"अग्नि-5 का पहला सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को 5500 किलोमीटर की मारक क्षमता के साथ किया गया था. मोदी सरकार ने इसकी रेंज 500 KM कम कर दी."ये ट्वीट आया और लोग कूद पड़े. कुछ ने कांग्रेस को ही मिसाइल ज्ञान दे दिया तो कुछ ने खूब मजे लिए. पुरु शाह नाम के यूज़र ने मिसाइल के फीचर्स से जुड़ी जानकारी शेयर की. साथ में कांग्रेस सेवा दल के ट्वीट का ये जवाब दिया- ज़रा पढ़ लो गंवारों.
"अगर मैं राहुल गांधी को एक सलाह दे सकता हूं, तो मैं उनसे एक निजी जांच एजेंसी किराए पर लेने और कांग्रेस की एसएम विंग के लिए काम करने वाले सभी लोगों की जांच करने का आग्रह करूंगा. ये लोग ठीक वही करते हैं जो बीजेपी उनसे कराना चाहती है, या तो उन्हें बीजेपी से रुपए मिलते हैं या इससे भी बदतर, वे मुफ्त में बीजेपी के लिए काम करते हैं."
अब मजेदार ट्वीट भी देख लीजिए.
आधिकारिक तौर पर एक ICBM मिसाइल की रेंज या मारक क्षमता कम से कम 5500 किमी होनी चाहिए. अग्नि-5 इसके काफी करीब है. इसलिए इसे ICBM श्रेणी की मिसाइल कहा जा सकता है. इस मिसाइल में तीन ग्रेड वाले सॉलिड ईंधन का इंजन है. जिसकी बदौलत ये बहुत सटीकता के साथ टार्गेट पर प्रहार कर सकती है.
5000 किलोमीटर की मारक क्षमता होने के चलते इस मिसाइल की रेंज के अंदर लगभग पूरे चीन की सीमा आती है. मिसाइल लगभग 1500 किलो वजन का लोड ले सकती है और इसमें परमाणु बम भी लगाया जा सकता है. ये खूबियां इसे देश की सबसे शक्तिशाली मिसाइलों में से एक बनाती हैं. साथ ही ये इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि हाल में हाइपरसॉनिक मिसाइलों का परीक्षण करने वाला चीन भी इस बात से बखूबी वाक़िफ़ है कि भारत के पास एक सक्षम ICBM मिसाइल है.
तो इसका क्या मतलब हुआ, क्या अगर कभी युद्ध होता है तो भारत इसका किसी पर भी इस्तेमाल कर सकता है?
ऐसा नहीं है. अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत की घोषित परमाणु नीति के तहत किया गया है जो "क्रेडिबल मिनिमम डेटरेन्स" पर आधारित है. मतलब भारत इसका पहले इस्तेमाल नहीं कर सकता है. लेकिन अगर कोई और देश इसका इस्तेमाल भारत पर करता है तो भारत भी ऐसा कर सकता है.

अग्नि-V की फ़ाइल फ़ोटो.
सरकार के मुताबिक़ अग्नि-5 की अधिकतम सीमा लगभग 5000 किमी है. लेकिन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO की कई रिपोर्टों से पता चलता है कि ये 8000 किमी तक भी पहुंच सकती है. DRDO के मुताबिक़ अग्नि-5 को अब तक 10 से भी ज़्यादा बार लॉन्च किया जा चुका है. 19 अप्रैल 2012 को जब इसे पहली बार लॉन्च किया गया था, तब मिसाइल ने 5000 से भी ज़्यादा किलोमीटर की दूरी तय की थी. लेकिन 18 जनवरी 2018 को हुए परीक्षण में इस मिसाइल ने 4900 किलोमीटर की दूरी तय की थी.
रिपोर्टों के मुताबिक मिसाइल रेंज कम होने के पीछे तकनीकी कारण भी होते हैं. मसलन मिसाइल की रेंज इस बात पर भी निर्भर करती है कि इस पर पेलोड यानी कि कितना वजन है. जितना ज़्यादा वजन, उतनी कम रेंज.
बहरहाल, भारत ने अग्नि-5 का परीक्षण ऐसे समय में किया है जब हाल में चीन द्वारा हाइपरसॉनिक मिसाइलों का परीक्षण किए जाने की रिपोर्ट ने पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल मचाई हुई है. बताया गया है कि इन मिसाइलों की मारक क्षमता 4000 किलोमीटर से लेकर 12 हजार किलोमीटर तक है. यानी उनकी पहुंच भारत से लेकर अमेरिका तक है.