ट्रायल में ट्रेन 180 किलोमीटर के रफ़्तार से दौड़ती नज़र आई. सब कुछ बढ़िया होता जा रहा था फिर एक दिन अधिकारियों ने गौर किया कि बाकी सब कुछ तो ठीक है, ट्रेन में खाना रखने के लिए जगह नहीं है. यदि ट्रेन लंबी रूट पर चले तो पैसेंजर अपना खाना कहां रखेंगे और कहां खाएंगे.

ट्रेन 18: निरीक्षण करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल (फोटो twitter/piyushgoyaloffc)
मौजूदा वक़्त में लंबी रूट की ट्रेनों में खाने को लेकर कोच के दोनों ओर जगह बनी होती है. ट्रेन 18 में इतनी कम जगह थी कि खाना रखने को जगह ही नहीं बनी. ऑफिसर ने बताया कि खाने को लिए अब टॉयलेट के नज़दीक या फिर दरवाजे के करीब जगह बनानी पड़ सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस के एक रिपोर्ट के मुताबिक IRCTC ने भी ट्रेन में फूड लोडिंग कैपिसिटी को लेकर कहा है कि ट्रेन 18 की कैपिसिटी शताब्दी ट्रेनों की तुलना में एक तिहाई कम है. मामले को लेकर रेलवे बोर्ड ने IRCTC को बताया कि इसे ठीक कर लिया जाएगा. इसके लिए दो सीट हटाई जा सकती हैं. IRCTC चाहती है कि ट्रेन 18 में गतिमान एक्सप्रेस की तरह ही फूड स्टोर को लेकर जगह हो और ट्रॉली के जरिए आसानी से खाना सर्व किया जा सके.

ट्रायल के दौरान ट्रेन 18 (फोटो twitter/airnewsalerts)
ट्रेन को दिसंबर के आखिर में लॉन्च किया जाना था लेकिन कई कारणों से ऐसा नहीं हो सका है. अब ऐसा लग रहा है कि ट्रेन 18 को दौड़ने में अभी और वक़्त लग सकता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि रेलवे ट्रेन 18 को दिल्ली-बनारस के बीच चलाना चाहती है और इस रूट के ट्रैक में कई जगह तकनीकी दिक्क्तें आ रही हैं. इसके साथ ही रेल मंत्रालय ने अभी तक आधिकारिक तौर पर ट्रेन लॉन्च करने की तारीख नहीं बताई है.
एक्सप्रेस की ही रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेन को लेकर एक और पेच फंस रहा है. पेच है पावर क्लीयरेंस को लेकर. किसी भी नई ट्रेन की फुल लॉन्चिंग से पहले EIG बोले तो सरकारी इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर से क्लीयरेंस की जरूरत होती है. इस मामले को चीफ कमिशनर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CCRS) ने सेफ्टी सर्टिफिकेट देने से पहले उठाया है. रेल मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया है कि ट्रेन को विभाग से सारी हरी झंडियां मिलने के बाद ही लॉन्च किया जाएगा.
वीडियो: देश की सबसे तेज बनी ट्रेन-18 के फीचर जान लीजिए