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CBI चीफ की कुर्सी पर मचा बवाल, चीफ सुबोध जायसवाल और महाराष्ट्र के पूर्व ACP में बहस!

महाराष्ट्र के पूर्व ACP ने कहा कि जायसवाल के पास सीबीआई चीफ बनने के लिए आवश्यक अनुभव नहीं.

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सीबीआई डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल (फाइल फोटो)

केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) के डायरेक्टर सुबोध जायसवाल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका. इस पर सीबीआई डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल ने 18 जुलाई को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर आरवी त्रिवेदी ने ये याचिका निजी रंजिश के तहत दायर की है. वहीं आरवी त्रिवेदी ने इस पर अपना जवाब देते हुए इससे इनकार किया है.

पूरा विवाद क्या है?

आईपीएस अधिकारी सुबोध जायसवाल को साल 2021 में सीबीआई डायरेक्टर नियुक्त किया गया था. हालांकि, सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर उनकी इस नियुक्ति को चुनौती दी गई थी. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जायसवाल को सीबीआई प्रमुख बनने के लिए आवश्यक अनुभव नहीं है और उनकी नियुक्ति रद्द की जानी चाहिए. 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस साल जून में सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर जायसवाल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था. चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने सुबोध जायसवाल सहित प्रतिवादियों को 18 जुलाई तक जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 28 जुलाई, 2022 के लिए लिस्ट किया.

सीबीआई चीफ क्या बोले?

इंडिया टुडे की विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई डायरेक्टर सुबोध जायसवाल ने 18 जुलाई को जवाब दिया कि उनके खिलाफ ये याचिका खारिज की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सीबीआई प्रमुख के तौर पर उनकी नियुक्ति योग्यता के कारण ही हुई है. जायसवाल ने महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर आरवी त्रिवेदी द्वारा उनके खिलाफ "निजी रंजिश" के तहत याचिका दायर करने की बात भी कही.

जायसवाल ने अपने जवाब में कहा कि त्रिवेदी की उनसे व्यक्तिगत दुश्मनी थी और इसीलिए उनके द्वारा इस तरह की दुर्भावनापूर्ण याचिका दायर की गई. हालांकि, इसका जवाब देते हुए त्रिवेदी ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने जायसवाल की छवि या प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए याचिका दायर की.

CBI चीफ की नियुक्ति को चुनौती क्यों?

दरअसल, आरवी त्रिवेदी का तर्क है कि एक अधिकारी तभी सीबीआई प्रमुख बन सकता है, जब वह किसी पुलिस बल के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के साथ काम करने का कार्यकाल रखता हो. त्रिवेदी के मुताबिक सुबोध जायसवाल के पास ऐसा कोई अनुभव नहीं है और इसलिए सीबीआई चीफ के तौर पर उनकी नियुक्ति गलत है.

हालांकि, सुबोध जायसवाल का जवाब है कि जब वह महाराष्ट्र में पुलिस महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) थे, तब एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) उनके अंडर थी और उन्होंने इस विभाग से संबंधित कई मामलों को मंजूरी दी थी. 

वहीं आरवी त्रिवेदी के मुताबिक यह दलील सिर्फ कोर्ट को गुमराह करने के लिए दी जा रही है. त्रिवेदी ने कहा कि "जांच" और " मंजूरी देना" इन शब्दों में अंतर है और जांच के अनुभव को किसी भी तरह से मंजूरी देने के अनुभव के समान नहीं माना जा सकता है.

त्रिवेदी ने अपने वकील सतीश तालेकर के जरिए दायर हलफनामे में कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की गई है. त्रिवेदी के मुताबिक अदालत के सामने एक बेहद विकृत तस्वीर पेश कर अदालत को गुमराह किया जा रहा. उन्होंने अपने हलफनामे में दोहराया कि जायसवाल के पास अपने पूरे करियर के दौरान भ्रष्टाचार विरोधी मामलों की जांच का आवश्यक अनुभव नहीं है और इस तरह सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर जायसवाल की नियुक्ति "वैधानिक प्रावधानों के विपरीत" है.

वीडियो- सुसाइड केस सुलझाने में सीबीआई की गाड़ी बहुत स्लो है!