अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के H-1B वीजा की फीस बढ़ाने के फैसले को अब कोर्ट से भी मंजूरी मिल गई है. अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट जज ने फैसला सुनाया है कि ट्रंप ने फीस बढ़ाने का फैसला अपने कानूनी अधिकार के तहत ही लिया है. ट्रंप के फैसले को यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कोर्ट में चुनौती दी थी.
'अमेरिकियों को अब ज्यादा नौकरियां मिलेंगी', H-1B वीजा की फीस बढ़ाने पर कोर्ट का फैसला आया
US H-1B Visa Fee Hike: डॉनल्ड ट्रंप के फैसले को कोर्ट में चुनौती देते हुए यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा कि उनके पास ऐसी फीस लगाने की शक्ति नहीं थी. हालांकि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने चैंबर के इस तर्क को खारिज कर दिया. डिस्ट्रिक्ट जज ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रपति को अधिकार देने वाले स्पष्ट लीगल नियम के तहत लिया गया था.


मालूम हो कि डॉनल्ड ट्रंप ने सितंबर 2025 में H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर एक लाख अमेरिकी डॉलर करने का आदेश दिया था. इंडिया टुडे के मुताबिक इससे पहले यह फीस तकरीबन 2000-5000 डॉलर तक होती थी. ऐसे में बढ़ी हुई फीस भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था, क्योंकि H-1B वीजा पर सबसे अधिक भारतीय ही अमेरिका में जॉब के लिए जाते हैं.
कोर्ट ने खारिज किए तर्कट्रंप के फैसले को कोर्ट में चुनौती देते हुए यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा कि ट्रंप के पास ऐसी फीस लगाने की शक्ति नहीं थी. साथ ही यह भी कहा कि इससे छोटी कंपनियों के लिए H-1B वीजा की फीस भरना बहुत महंगा हो जाएगा. हालांकि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने चैंबर के इस तर्क को खारिज कर दिया. डिस्ट्रिक्ट जज बेरिल हॉवेल ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रपति को अधिकार देने वाले एक स्पष्ट लीगल नियम के तहत लिया गया था. जज ने यह भी कहा कि इस फैसले से इमिग्रेशन को कम करने और अधिक अमेरिकी कामगारों को नौकरी देने के कदम को मजबूती मिलेगी.
डिस्ट्रिक्ट जज ने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस ने राष्ट्रपति को व्यापक अधिकार दिया है, जिसके तहत वह ऐसे मुद्दों से अपने विवेक से निपट सकते हैं, जिन्हें वह आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मानते हैं. जज ने यह भी कहा कि यह राजनीतिक फैसला है और इस पर पार्टियों की बहस अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. कहा कि जब तक नीतिगत फैसले कानून के दायरे के भीतर लिए जाते हैं, तब तक उन्हें गलत नहीं ठहराया जा सकता.
अभी भी दी जा सकती है चुनौतीहालांकि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रंप प्रशासन के सामने कानूनी चुनौतियां जारी हैं. यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है. चैंबर के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य वकील डेरिल जोसेफर ने मीडिया से कहा कि हम अदालत के फैसले से निराश हैं और आगे के कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. कहा कि इस प्रोग्राम का मकसद अमेरिकी बिजनेसेस को विकास के लिए जरूरी ग्लोबल टैलेंट तक पहुंचने में मदद करना है.
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मालूम हो कि अमेरिका में H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और हेल्थ केयर जैसे क्षेत्रों में विदेशी वर्कर्स हायर किए जाते हैं. फिलहाल अमेरिका हर साल 65,000 वीजा देता है. साथ ही एडवांस्ड डिग्री वाले वर्कर्स के लिए 20,000 अतिरिक्त वीज़ा दिया जाता है. ट्रंप प्रशासन के फीस बढ़ाने के मामले में फिलहाल दूसरे मुकदमे भी चल रहे हैं. आने वाले महीनों में कोई दूसरा जज अभी भी इस पॉलिसी को रोक सकता है. विवाद US सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने की भी संभावना है.
वीडियो: H-1B वीसा की फीस 1 लाख डॉलर किसपर लागू होगी, कौन बचा रहेगा, ट्रम्प प्रशासन ने सब बता दिया












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