इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) का मामला एक फिर से सुर्खियों में है. उनको न्यायपालिका से बाहर करने के लिए सदन में प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने कहा है कि प्रमुख विपक्षी दल इस प्रस्ताव को समर्थन देने के लिए सहमत हो गए हैं. इसके लिए सांसदों से हस्ताक्षर कराने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है.
जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने पर पक्ष-विपक्ष सब सहमत, अब इस प्रक्रिया के तहत होगी कार्रवाई
Justice Yashwant Varma को हटाने का प्रस्ताव सदन में पास हो जाता है, तो नियम के अनुसार, आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी. इस दौरान क्या होगा? सब जानिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सरकार ने अभी ये तय नहीं किया है कि ये प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जाएगा या राज्यसभा में. लोकसभा में पेश करने के लिए कम से कम 100 सांसदों का समर्थन चाहिए. जबकि राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि पहले ये तय किया जाएगा कि इसे किस सदन में पेश किया जाएगा. इसके बाद सांसदों के हस्ताक्षर जमा किए जाएंगे.
21 जुलाई से 21 अगस्त तक संसद का मानसून सत्र चलने वाला है. न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत, जब सदन में निष्कासन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो पीठासीन अधिकारी आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करते हैं. इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश), उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होते हैं.
14 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित बंगले के एक हिस्से में आग लग गई थी. आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन दल के लोगों को उनके घर से बड़ी मात्रा में कैश मिला था. बवाल मचा तो इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आंतरिक जांच का आदेश दिया और जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया. जांच के लिए देश के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने एक जांच पैनल बनाया.
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पैनल ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. कमेटी के समक्ष कई लोगों ने इस बात की गवाही दी है कि मौके पर भारी मात्रा में कैश मिला था. हालांकि, जस्टिस वर्मा ने अपने बयान में कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके बंगले के एक हिस्से में कैश पड़ा है. कमेटी ने निष्कर्ष निकाला है कि उनके इस बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
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