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इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला रोकने को राष्ट्रपति को पत्र, बार एसोसिएशन को पता लगा तो अध्यक्ष को क्या सुना दिया?

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने 13 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा था. इसमें Electoral Bond पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर 'प्रेजिडेंशियल रेफरेंस' के तहत रोक लगाने की मांग की गई थी.

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SCBA अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर दिए गए फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. (फोटो: सोशल मीडिया)

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने 12 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा था. इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले (Electoral Bond SC Verdict) पर 'प्रेजिडेंशियल रेफरेंस' के तहत रोक लगाने की मांग की गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने खुद को उस पत्र से अलग कर लिया है. साथ ही साथ इस पत्र की निंदा भी की है. SCBA की तरफ से कहा गया है,

"सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिशन की कार्यकारी समिति के सदस्यों ने अध्यक्ष आदिश अग्रवाल को ऐसा कोई भी पत्र लिखने का अधिकार नहीं दिया है. यह पत्र ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के लेटरहेड पर लिखा गया और आदिश अग्रवाल ने इसे अपनी व्यक्तिगत क्षमता में लिखा."

SCBA ने आगे लिखा,

"SCBA की कार्यकारी समिति आदिश अग्रवाल के इस कदम और पत्र की सामग्री को माननीय सुप्रीम कोर्ट के इक़बाल को कम करने के प्रयास के तौर पर देखती है और स्पष्ट तौर पर इसकी निंदा करती है."

आदिश अग्रवाल ने क्या-क्या लिखा था?

इससे पहले संविधान के अनुच्छेद 143 का जिक्र करते हुए आदिश अग्रवाल ने लिखा था,

"सुप्रीम कोर्ट को खुद ही ऐसे फैसले नहीं देने चाहिए जिनसे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो, जिनसे भारतीय संसद की महिमा और उसके सदस्यों की सामूहिक बुद्धिमत्ता कमजोर होती हो और राजनीतिक दलों की अपनी लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो."

अनुच्छेद 143 का जिक्र

SCBA के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने राष्ट्रपति मुर्मु से राजनीतिक पार्टियों, कॉर्पोरेट संस्थाओं के अलावा सभी हितधारकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की अपील की थी. संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सार्वजनिक महत्व और लोक कल्याण से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की राय लेने का अधिकार देता है. इसके तहत राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट को लिखित में प्रश्न भेजते हैं. सुप्रीम कोर्ट को अगर उचित लगता है तो वो विचार करने के बाद अपना जवाब राष्ट्रपति को भेज सकता है.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को इस मामले पर सुनवाई की थी. कोर्ट ने SBI की इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर 30 जून तक का समय देने की मांग को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि SBI 12 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा चुनाव आयोग को सौंपे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, SBI ने ये काम कर दिया है. अब चुनाव आयोग को 15 मार्च को शाम 5 बजे तक इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करना है. सुप्रीम कोर्ट ने ही 15 फरवरी को केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया था.

वीडियो: इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किस पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान?