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वृद्धाश्रम में दादी से मिलकर रोती बच्ची की इस फोटो की सच्चाई क्या है?

पिछले दो दिनों से ये फोटो सोशल मीडिया पर छाई हुई है.

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सोशल मीडिया पर पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है.

सोशल मीडिया पर एक फोटो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. फोटो में एक बच्ची और एक बुजुर्ग महिला दिखाई दे रही हैं. दोनों रो रही हैं. इस फोटो के साथ मेसेज चल रहा है:

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A school organised a tour to an old age home and this girl found her grandmother there.When she used to ask her parents about whereabouts of grandma, she was told that she has gone to meet her relatives.This is the society we are creating...

(इस मेसेज का हिंदी में मतलब है कि एक स्कूल ने बच्चों को वृद्धाश्रम का टूर कराया. टूर के दौरान इस लड़की को वहां अपनी दादी मिल गईं. जब वो बच्ची अपने घर में पेरेंट्स से दादी के बारे में पूछती, तो वो कह देते कि दादी रिश्तेदारों से मिलने गई हैं. हम ऐसा समाज बना रहे हैं.)

कई लोग इस तस्वीर में हिंदी में लिखे मेसेज के साथ शेयर कर रहे हैं. ऐसी पोस्ट्स में लिखा है:


स्कूल द्वारा बच्चों के लिए वृद्धाश्रम में कुछ समय व्यतीत करने का आयोजन रखा गया। स्कूल की इस बच्ची ने देखा कि उसकी दादी भी अन्य वृद्ध लोगो के बीच उस आश्रम में मौजूद है।

वही दादी जो कुछ दिन पहले तक तो उन्ही के साथ रहा करती थी । जिनके बारे में वह जब भी अपने माँ बाप से पूछती थी तो वो बताते थे कि वह अपने अन्य रिश्तेदारों से मिलने गयी है।

दादी से मिलकर पता चला उसके मांबाप ही दादी को वृद्धाश्रम छोड़ गये हैं।

(नोट- हमेशा की तरह मेसेज की भाषा से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. जैसा आया था, वैसा आपके सामने है. वर्तनी और ग्रामर की गलती पर ध्यान न दें.)

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ट्विटर पर अपलोड फोटो जो वायरल हो चुका है.
ट्विटर पर अपलोड फोटो जो वायरल हो चुका है.

यह फोटो अंबालिका कृष्णाप्रिया नाम के एक ट्विटर हैंडल से अपलोड की गई थी, जिसे अब तक 4,800 से ज़्यादा बार रिट्वीट किया जा चुका है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और क्रिकेटर हरभजन सिंह समेत कई सारी जानी-मानी हस्तियों ने भी ये फोटो शेयर की.

इस फोटो की सच्चाई क्या है?

जब हमने इस फोटो के बारे में सर्च किया, तो पाया कि फेसबुक पर Our Vadodara नाम के एक फेसबुक पेज ने इस फोटो को शेयर किया था. उन्होंने लिखा था कि यह फोटो कल्पित भचेच ने 2007 में क्लिक की थी.

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#OldPicture
2007માં એક શાળાએ યોજેલા ઘરડાઘરના પ્રવાસમાં જ્યારે અચાનક એક બાળકીએ પોતાના દાદીને જોયાં, ત્યારે હૃદયસ્પર્શી...
Posted by Our Vadodara
on Tuesday, August 21, 2018

बीबीसी गुजराती और दिव्य भास्कर ने ये स्टोरी कवर की है. हमने कल्पित भचेच से बात कर इस फोटो के बारे में पूछा.


फोटो जर्नलिस्ट कल्पित भचेच जिन्होंने यह फोटो लिया था.
फोटो जर्नलिस्ट कल्पित भचेच जिन्होंने यह फोटो लिया था.

उन्होंने बताया-


यह फोटो 12 सितंबर, 2007 की है. अहमदाबाद के मणिनगर में एक स्कूल है गुरुनानक एंड चंद्रकेतु पंड्या स्कूल, जिसे जीएंडसी स्कूल कहते हैं. अपने स्कूल के बच्चों को वो मणिलाल गांधी ओल्ड एज होम लेकर गए. वहां सब बच्चे बुजुर्गों से मिल रहे थे. एक ग्रुप फोटो लेने के लिए बच्चों को बुजुर्गों के साथ बैठने को कहा. तभी एक बुजुर्ग महिला और एक बच्ची एक-दूसरे से मिलकर रोने लगे. बुजुर्ग महिला से पूछा कि बच्ची और वो कोई रिश्तेदार हैं क्या? तो उन्होंने बताया कि ये बच्ची उनकी पोती है. जब बच्ची से पूछा गया तो उसने बताया कि चार दिन से दादी घर पर नहीं थीं. जब उसने अपने पैरेंट्स से पूछा कि दादी कहां हैं, तो उन्होंने बोला कि वो बाहर गांव गई हैं, आ जाएंगी. लेकिन दादी आज यहां मिली हैं. ये स्टोरी उस समय दिव्य भास्कर में छपी थी. बाद में बुजुर्ग महिला का बेटा आकर उन्हें वापस घर ले गया था. हालांकि, 3-4 साल पहले जब मैं वृद्धाश्रम गया था, तो वो वहीं पर मिलीं थी. जब कारण पूछा, तो वो बोलीं कि मैं अपनी मर्ज़ी से यहां रहने आई हूं. वो अभी भी इस वृद्धाश्रम में रहती हैं और कहती हैं कि अपनी मर्ज़ी से रहती हैं.

स्कूल की प्रिसिंपल रतन पंड्या ने भी यही बात बताई. 'बीबीसी गुजराती' ने हमें बताया कि 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे पर एक प्रदर्शनी लगाई थी, जिसमें 10 फोटो स्टोरीज़ रखी गईं थीं. कल्पित भचेच की स्टोरी भी उनमें से एक थी. यहीं से किसी ने यह फोटो लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.


अपनी दादी के साथ भक्ति पंचाल. वो अब भी वृद्धाश्रम में आकर उनसे मिलती रहती हैं.
अपनी दादी के साथ भक्ति पंचाल. वो अब भी वृद्धाश्रम में आकर उनसे मिलती रहती हैं.

इस लड़की का नाम भक्ति पंचाल है. ये फोटो 11 साल पहले की है. बा का नाम दमयंति बेन पंचाल है. भक्ति के पिता का नाम निलेश भाई है. इंडिया टुडे से जुड़ी पत्रकार गोपी मनिआर से बात करते हुए भक्ति ने कहा कि बा उस टाइम भी अपनी मर्जी से यहां आईं थीं. उन्हें पता था कि वो किसी वृद्धाश्रम में हैं, लेकिन उन्हें उस वृद्धाश्रम में देखकर वो भावुक हो गईं थीं. भक्ति अब भी उनसे मिलने वहां आती हैं. ऊपर लगा ये फोटो ऐसे ही एक मोमेंट का है.

हमारी पड़ताल में ये फोटो सही निकला, लेकिन 11 साल पुराना यानी 2007 का निकला. फोटो के पीछे क्या कहानी है, वो भी पूरी आपको बताई.



अगर आपके पास भी ऐसी कोई पोस्ट, फोटो, वीडियो या मैसेज है जिस पर आपको शक है तो आप उसे  lallantopmail@gmail.com,  फेसबुक पर हमारे वेरिफाइड पेज The Lallantop
 और हमारे वेरिफाइड ट्विटर हैंडल @TheLallantop
 पर भेज सकते हैं. हम उसकी पड़ताल कर सच्चाई पता करेंगे.



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