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कंटेम्प्ट के किस मामले में महाराष्ट्र के गवर्नर कोश्यारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है?

हाई कोर्ट ने भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ कंटेम्प्ट का नोटिस जारी किया था

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महाराष्ट्र के गवर्नर और उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के लिए सुप्रीम कोर्ट से अच्छी खबर आई है. सुप्रीम कोर्ट ने उन पर चलाए जाने वाले कंटेम्प्ट केस पर रोक लगा दी है. उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोश्यारी सुप्रीम कोर्ट गए थे. उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम उठाया है.
बंगला न छोड़ने पर कोर्ट ने लिया था एक्शन
ये मामला कोश्यारी को देहरादून में मिले बंगले को खाली करने से जुड़ा है. उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर कोश्‍यारी को अलॉट बंगले को हाई कोर्ट ने अवैध करार दिया था, और मार्केट रेट पर किराया वसूलने का आदेश दिया था. कोश्यारी ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी. याचिका में कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं है. ये प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है क्योंकि उनका पक्ष नहीं सुना गया था. इसके अलावा, उन्होंने राज्यपाल होने के नाते संविधान से मिली अदालती कार्रवाई से सरंक्षण का भी हवाला दिया.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है.

पोखरियाल पर भी हुई थी ऐसी कार्रवाई
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगलों का बाजार रेट पर किराया न देने के लिए अवमानना का नोटिस जारी किया था. हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और अन्य सुविधाओं का बकाया 6 माह के भीतर जमा करने को भी कहा था. उत्तराखंड हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ निशंक भी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना कार्रवाई पर रोक लगा दी थी, और इस मामले को अन्य समान याचिकाओं के साथ टैग कर दिया था.
Ramesh Pokhariyal Nishank (1)
उत्तराखंड के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक को भी हाई कोर्ट ने कंटेम्प्ट का नोटिस दिया था.

क्या होता है कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट?
अवमानना की परिभाषा को सिविल और क्रिमिनल दो तरह से समझाया गया है. सिविल कंटेंप्ट बहुत साधारण है. मतलब जब कोई जानबूझ कर कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर देता है तो कोर्ट इसे अपनी अवमानना मानता है. मिसाल के तौर पर अगर कोर्ट ने सरकार के किसी अधिकारी को कोई आदेश दिया. उसने तय वक्त में उस काम पूरा नहीं किया. ऐसे में कोर्ट उस अधिकारी या संबद्ध सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई कर सकता है. इस हिसाब से भगत सिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल निशंक के खिलाफ सिविल कंटेंप्ट का मामला बनता है.
क्रिमिनल कंटेंप्ट का मामला पेचीदा है. इसमें तीन तरह से अवमानना को समझा जाता है.
# लिखे और बोले गए शब्द, चिन्ह या कोई एक्शन जिससे किसी कोर्ट की गरिमा को गिराया जाए या गिराने की कोशिश की जाए. कोर्ट को अपमानित किया जाए या ऐसा करने की कोशिश की जाए.
# किसी भी विधिक प्रक्रिया में बाधा पहुंचाना
# न्याय के प्रशासन में बाधा पहुंचाना

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