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पैलेट गन का इस्तेमाल = बीवी को पीटना: CRPF चीफ

कश्मीर में पैलेट गन का इस्तेमाल कब बंद करेंगे, इस सवाल का अजीब जवाब दिया CRPF मुखिया ने.

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दुर्गा प्रसाद
CRPF के डायरेक्टर जनरल दुर्गा प्रसाद के एक बयान पर बवाल हो गया है. बात हो रही थी कश्मीर में लगे कर्फ्यू और पेलेट गन के इस्तेमाल के बारे में. दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में दुर्गा प्रसाद ने 'पत्नियों' की मिसाल देते हुए एक गड़बड़ सा बयान दे दिया. समाज में अपने प्रति लोगों के नजरिये से औरतें पहले से ही त्रस्त हैं. ऐसे में एक जिम्मेदार आदमी की तरफ से कोई बयान नई दिक्कतों को पैदा कर देता है. पर जल्दबाजी में अपने विचार बना लेना भी ठीक नहीं है. पहले उनकी बात को हर एंगल से नापेंगे-तौलेंगे, फिर बोलेंगे.

इंटरव्यू में ये सवाल आया: कश्मीर में पैलेट गन का इतना ज्यादा इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं?

दुर्गा प्रसाद: ये तो वही बात हुई कि कोई पूछे कि आप कब अपनी पत्नी को पीटना बंद कर देंगे या क्या आपने पीटना बंद कर दिया है? हम उपद्रवी भीड़ से निपट रहे हैं. प्रेशर जैसी कोई बात नहीं है. पैलेट गन पर होम मिनिस्ट्री ने कमेटी बनाई है. बात चल रही है, रिसर्च हो रहा है. कम नुकसान वाले तरीकों पर भी चर्चा कर रहे हैं.

बात का पहला मतलब: इस बात से एक अंदाज़ा लगता है कि 'पत्नियों की पिटाई' एक बहुत ही साधारण बात है. ब्रश करने या जूते साफ़ करने जैसा. कोई पूछे कि कब तक पीटोगे? 'अभी पीटेंगे जी, अभी पीटेंगे. सोच रहे हैं दीवाली तक.' बात का दूसरा मतलब: भारत में कश्मीर की हैसियत एक 'पत्नी' की तरह है. भारत 'जैसे' चाहे, वैसे 'रखेगा'. 'बीवी हो, बीवी की तरह रहो.' बात का तीसरा मतलब: देश में चाहे कश्मीर का मसला हो या 'पत्नी को पीटने' की बात, दोनों में ही जनता का बड़ा कैजुअल सा नजरिया है. 'हां, कुछ लोग मरे हैं.' 'हां, आज पीट दिए.' जैसे मरने वाला या पिटने वाला इंसान कुछ महसूस नहीं करता है. बात का चौथा मतलब: अगर किसी से ये पूछा जाये कि 'आप अपनी पत्नी को पीटना कब बंद करेंगे?' तो कोई इन्सान जवाब नहीं दे पायेगा. अगर आप कहें कि बंद कर दिया है, तो इसका मतलब है कि 'आप पीटते थे'. ये इल्जाम लेकर आप किस को मुंह दिखायेंगे? अगर आप कहें कि 'नहीं जी, अभी तो बंद करने का कोई इरादा नहीं है', तो आप का कोई इलाज नहीं है. बात का पांचवां मतलब: 'ये हमारे घर की बात है. हम इससे निपट लेंगे. आप चिंता मत करिए.' तो एक बात के कई मतलब आराम से निकाले जा सकते हैं. पर कुछ भी बोलने से पहले हमें सारी संभावनाओं को देख लेना होगा. आज-कल हमें आदत पड़ गयी है कि किसी का एक शब्द सुनकर ही हम उसके बारे में अपनी राय बना लेते हैं. पहले जरूरी है कि हम पूरी बात सुनें. फिर अपने विवेक से उस बात की व्याख्या करें. हमने दुर्गा प्रसाद की बात के कई मतलब लगाये हैं. आप पढ़ के अपनी राय खुद बनाइये. हालांकि दुर्गा प्रसाद ने इस बात के लिए माफ़ी मांग ली है. कहा है कि मेरा औरतों का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था. मैं माफ़ी मांगता हूं. अब क्या सोच के उन्होंने बयान दिया था, वही जानते हैं. पर एक समझदार आदमी की तरह माफ़ी मांग ली है. पर बात तो बात है. बात से ही हर बात निकलती है.
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