दक्षिण अफ्रीका में G20 समिट में ग्लोबल लीडर्स ने भारी बहुमत से एक साझा ‘लीडर्स डिक्लेरेशन’ को अपना लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी और अमेेरिकी बॉयकाट के साथ G20 के नेताओं ने इस डिक्लेरेशन को स्वीकार किया गया. इसमें जलवायु संकट समेत दुनियाभर की अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए रास्तों का जिक्र किया गया है.
PM मोदी की मौजूदगी में दक्षिण अफ्रीका में G20 डिक्लेरेशन पर मुहर लगी, अमेरिका ने बॉयकाट किया है
South Africa G20 Summit: वॉइट हाउस के एक अधिकारी ने बाद में इस घोषणा को ‘शर्मनाक’ बताया. अमेरिका का कहना है कि इसमें ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जिसका वो लंबे समय से विरोध करता आ रहा है.


122 पॉइंट के लीडर्स डिक्लेरेशन को अमेरिकी इनपुट के बिना ही तैयार किया गया था, क्योंकि उसने इस बैठक का बहिष्कार किया और ड्राफ्टिंग में हिस्सा नहीं लिया. अमेरिकी बॉयकाट के बावजूद अपनाए गए इस डिक्लेरेशन पर अमेरिका बुरी तरह भड़का हुआ है. यहां तक कि वॉइट हाउस के एक अधिकारी ने इसे 'शर्मनाक' कदम बता दिया.
दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस डॉक्यूमेंट पर ‘फिर से बातचीत नहीं की जा सकती’. उन्होंने तर्क दिया कि ये महीनों की मेहनत और बहुत सोच-विचार के बाद तैयार किया गया है. प्रवक्ता ने ये भी कहा कि अन्य सदस्यों के बीच इस पर ‘भारी सहमति’ (overwhelming consensus) बन गई है.
इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, बातचीत से परिचित चार सूत्रों ने बताया कि G20 दूतों ने अमेरिका की भागीदारी के बिना ही मसौदा तैयार कर लिया. इसमें जलवायु परिवर्तन की गंभीरता, रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े टारगेट के समर्थन और गरीब देशों की कर्ज चुकाने से जुड़ी चिंताओं का जिक्र है.
वॉइट हाउस के एक अधिकारी ने बाद में इस घोषणा को ‘शर्मनाक’ बताया. क्योंकि इसमें ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जिसका अमेरिका लंबे समय से विरोध करता रहा है. इससे इस घटना को लेकर साउथ अफ्रीका और ट्रंप प्रशासन के बीच तनाव का पता चलता है.
दरअसल, जलवायु परिवर्तन का जिक्र अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के रुख से बिल्कुल मेल नहीं खाता. वो इस मुद्दे को लेकर बहुत सीरियस नहीं दिखते. कई जानकारों ने अमेरिका में दूसरी बार सत्ता आने पर जलवायु परिवर्तन को लेकर ट्रंप के संभावित कदमों पर चिंता भी जताई थी. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि वे घोषणापत्र में ग्लोबल वार्मिंग के किसी भी जिक्र का विरोध करेंगे.
इससे पहले, ट्रंप दावा कर चुके हैं कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार श्वेत नागरिकों को निशाना बनाती है. हालांकि, उन्होंने अपने दावे को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं दिया है. ट्रंप ने समिट के लिए दक्षिण अफ्रीका के एजेंडे को भी खारिज कर दिया था, जिसमें विकासशील देशों को खराब मौसम का सामना करने, स्वच्छ ऊर्जा के लिए सिस्टम में बदलाव करने और कर्ज का प्रबंधन करने में मदद करने पर फोकस करने की बात कही गई थी.
दक्षिण अफ्रीका ने श्वेत नरसंहार के दावों को मजबूती से खारिज किया है. देश ने जोर देकर कहा है कि समिट अमेरिका के साथ या उसके बिना भी जारी रहेगा. हालांकि, अमेरिकी बायकॉट ने दक्षिण अफ्रीका की पहली G20 अध्यक्षता के महत्व और वैश्विक मदद की उसकी कोशिशों को कमजोर जरूर कर दिया है.
दक्षिण अफ्रीका को 2026 के लिए G20 की अध्यक्षता अमेरिका को सौंपनी है. रामफोसा ने कहा कि ये कार्यभार एक ‘खाली कुर्सी’ को सौंपा जाएगा. हालांकि, अमेरिका ने प्रस्ताव दिया था उसके एक प्रभारी को G20 की अध्यक्षता सौंपी जाए, जिसे साउथ अफ्रीका ने नामंजूर कर दिया.
वीडियो: G20 में बनी प्रगति मैदान टनल डूबी, दिल्ली एयरपोर्ट की छत गिरी, जनता के पैसे का ये कैसा मजाक?











.webp)
_(1).webp)

.webp)



