The Lallantop

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने क्यों लिखा- 'मोदी है तो मुमकिन है'?

गुजरात में CM बदलने पर तगड़ा तंज किया है

Advertisement
post-main-image
शिव सेना के मुखपत्र सामना में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के काम करने के तरीके पर संपादकीय लिखा है. (तस्वीर: पीटीआई)
मोदी है तो मुमकिन है! ये नारा BJP की तरफ से अक्सर लगता है. लेकिन इस बार ये नारा शिवसेना का मुखपत्र 'सामना' (Saamana ) लगा रहा है. असल में वो इस नारे के जरिए BJP पर तंज कस रहा है. सामना में 18 सितंबर को छपे संपादकीय में लिखा गया है कि जेपी नड्डा को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से पार्टी में लगातार बदलाव हो रहे हैं. PM मोदी के मन में जो है, वो जेपी नड्डा के जरिए करवाया जा रहा है. नड्डा के ही जरिए उत्तराखंड और कर्नाटक के CM बदले गए. उसके बाद एक झटके में गुजरात का CM भी बदल दिया गया. वहां तो पूरे मंत्रिमंडल का नवीनीकरण कर दिया गया. आइए जानते हैं कि इस तंज भरे लेख में क्या लिखा गया है? 'मोदी रास्ते के कांटे खुद ही साफ कर रहे हैं' संपादकीय में गुजरात में अचानक सरकार बदलने और पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले की समीक्षा की गई है. साथ ही ये भी बताया गया है कि आनन-फानन में ऐसा क्यों किया गया. संपादकीय में लिखा है कि -
"विजय रूपाणी के पीछे अमित शाह का समर्थन था, परंतु रूपाणी व उनके पूरे मंत्रिमंडल को घर का रास्ता दिखाकर मोदी-नड्डा की जोड़ी ने एक जोरदार राजनीतिक संदेश अपनी पार्टी को दिया है. ढलते हुए मुख्यमंत्री नितिन पटेल खुद को ‘हैवी वेट’ समझते थे. रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया तब भी यही नितिन पटेल मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे. अब रूपाणी को किनारे कर दिया गया तब भी वही मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. उस पर वे गुजरात में पाटीदार समाज के महत्वपूर्ण नेता हैं और पाटीदार समाज में उनका वजन है. नए मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री पटेल के साथ 14 मंत्री पाटीदार समाज और ओबीसी समाज के हैं. यह साहस का काम होगा, फिर भी अपनी पार्टी में ऐसा साहसी कदम मोदी ही उठा सकते हैं. मोदी अब 70 साल के हो गए हैं. इसलिए उनके कदम अधिक दमदार ढंग से बढ़ रहे हैं और रास्ते के कांटे वे खुद ही साफ कर रहे हैं."
'मोदी ने 2024 की तैयारी शुरू कर दी है' सामना के मुताबिक पीएम मोदी ने अभी से ही 2024 के आम चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए ही बड़े फेरबदल किए जा रहे हैं. इसके साथ ही सामना में सीनियर नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में भेजने की रणनीति पर भी टिप्पणी की गई है. सामना लिखता है कि
"मोदी के राष्ट्रीय राजनीति का सूत्रधार बनते ही उन्होंने पार्टी के कई पुराने-प्रसिद्ध नेताओं को दूर करके मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया. अर्थात ये मार्गदर्शक मंडल जरूरत भर के लिए न होकर उपकार भर के लिए ही रखा. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी भी इसी मार्गदर्शक मंडल में बैठे हैं. रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर पर भी मंत्री पद गंवाने की नौबत आई. मोदी ने 2024 के आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है और उस काम की कमान अपने पास रखने का निर्णय लिया है. देश में कुल मिलाकर असमंजस की स्थिति है."
मोदी बीजेपी का चेहरा, बाकी सब मुखौटे सामना में कहा गया है कि भले ही अमित शाह को एक चमत्कारी नेता बताया गया हो लेकिन ऐसा है नहीं. पार्टी के पास भरोसा जताने के लिए सिर्फ एक ही चेहरा है और वो हैं मोदी. सामना लिखता है.
"अमित शाह कोई भी चमत्कार कर सकते हैं, इस तरह से प्रचार मुहिम चलाई गई. परंतु अमित शाह के दौर में महाराष्ट्र में 25 साल पुराना भाजपा-शिवसेना गठबंधन खंडित हुआ. अब तो भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ रहा है. प. बंगाल में भी नाश हो गया. जेपी नड्डा के जरिए नरेंद्र मोदी ने मरम्मत का काम शुरू किया होगा, जो कि इसी वजह से. मोदी ही भारतीय जनता पार्टी का वास्तविक चेहरा हैं और बाकी सब फटे हुए मुखौटे हैं. मोदी का चेहरा नहीं होगा तो भाजपा के वर्तमान कई नाचने वाले मुखौटे नगरपालिका के चुनाव में भी पराजित हो जाएंगे. तीन राज्यों के मुख्यमंत्री मोदी-नड्डा जोड़ी ने बदल दिए. मध्य प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा के मुख्यमंत्री पर मोदी-नड्डा की पैनी नजर है. मोदी ने गुजरात में सब कुछ बदल दिया. इस खौफ से पार्टी को उबरने में वक्त लगेगा और यही प्रयोग उनकी सरकार रहित प्रदेशों में भी हो सकता है. ‘मोदी है तो मुमकिन है’ यहां इतना ही!
बता दें कि मराठी अखबार सामना का प्रकाशन 23 जनवरी 1988 में शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने शुरू किया था. महाराष्ट्र का सीएम बनने से पहले उद्धव ठाकरे ही इस अखबार के प्रमुख संपादक थे. फिलहाल सामना हिंदी की संपादक उनकी पत्नी रश्मि उद्धव ठाकरे हैं.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement