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तनुश्री-नाना पाटेकर विवाद पर रेणुका शहाणे की ये तीन बातें कइयों को सोने नहीं देंगी

इंडस्ट्री में कितने ही लोग किसी मसले पर क्लियर स्टैंड ले पाते हैं?

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रेणुका शहाणे तनुश्री के सपोर्ट में आई हैं.
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पिछले कुछ दिनों से अभिनेत्री तनुश्री दत्ता और नाना पाटेकर के बीच के विवाद पर चर्चा हो रही है. तनुश्री ने आरोप लगाए हैं कि साल 2008 में फिल्म 'ओके हॉर्न प्लीज' की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर ने उन्हें गलत तरीके से छुआ था. एक डांस स्टेप जिसे करने में वो सहज नहीं महसूस कर रहीं थी, बार बार उसे ही करवाया जा रहा था. हुआ ये कि तनुश्री ने फिल्म छोड़ दी और वो अमेरिका चली गईं. तनुश्री ने इस बारे में उस वक्त भी कहा और बार-बार कहती रहीं. अभी तनुश्री ने कहा है कि वो उस घटना से अभी भी उभर रही हैं. अब इसी पर एक प्रतिक्रिया आई है रेणुका शहाणे की. सोशल मीडिया पर लिखी इस पोस्ट में इस एक्ट्रेस ने तीन जरूरी बातें कही हैं-  नाना पाटेकर अपने गुस्सैल स्वभाव के लिए ही नहीं अपने जबरदस्त टैलंट और किसानों के लिए अपनी समाजसेवा के लिए भी जाने जाते हैं. फिल्म इंडस्ट्री में कई पुरुषों और महिलाओं ने उनके गुस्से को झेला है. मैंने न तो नाना पाटेकर के साथ काम किया है और न ही तन्नुश्री दत्ता के साथ. और न ही मैंनें फिल्म 'हॉर्न ओके प्लीज' में काम किया है. मगर तनुश्री दत्ता की स्टोरी में कुछ बिंदु हैं जिनसे मैं खुद को इत्तेफाक रखती हूं. इन्हीं को साझा करना चाहूंती हूं. 1. तनुश्री ने साफ किया था कि वो कुछ खास डांस स्टेप्स करने के लिए सहज नहीं थी और उसे नाना पाटेकर का उस दौरान उसे छूना पसंद नहीं आया था. बावजूद इसके कि नाना पाटेकर का तनुश्री को मोलेस्ट करने का इरादा न भी रहा हो, तो भी क्या नाना ने, फिल्म डायरेक्टर ने या फिर कोरियोग्रफर ने उस स्टेप को चेंज करने की कोई कोशिश की जिससे तनुश्री कंफर्टेबल होतीं? क्या वर्क प्लेस का मतलब उस जगह से है जहां लोगों को भयभीत किया जाता है? या फिर वर्क प्लेस वो जगह होनी चाहिए जहां एक इंसान को काम करने का हेल्दी माहौल मिले? उस फिल्म में एक एक्टर को सहज महसूस करवाने के लिए अगर कोई स्टेप बदल भी दिया जाता तो क्या आसमान गिर पड़ता? हो सकता है जिस एक स्टेप के लिए तनुश्री असहज महसूस कर रहीं थी, वो बहुत सी दूसरी एक्ट्रेसेज के लिए बड़ी बात न हो. मगर क्या इसका मतलब ये है कि फिल्म के सेट पर तमाम पुरुष उस एक्ट्रेस के खिलाफ एक हो जाएंगे? क्या उनमें से किसी की भी ये बेटी होती तो वो तब भी उसे कहते कि ये स्टेप करने के लिए सहज महसूस करो, या वो स्टेप ही बदलने की बात करते? शायद यही फर्क है बेटी जैसी और असली बेटी होने में. 2. अकेली तनुश्री के खिलाफ यहां ये चार आदमी ही जैसे काफी नहीं थे, जो इसे और इसके परिवार को डराने के लिए राजनीतिक पार्टियों के लोगों को भी बुलाया गया. क्या बकवास है ये! क्या यहां कुछ ज्यादा नहीं हो रहा था? कहा गया कि राजनितिक पार्टी चाह रही थी कि तनुश्री माफी मांगें क्योंकि उसने तथाकथित 'महाराष्ट्र के गौरव' को ठेस पहुंचाई है. क्या एक लड़की को वो डांस स्टेप करने के लिए मजबूर करना, महाराष्ट्र को गौरवांवित करता है? क्या महाराष्ट्र का गौरव इस बात में नहीं होना चाहिए कि हर औरत की इज्ज़त हो और वो एक सुरक्षित जिंदगी जिए.? 3. अब आते हैं इसके परिणामों पर. इन सब से किसका करियर प्रभावित हुआ? किसी भी पुरुष का तो बिल्कुल नहीं. उनके दंभ की ही जीत हुई. इन मर्दों को इंड्रस्ट्री ही नहीं, दूसरी जगहों से भी सपोर्ट मिला. मगर एक इंसान जिसने ये भय झेला, वो तनुश्री हैं. उस घटना के निशान अभी भी उसके दिल-दिमाग पर हैं, जरा सोच लीजिए. वैसे उस फिल्म के सेट्स से खबर ये भी लगी थी कि फिल्म का महान प्रॉड्यूसर लोगों का बकाया नहीं दे रहा है जिसके चलते वो कानूनी पचड़ों में भी फंसा है. साथ ही बातें ये भी थीं कि फिल्म को अंडरवर्ल्ड से फंडिंग मिली है. मगर इसमें किसी को क्या फर्क पड़ता है, इससे थोड़ी न महाराष्ट्र के गौरव को ठेस पहुंचती है. है न? दुनिया में हर जगह शक्तिशाली पॉजिशन्स पर छोटे लोग होते हैं, जिनकी ईगो बड़ी होती हैं. ये स्त्री और पुरुष दोनों हैं. जब मैं ऐसे बहुत से लोगों को अकेले इंसान के खिलाफ खेमा बनाते देखती हूं, तो वो मुझे बुलिंग लगती है. और बुलिंग किसी भी तरह से सही नहीं ठहराई जा सकती. ये पीड़ित से इंसान होने का हक भी छीन लेती है. मुझे ऐसा लगता है कि तनुश्री बहुत बहादुर है, मगर वो लोग नहीं जो खुद को जीता हुआ महसूस करवाकर घूम रहे हैं. अंग्रेजी में पढ़ने के लिए:
इस मसले पर लल्लनटॉप वीडियो भी देखें-

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