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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस बाहर, लेकिन भारत ने इस वोटिंग में हिस्सा क्यों नहीं लिया?

रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर करने के प्रस्ताव पर हुई वोटिंग के दौरान रूस के खिलाफ 93 और पक्ष में 24 वोट पड़े. वहीं भारत समेत 58 देश वोटिंग से बाहर रहे.

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस सस्पेंड ( फोटो: ट्विटर पर शेयर हुएवीडियो का स्क्रीनशॉट/@Geeta_Mohan)

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से सस्पेंड कर दिया गया है. रूस को UNHRC से बाहर निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में 7 अप्रैल को वोटिंग हुई थी. इस मतदान में भारत समेत 58 देशों ने हिस्सा नहीं लिया था. अब सवाल ये उठ रहा है कि भारत ने इस वोटिंग से क्यों दूर रहा? भारत ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में वोट न करने की क्या वजह बताई? लेकिन पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के बारे में जान लीजिए, जिससे रूस को बाहर किया गया है.

क्या काम करती है  UNHRC?

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council) यानी  UNHRC एक संयुक्त राष्ट्र निकाय है. इसका मिशन दुनिया भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है. यह दुनियाभर में मानवाधिकारों की सुरक्षा और जागरुकता के लिए काम करती है. यह मानवाधिकार से संबंधित उन मुद्दों पर विचार करती है, जिन पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है. UNHRC में कुल 47 सदस्य देश शामिल हैं. इनका कार्यकाल तीन साल के लिए होता है. अगर कोई देश लगातार दो कार्यकाल तक सदस्य चुना जाता है, तो इसके बाद उसे तुरंत नहीं चुना जा सकता. इस संस्था को साल 2006 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय जेनेवा में है.

मानवाधिकार परिषद साल में कम से कम तीन नियमित सत्र आयोजित करती है. मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में विशेष सत्र के लिए मतदान कर सकती है. सत्रों के दौरान मानवाधिकार मुद्दों पर बातचीत और प्रस्तावों का मसौदा तैयार किया जाता है. इसे परिषद स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है.

रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर क्यों किया गया?

रूस के खिलाफ इस प्रस्ताव की अगुआई अमेरिका ने की है. यूक्रेन के बूचा से सामने आई नागरिकों के शवों की भयावह तस्वीरों और वीडियो के बाद अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने रूस को मानवाधिकार परिषद से हटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में विशेष बैठक बुलाई थी. मानवाधिकार परिषद में रूस की मौजूदा सदस्यता दिसंबर 2023 में खत्म हो रही थी. रूस इससे बाहर किया गया दूसरा देश है. इसके पहले 2011 में लिबिया को इस संस्था से बाहर किया गया था. जब वहां के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई को अंजाम दिया था.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से एक सदस्य को निलंबित यानी सस्पेंट करने के लिए, 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. इसमें मतदान न करने वाले सदस्य देश की गिनती नहीं की जाती. रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर करने के प्रस्ताव पर हुई वोटिंग के दौरान रूस के खिलाफ 93 और पक्ष में 24 वोट पड़े. वहीं भारत समेत 58 देश वोटिंग से बाहर रहे.

भारत ने रूस के खिलाफ वोटिंग में हिस्सा क्यों नहीं लिया?

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देश अलग-अलग मौकों पर रूस के खिलाफ कई प्रस्ताव पेश कर चुके हैं. इन सभी प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान भारत ने हिस्सा नहीं लिया है. 7 अप्रैल को मानवाधिकार परिषद से रूस के निलंबन प्रस्ताव के वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने की वजह संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने बताई.

टीएस तिरुमूर्ति ने कहा,

यूक्रेनी संघर्ष की शुरुआत से ही भारत शांति, संवाद और कूटनीति के लिए खड़ा रहा है. हमारा मानना ​​​​है कि खून बहाकर और मासूमों की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. अगर भारत ने किसी भी पक्ष को चुना है, तो वह शांति का पक्ष है और ये हिंसा की तुरंत समाप्ति के लिए है.

तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत बिगड़ती स्थिति पर चिंतित है और सभी शत्रुता को समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराता है. जब निर्दोष मानव जीवन दांव पर लगा हो, तो कूटनीति एकमात्र विकल्प के रूप में प्रबल होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बुचा में नागरिकों के मारे जाने की हालिया रिपोर्टें बहुत परेशान करने वाली हैं. उन्होंने कहा,

"हमने इन हत्याओं की स्पष्ट रूप से निंदा की है और स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करते हैं."

रूस का क्या रुख है?

रूस ने इस कार्रवाई को गलत और राजनीति से प्रेरित बताया है. वहीं रूस का ये भी कहना है कि बूचा की जो भी तस्वीरें और वीडियो दिखाए जा रहे हैं, वो गलत हैं. उसका कहना है कि रूसी सैनिकों ने जब बूचा शहर को छोड़ा था, तब सब ठीक था, लेकिन अचानक पश्चिम के दबाव में रूस को बदनाम करने के लिए गलत आरोप लगाए जा रहे हैं. वहीं यूक्रेन रूसी सेना द्वारा बूचा में 400 से ज्यादा लोगों के बेरहमी से मारे जाने का दावा कर रहा है.

कुलमिलाकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस का निष्कासन प्रतीकात्मक तौर पर महत्वपूर्ण है. यह दिखाता है कि पश्चिम और उसके सहयोगी यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के खिलाफ हैं और वैश्विक मंच पर रूस को अलग-थलग करने के पक्ष में हैं.

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