नाम आतंकवादियों की लिस्ट से हटाने का आदेश दे सकती है. इन दो विकल्पों के अलावा, आतंकवादी घोषित किए गए व्यक्ति को अदालत का रुख करने का भी अधिकार होता है.

कनाडा पर दबाव?

किसी देश का कोई घोषित आतंकी, अगर किसी दूसरे देश में पनाह लिए है तो उस देश से आतंकी को वापस लौटाने (डिपोर्ट करने) को कहा जा सकता है. ये दबाव कितना कारगर होता है, ये उन दोनों देशों के आपसी कूटनीतिक रिश्तों पर भी निर्भर करता है. फिलहाल गोल्डी बराड़, देश से बाहर है. उसके कनाडा में छिपे होने की संभावना बताई जाती है. भारतीय क़ानून, UAPA के तहत आतंकी घोषित होने के बाद गोल्डी बराड़ को लेकर कनाडा पर कूटनीतिक दबाव बनाया जा सकता है. गोल्डी, कनाडा के 25 मोस्ट वांटेड क्रिमिनल्स में शामिल है. इंटरपोल ने उसके खिलाड़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है. रॉयल कनाडियन पुलिस को उसकी तलाश है. और अब भारत द्वारा आतंकी घोषित किए जाने के बाद, गोल्डी बराड़ को लेकर कनाडा से सख्ती दिखाने की अपेक्षा की जा सकती है.

वीडियो: सिद्धू मूसेवाला की हत्या का आरोपी गोल्डी बराड़ यहां रहता है!

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