ऑडियो में कितनी सच्चाई है?
ऑडियो सुन लीजिए. कहीं किसी का नाम है नहीं. न कुछ बहुत विस्फोटक है. एक लड़के और लड़की की बात है. ये बात किसी की भी हो सकती है. लड़की लड़के से बेवफाई टाइप्स बातें कह रही है. शायद उसके घर वालों को उनके अफेयर का पता चल गया होगा. एक-दो जगह भाई का भी जिक्र आता है.

वीडियो में ऐसी तस्वीरों और कैप्शन का इस्तेमाल किया गया है जो साध्वी सरस्वती की नहीं लगती. किसी पाकिस्तानी ब्लॉग से उठाई गईं लगती हैं.
साथ ही एक जगह लड़की को किन्हीं तस्वीरों की बातें करते सुना जा सकता है. जिससे ऐसा लगता है कि हो सकता है, लड़के के पास उसकी तस्वीर है. या कोई तस्वीर गलत तरीके से गलत हाथों में पहुंच गई है. मूलत: ये एक डरी हुई लड़की की बातचीत है जो फोन पर भरोसा टूटने की बात कह रही है. और सामने वाला इतना अक्लमंद था कि उसने ये ऑडियो भी पब्लिक कर दिया.जिसे लोगों ने साध्वी सरस्वती के नाम से फैलाना शुरू कर दिया. और ये सब इंटेंशनली किया गया है.

कुछ रोज़ पहले हमें भी ऐसे ही ऑडियो भेजने का प्रयास किया गया था. हमने तो ध्यान नहीं दिया लेकिन दूसरी जगहों से ये घटिया चीज इस तरह से फैलाई गई.

साध्वी सरस्वती. उम्र बहुत ज्यादा नहीं है सिर्फ 18 बरस की होंगी. लेकिन जब तेज आवाज में बोलती हैं तो सुनने वालों का खून उबल पड़ता है. बताते हैं कि साध्वी सरस्वती एमपी के छिंदवाड़ा की हैं. पांच-छह साल की थीं तभी से रामकथा कहने लगीं थीं. योगी आदित्यनाथ को तिलक वाली ये तस्वीर आपने देखी ही होगी.

‘काश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा’ कविता जिसने सुनी होगी उसे इनके गुस्से का पता होगा. याद होगा कि उरी में हुए गीदड़ टाइप के आतंकी हमले के बाद भारत में गुस्सा उबल रहा था. तब एक जवान की कविता बड़ी वायरल हुई थी. सबसे शुरू में जनता ने वॉट्सऐप पर ये साध्वी सरस्वती के मुंह से ही सुनी थी.
इन्होंने कभी ये भी कहा था कि भारत में पाकिस्तान की तारीफ करने वाले को जूते मारने चाहिए. सहज वाली राष्ट्रभक्ति को ऐसी चीजें भाती हैं. उन्हें लगता है 'यही तो हैं, जो बिना डरे मन की बात कहती हैं.' माने साध्वी सरस्वती जानी-भाली हैं. हिंदुत्व+राष्ट्रवाद वाले ऐसे ही ओगों को फायरब्रांड टाइप कुछ कहते हैं न?
अभी कुछ रोज़ हुए गोवा में हुए ऑल हिंदू कन्वेंशन के इनॉगरेशन में साध्वी सरस्वती ने कहा कि “जो लोग स्टेटस सिंबल के लिए गौमांस खाते है उन्हें फांसी पर लटका देना चाहिए”. ये भी कहा कि "हिंदुओं को लव जिहाद से निपटने के लिए घरों मे हथियार रखना चाहिए."
अब सवाल ये है कि किसी को क्या फर्क पड़ता है कि साध्वी सरस्वती अपने जीवन में कुछ भी करती हों. वो बातें उन पर छोड़ दी जाएं. सार्वजनिक जीवन में वो अगर ये बातें साझा करें तो सुन लीजिए लेकिन किसी के व्यक्तिगत जीवन से किसी को भी क्या? दूसरे ये कि सारा मामला जबरिया बातें फैलाने का लगता है. अगर आपको साध्वी सरस्वती की आलोचना करनी है तो उनके विवादित बयानों की बात हो. उनकी भड़काऊ बातों की बात हो. उनकी पॉलिटिक्स, रेडिकल व्यूज पर उन्हें घेरा जा सकता है. लेकिन ये ऑडियो-वीडियो के जरिये जो कुछ भी किया जा रहा है बहुत ही धुंधला है.
और अंत में बात वहीं आकर रुकती है. कि लड़की है तो आप उसको बदनामी से डरा रहे हैं. वो भले अपनी भड़काऊ बातों से पर्याप्त गलत हों, लेकिन उनका जबरिया नाम घसीटना और गलत है. इस सारे मामले में आप एक निष्कर्ष निकाल सकते हैं. ये घटिया किस्म का पुरुषवाद है. जो औरतों को बस डरा के रखना चाहता है. और जब सामने कोई ऐसा हो जिसकी इमेज ऐसी साध्वी या फिर कुछ यूं हो कि जिसे कुछ लोग थोड़ा ऊपर समझते हैं तो ये अपनी परंपरागत टुच्चई पर उतर आते हैं.
ये भी पढ़िए :
मस्जिद के बाहर मुसलमानों को कुचलने वाले ड्राइवर को भीड़ मार डालती, इमाम ने बचा लिया