सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar). अभी कांग्रेस से उनके इस्तीफे की चर्चा ठंडी भी नहीं पड़ी थी. गुरुवार, 19 मई को वे बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए. दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में वे पार्टी से जुड़े. चार दिन पहले 14 मई को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. लंबे समय से पार्टी के साथ मनमुटाव चल रहा था. अब बीजेपी में शामिल होने के बाद जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस के साथ कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं था, बल्कि कुछ मुद्दों पर मतभेद हुए जिसके कारण उन्हें अलग होना पड़ा.
कांग्रेस से इस्तीफा देने के चार दिन के अंदर BJP से जुड़े सुनील जाखड़ की कहानी क्या है?
जाखड़ ने कहा कि दुख इसका है कि उन्हें इस बात के लिए कठघरे में खड़ा किया गया क्योंकि उन्होंने पंजाब को जाति-धर्म के नाम पर तोड़ने का विरोध किया.

सुनील जाखड़ ने बीजेपी में शामिल होने के बाद कहा,
"ये कोई आसान काम नहीं होता है. मेरा कांग्रेस से 50 साल का संबंध था. 1972 से अब तक हमारी तीन पीढ़ियां कांग्रेस में रही. सुनील जाखड़ ने राजनीति को कभी निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं किया. हमने कभी तोड़ने का काम नहीं किया. शायद सफलता नहीं मिली हो लेकिन हमेशा जोड़ने का काम किया."
जाखड़ ने कहा कि दुख इसका है कि उन्हें इस बात के लिए कठघरे में खड़ा किया गया क्योंकि उन्होंने पंजाब को जाति-धर्म के नाम पर तोड़ने का विरोध किया. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा. और कहा कि जब हम अपने सिद्धांत और विचारधारा से ही हट जाएं तो यह सही समय होता है कि अपनी यात्रा को लेकर दोबारा सोचें. उन्होंने कहा कि सुनील जाखड़ को आप पद से हटा सकते हैं, लेकिन आवाज को नहीं दबा सकते हैं.
चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणाजाखड़ 2017-2021 के बीच पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. वे पंजाब की आबोहार विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. 2017 में उन्होंने गुरदासपुर से लोकसभा चुनाव जीता था. सुनील जाखड़ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के बेटे हैं. बलराम जाखड़ 1980-89 के बीच सबसे लंबे समय तक लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं. सुनील जाखड़ ने 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था. कांग्रेस से तल्खी के कारण फरवरी में ही उन्होंने चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा कर दी थी.
कांग्रेस से उनकी नाराजगी भी विधानसभा चुनाव के दौरान ही खुलकर सामने आई थी. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से उनकी तल्खी तब और बढ़ी, जब मुख्यमंत्री के संभावित नामों से उनका नाम गायब था. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी में जगदीश टाइटलर को परमानेंट इनवाइटी बनाये जाने का भी विरोध किया था. जगदीश टाइटलर पर 1984 के सिख विरोध दंगों में शामिल होने का आरोप है.

इस साल जनवरी में एक और वाकया हुआ, जब जाखड़ ने अपनी ही कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब दौरे पर थे. फिरोजपुर में काफिले को प्रदर्शनकारियों के कारण रोकना पड़ा था. इसे लेकर बीजेपी ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया था. इसी क्रम में जाखड़ भी सरकार की आलोचना से नहीं चूके.
दो साल के लिए पार्टी से सस्पेंडजाखड़ लगातार अंबिका सोनी, पंजाब के पूर्व प्रभारी हरीश रावत और मौजूदा प्रभारी हरीश चौधरी पर हमला बोलते रहे. पंजाब चुनाव के बाद उन्होंने पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को घेरा और उन्हें कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदार बता दिया.
जाखड़ के बयानों के कारण कांग्रेस ने 11 अप्रैल को उन्हें शो-कॉज नोटिस जारी किया. पार्टी लाइन पर नहीं चलने और सीनियर नेताओं के खिलाफ बयानों पर एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा गया. जाखड़ ने इस नोटिस का कभी जवाब नहीं दिया. वे कहते रहे कि नोटिस जारी करने के बदले पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को उनसे बात करनी चाहिए. जिसके बाद कांग्रेस ने 26 अप्रैल को उन्हें 2 सालों के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया.
सुनील जाखड़ ने कांग्रेस से इस्तीफा तब दिया था, जब राजस्थान में कांग्रेस की चिंतन शिवर चल रही थी. उन्होंने फेसबुक लाइव पर इस्तीफे की घोषणा की थी. इस दौरान जाखड़ ने राहुल गांधी को एक 'अच्छा व्यक्ति' बताया था और उन्हें फिर से पार्टी की कमान संभालने की अपील की थी. साथ ही उन्होंने गांधी परिवार को 'चापलूस लोगों' से दूर रहने की नसीहत दे दी.
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