ये अवॉर्ड पत्रकारिता के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे युवाओं को मोटिवेट करने के लिए हर साल दिया जाता है. ज्यूरी में शामिल और अवॉर्ड समारोह के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर पुष्पेश पंत ने बताया कि इसे दैनिक हिन्दुस्तान के पूर्व एडिटर दिवंगत हरिकृष्ण त्रिवेदी की याद में दिया जाता है. सैरेमनी का ये तीसरा साल है. सम्मान राशि 1.5 लाख रुपए है.अनिमेष राइटर, कवि और डाक्यूमेंट्री फिल्ममेकर भी हैं. बंगाल मूल के हैं. फ़र्रुख़ाबाद में रहे हैं. उनके काम में उल्लेखनीय है पिछले साल आई डॉक्यूमेंट्री Maletha Uncrushed - Mothers of Mountains जो उत्तराखंड के एक गांव मलेथा में गैर-कानूनी खनन के खिलाफ़ स्थानीय महिलाओं के आन्दोलन पर आधारित है. इंटरनेशनल ओपन फिल्म फेस्टिवल ऑफ न्यू यॉर्क में भी इसमें शामिल किया गया था. पुष्पेश पंत ने 'दी लल्लनटॉप' के लिए किए अनिमेष के काम की सराहना की. खासतौर पर अलेप्पो पर लिखी स्टोरी, मणिपुर के हालातों पर लिखे आर्टिकल और संगीत पर लिखे एक खूबसूरत पीस की. ये भी संतोष ज़ाहिर किया कि पहली बार दूरदर्शन और रेडियो के बाहर ये पुरस्कार जा रहा है. पंत ने कहा कि नए कलेवर, नए तेवर की हिंदी में जो काम लल्लनटॉप कर रहा है वो सराहनीय है. ये अवॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक के अलावा प्रिंट के पत्रकारों को दिया जाता है. प्रिंट के लिए इस साल यतीन्द्र मिश्र को ये पुरस्कार दिया जा रहा है. उनकी कृति 'फैज़ाबाद शहरनामा' के लिए. उनकी 'सुर की बारादरी' और 'लता सुरगाथा' जैसी कृतियां भी चर्चित रही हैं. अनिमेष को विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में लगातार सार्थक रचनात्मक सक्रियता के लिए ये पुरस्कार दिया जा रहा है. इस पुरस्कार के लिए अधिकतम आयु 40 साल हो सकती है. इस बार ज्यूरी में पुष्पेश पंत, शरद दत्त, लीलाधर मांडलोई, मृणाल पांडे और कवयित्री अनामिका शामिल थे.

अनिमेष की कुछ स्टोरीज़ यहां पढ़ सकते हैंः