ओलम्पिक चल रहा है. और हर बार की तरह इस बार भी नए-नए रंग ढंग देखने को मिल रहे हैं. खेल के भी और खिलाड़ियों के भी. देर रात (यहां के हिसाब से एकदम भोरे में) लड़कियों की 400 मीटर की रेस का फाइनल हुआ.
शॉने मिलर जीत गईं. खबर ये नहीं है कि शॉने मिलर जीती हैं. खबर तो असल में ये है कि वो जीती कैसे हैं.
शॉने मिलर बहामास की स्प्रिंट रनर हैं. 400 मीटर की दौड़ में वो आगे तो चल रही थीं लेकिन अंतिम क्षणों में यूएसए की
एलिसन फेलिक्स ने उन्हें पछाड़ना शुरू कर दिया. फेलिक्स ने शॉने मिलर को एक पल के लिए लगभग हरा ही दिया था. वो भी फिनिश लाइन के एकदम नज़दीक. लेकिन तभी शॉने मिलर को न जाने क्या सूझा, वो कूद पड़ीं. एकदम वैसे जैसे स्विमिंग करने वाला आदमी पूल में कूदता है. गिरी नहीं, कूद पड़ीं. और फर्स्ट आ गयीं. गोल्ड मेडल जीत गयीं. वीडियो देखो, फिर आगे की बात करेंगे. https://twitter.com/hgomez27/status/765385032886202369 रेस में होता ये है कि आपकी रेस के खतम होने के लिए आपके कमर के ऊपर के हिस्से को पूरी तरह से फिनिश लाइन के उस पार होना चाहिए. जब ऐसा हो जायेगा, उस वक़्त आपके टाइम को रिकॉर्ड किया जायेगा और फिर आपकी पोज़ीशन पता चलेगी. हालांकि दौड़ते-दौड़ते इस तरह डाइव लगाने को ज़्यादा अच्छा तो नहीं बताया जाता है लेकिन शॉने मिलर को इस केस में फ़ायदा मिल गया और एलिसन फ़ेलिक्स सिल्वर गोल्ड ही ला पाईं. अब हुआ ये कि इन सभी बातों का असर ट्विटर पे भी दिखा. बड़ी भोली जनता है साहब ट्विटर की. एकदम गाय. बस चारा दिखा दो, बिज़ी हो जाती है. वही इस बार भी हुआ. जुट पड़े सब शॉने मिलर की इस गोल्ड मेडल जिताने वाली डाइव पर विश्लेषण करने. किसी ने सबसे पहले शॉने मिलर के विकीपीडिया पेज पर जाकर उनका बायो ही बदल डाला. कह दिया कि वो स्प्रिंटर नहीं डाइवर हैं.

और फिर एक कैंडिड कमेंट्री: https://twitter.com/bayou/status/765375469688676352 लेकिन सबसे ज़्यादा मज़ा तब आया जब मिलर को सुपरगर्ल बना दिया गया:

फ़ोटोशॉप जिंदाबाद

और फिर मसखरी करने वालों को किसने रोका है? https://twitter.com/chillin662/status/765393477756682240