साल 2002. इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर थी. पहले दो वनडे मैचों में सचिन और गांगुली ने ओपनिंग की. मगर तीसरा वनडे चेन्नई में था और यहां इंग्लैंड के 217 के जवाब में सचिन के साथ सौरव गांगुली नहीं बल्कि नंबर 6 या 7 पर बैटिंग करने वाले वीरेंद्र सहवाग को उतारा गया. दोनों आए और पहले विकेट के लिए 107 रनों की पार्टनरशिप कर दी. इंडिया मैच जीत गया. अगला मैच कानपुर में था. इंग्लैंड के 218 के स्कोर के जवाब में सचिन सहवाग ने 134 रनों की ओपनिंग पार्टनरशिप कर दी. मैच जीत गए और सहवाग को मैन ऑफ द मैच दिया गया.2002 में इंडिया सचिन-सहवाग की ओपनिंग जोड़ी को परख चुका था और अगले साल यानी 2003 की शुरुआत में वर्ल्ड कप भी था. इंडिया की ओपनिंग जोड़ी से लगातार छेड़छाड़ हो रही थी. जून में जब इंग्लैंड में नेटवेस्ट सीरीज हुई तो गांगुली और सहवाग ओपनिंग करते दिखे थे. और उधर सचिन भी रन नहीं बना पा रहे थे. आखिरकार टीम 2003 में वर्ल्ड कप के लिए साउथ अफ्रीका पहुंच गई. यहां हुए दो शुरुआती प्रैक्टिस मैचों में सचिन ने चौथे नंबर पर बैटिंग की थी और उनके बल्ले से रन नहीं निकले थे.

दोनों ने 93 वनडे पारियों में ओपनिंग की.
इस पर सचिन इस इंटरव्यू में कहते हैं, " कोच जॉन राइट परेशान हो गए थे. वो होटल में मेरे कमरे में आए और मुझसे पूछा- तुम किस नंबर पर खेलना चाहते हो? सचिन ने जवाब दिया-जिस भी नंबर पर टीम चाहती है. फिर जॉन राइट ने कहा, नहीं नहीं, तुम बताओ. तुम किस नंबर पर खेलना चाहते हो? तो सचिन ने कहा कि मेरी निजी राय है कि मुझे ओपनिंग करनी चाहिए. मैं ओपनिंग करना चाहता हूं.
वर्ल्ड कप शुरू हो गया. पहला मैच हॉलैंड के साथ था. सचिन और गांगुली ने ओपनिंग की. मैच जीते. अगला मैच था ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जिसमें टीम 120 पर ऑल आउट हो गई. यहां इंडिया में क्रिकेटरों के घरों पर पत्थर बरसने लगे और चौराहों पर पुतले फूंके जाने लगे थे. इस पर सहवाग ने वो किस्सा शेयर किया जो अभी तक बेहद कम लोगों को पता था.
सहवाग कहते हैं," अगला मैच जिम्बाब्वे के खिलाफ था. मैच से पिछली शाम को जॉन राइट ने पूरी टीम को बुलाया और सबको कहा कि वो ओपनिंग जोड़ी के लिए अपनी पसंद एक पर्ची पर लिख कर सामने रखे बॉक्स में डालें. 15 लोगों की टीम में 14 लोगों ने कहा सचिन-सहवाग, एक ने कहा सचिन-गांगुली. इस पर सहवाग हंसकर कहते हैं कि वो शायद अकेले दादा की पर्ची थी."

शो के दौरान सहवाग-सचिन और दूसरी तरफ बैटिंग करते हुए.
सहवाग ने ठहाके लगाते हुए कहा, "सौरव गांगुली और जॉन राइट की ये सास-बहू की जोड़ी थी जो हमें ओपनिंग नहीं करने दे रही थी. अब वर्ल्ड कप में आते आते ये सास-बहू खुश हो गईं थी तो फिर हमें फिर से यहां ओपनिंग करने को मिली." इस तरह शुरू हुआ सचिन-सहवाग की ओपनर जोड़ी का आतंक. इस जोड़ी के बूते टीम उस वर्ल्ड कप में फाइनल तक पहुंची थी. सचिन-सहवाग की इस जोड़ी ने 2002 से 2012 तक 93 बार वनडे में ओपनिंग की. इस दौरान 12 बार सौ से ज्यादा रनों की ओपनिंग पार्टनरशिप और 18 बार 50 से ज्यादा रनों की ओपनिंग साझेदारियां कीं. दोनों ने हैदराबाद में न्यूजीलैंड के खिलाफ 2003 में 182 रनों की ओपनिंग पार्टनरशिप की थी.
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