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नूपुर शर्मा के बयान से पहले कब-कब मुस्लिम देशों ने 'इस्लामोफोबिया' को लेकर भारत से जताई आपत्ति?

तबलीगी जमात और तेजस्वी सूर्या के एक ट्वीट पर भी अरब देशों में मच चुका है बवाल.

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बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या और तबलीगी जमात के सदस्य (फाइल फोटो)

पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी ने अब वैश्विक रूप से विवाद का रूप ले लिया है. कई मुस्लिम बहुल देश भारत से नाराजगी जता रहे हैं. कतर, ईरान सहित कुछ देशों ने भारतीय राजदूतों को तलब कर विरोध जताया. बीजेपी ने टिप्पणी करने वाले दोनों नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल पर कार्रवाई की. नूपुर को सस्पेंड किया गया. वहीं नवीन जिंदल को पार्टी से निकाल दिया गया. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब अरब देशों ने इस्लाम से जुड़े मुद्दों को लेकर भारत के प्रति अपनी नाराजगी जताई है.

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तबलीगी जमात का विवाद

मार्च 2020. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में कई देशों से तबलीगी जमात के सदस्य इकट्ठा हुए थे. उस समय देश में कोरोना वायरस संक्रमण पहुंच चुका था. हालांकि भारत सरकार ने उस वक्त तक इसे लेकर कोई सख्ती नहीं अपनाई थी. केंद्र सरकार ने 25 मार्च, 2020 से कोविड से बचाव के लिए पहला लॉकडाउन लगाया था. इसके बाद तबलीगी जमात मरकज (मुख्यालय) में कई लोग फंस गए थे. इन्हीं लोगों में कुछ कोविड पॉजिटिव भी हो गए. इसके बाद कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए तबलीगी जमात को जिम्मेदार ठहराया जाने लगा.

हिंदू दक्षिणपंथी संगठन कोविड केस बढ़ने को तबलीगी जमात की 'साजिश' बताने लगे. तबलीगी जमात से एक कदम आगे बढ़ते हुए इसे मुस्लिम समुदाय से भी जोड़ दिया गया. इसके अलावा टीवी चैनलों पर 'कोरोना जिहाद', 'तबलीगी वायरस', 'मानव बम' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाने लगा. तबलीगी जमात के कुछ सदस्यों पर केस भी दर्ज किए गए.

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इसके बाद अरब देशों ने भारत से नाराजगी जाहिर की. 'इस्लामोफोबिया' फैलाने का आरोप लगाया. इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC), कुवैत, UAE और दूसरे देशों ने भारत से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अपील की. अरब देशों की प्रतिक्रिया के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि कोविड-19 धर्म, जाति, रंग, भाषा और सीमा देखकर नहीं फैलता है. उन्होंने कहा था कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में एकता और भाईचारा जुड़ी होनी चाहिए.

तेजस्वी सूर्या के ट्वीट पर बवाल

2020 में ही भारतीय जनता पार्टी के सांसद तेजस्वी सूर्या के एक पुराने ट्वीट को लेकर काफी विवाद हुआ था. 2015 का वो ट्वीट अरब महिलाओं को लेकर था. बाद में वो ट्वीट डिलीट कर दिया गया था. सूर्या ने लेखक तारेक फतेह को कोट करते हुए ट्वीट किया था, 

"पिछले कुछ सैकड़ों सालों में 95 फीसदी अरब महिलाओं को ऑर्गेज्म नहीं मिला. सभी मांओं ने प्यार के बदले सिर्फ सेक्स के जरिए बच्चे पैदा किए."

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अप्रैल 2020 में ही तेजस्वी सूर्या का ये ट्वीट वायरल हो गया. जिसके बाद अरब देशों के कई लोगों ने तेजस्वी के खिलाफ कार्रवाई की अपील की थी. कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग कर सूर्या की संसद सदस्यता रद्द करने की मांग की थी.    

कर्नाटक हिजाब विवाद

पिछले साल दिसंबर में कर्नाटक के एक कॉलेज में कुछ छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद शुरू हुआ था. उडूपी जिले में हिजाब पहनने के कारण 6 छात्राओं को क्लास अटेंड करने से रोका गया. कई दिनों तक लगातार क्लास में आने से रोके जाने के बाद उन लड़कियों ने विरोध जताना शुरू किया. इसके काउंटर में, जनवरी महीने में चिकमगलूर के एक सरकारी कॉलेज में कुछ छात्र भगवा स्कार्फ बांधकर पहुंच गए थे. विवाद के चलते मौलिक अधिकार और स्कूलों में धार्मिक पहनावे को लेकर बहस छिड़ गई. मामला हाई कोर्ट तक गया. 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि हिजाब पहनना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है और छात्राएं यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकती हैं.

इस विवाद को लेकर भी अरब देशों ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी. कुवैत के सांसदों ने अपनी सरकार से मांग कर दी थी कि वो भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के सांसदों की देश में एंट्री पर बैन लगाए. इसके अलावा हरिद्वार ‘हेट स्पीच’ को लेकर भी मुस्लिम बहुल देश भारत की आलोचना कर चुके हैं. इस कार्यक्रम में हिंदुत्व संगठनों के नेताओं ने कथित रूप से मुसलमानों के जनसंहार की अपील की थी.

वीडियो: गुजरात में ओवैसी ने मुसलमानों से क्या-क्या अपील की?

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