कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनके खिलाफ 2018 से चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को रद्द कर दिया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सितंबर 2018 में शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज किया था. ये केस आयकर विभाग की चार्जशीट के आधार पर दर्ज हुआ था. उनपर टैक्स चोरी और करोड़ों रुपये के हवाला कारोबार का आरोप लगा था.
जिस मनी लॉन्ड्रिंग केस में डीके शिवकुमार को जेल हुई उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया
आयकर विभाग की चार्जशीट के आधार पर ईडी ने केस दर्ज किया था. उनपर टैक्स चोरी और करोड़ों रुपये के हवाला कारोबार का आरोप लगा था.

5 मार्च को जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया. कहा कि जांच एजेंसी छापेमारी के दौरान मिले पैसों को मनी लॉन्ड्रिंग से लिंक नहीं कर पाई. ये भी कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत दर्ज केस नियमों के मुताबिक नहीं है. ये कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिवकुमार के खिलाफ चल रहे केस को खत्म कर दिया.
इसी मामले में जेल गए थे डीकेअगस्त 2017 में आयकर विभाग ने डीके शिवकुमार से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. आयकर विभाग ने दावा किया था कि शिवकुमार के दिल्ली वाले घर से 8 करोड़ रुपये और दूसरी जगहों से 2 करोड़ रुपये मिले. ये छापेमारी तीन दिनों तक चली थी. आयकर विभाग ने इस सर्च ऑपरेशन के पीछे की वजह आय से अधिक संपत्ति मामले में डीके के खिलाफ शिकायत बताई थी. तब डीके शिवकुमार कर्नाटक सरकार में ऊर्जा मंत्री थे. साल 2018 में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया.
शिवकुमार ने शुरू से अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया और केस को राजनीति से प्रेरित बताया. हालांकि फिर 31 अगस्त 2019 को ईडी ने डीके शिवकुमार को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया था. चार दिन बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई. करीब 50 दिन तिहाड़ जेल में बिताना पड़ा. दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बाहर आए थे. मई 2022 में ईडी ने PMLA के तहत उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
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गिरफ्तारी से पहले ही डीके शिवकुमार ने ईडी के समन को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. अगस्त 2019 में हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. हाई कोर्ट ने तब कहा था कि आईपीसी की धारा 120(बी) के तहत आपराधिक साजिश के आरोप मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून लगाने के लिए काफी है. इसके खिलाफ शिवकुमार सुप्रीम कोर्ट चले गए थे.
हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि 'आपराधिक साजिश' का आरोप मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत तभी लग सकता है जब ये साजिश भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत तय किए गए अपराधों से जुड़ा हो. कोर्ट ने ये बातें पिछले साल नवंबर के फैसले में ही कही थी. लेकिन तब ईडी ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर दी थी.
डीके शिवकुमार के खिलाफ भले ये केस खत्म हो गया हो, लेकिन उनके खिलाफ मामलों की लिस्ट लंबी है. पिछले साल कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान शिवकुमार ने हलफनामा दाखिल किया था. ये बताता है कि उनके खिलाफ 19 केस दर्ज हैं. इनमें से 10 केस प्रदर्शन करने और रैली निकालने के दौरान दर्ज हुए. वहीं चार मामले इनकम टैक्स से जुड़े हुए हैं. दो केस मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत दर्ज हैं. एक केस कथित रूप से घूस लेने का है. वहीं आय से अधिक संपत्ति के आरोप में सीबीआई और लोकायुक्त ने एक-एक केस दर्ज किया हुआ है.
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