बसपा विधायक राजू पाल के मर्डर केस में 18 साल से फरार चल रहे एक शार्प शूटर ने 5 अप्रैल को लखनऊ की CBI कोर्ट में सरेंडर कर दिया. इसका नाम है अब्दुल कवी और इसे अतीक अहमद का बेहद करीबी सहयोगी बताया जाता है. साल 2005 में BSP विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी, तब अब्दुल कवी का नाम भी आया था.
अतीक अहमद का शार्प शूटर अब्दुल कवी 18 साल फरार कैसे रहा?
राजू पाल की हत्या हुई 2005 में. 2023 में मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या हुई. अब जाकर कवी ने सरेंडर किया है.

इंडिया टुडे के संतोष कुमार शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी पुलिस अब्दुल कवी को सालों से तलाश रही थी, लेकिन वो बार-बार अपनी लोकेशन बदल कर पुलिस को चकमा देता रहा. हालांकि, राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की इस साल 24 फरवरी को हत्या के बाद, पुलिस ने अब्दुल कवी को पकड़ने के प्रयास और तेज कर दिए थे. पहले अब्दुल कवी पर 50 हजार का इनाम था, जिस हाल ही में बढ़ा कर 1 लाख रुपये कर दिया गया था.

25 मार्च को कौशांबी जिले के SP बृजेश कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में अब्दुल कवी के ससुराल कटैया गांव में सर्च ऑपरेशन चलाया गया था. पुलिस ने कई घरों में जाकर तलाशी ली थी. इस दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में अवैध हथियार बरामद किए थे और कई लोगों को हिरासत में लिया था.
BSP विधायक राजू पाल के काफिले पर 25 जनवरी, 2005 को हमला हुआ था. इस हमले में राजू पाल को कई गोलियां लगी थीं. फायरिंग के बाद पीछे की गाड़ी में बैठे राजू पाल के समर्थक उन्हें टेंपो में लेकर हॉस्पिटल की ओर भागे थे. फायरिंग करने वालों को लगा कि राजू पाल अब भी जिंदा है. उन लोगों ने फिर से टेंपो को घेरकर फायरिंग शुरू कर दी थी. करीब 5 किलोमीटर तक टेंपो का पीछा किया गया और गोलियां मारीं. अंत में जब राजू पाल अस्पताल पहुंचे, उन्हें 19 गोलियां लग चुकी थीं. डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया था. इसका आरोप लगा अतीक अहमद पर. राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अतीक, उसके भाई अशरफ, फरहान और आबिद समेत कई लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज करवाया था.
वीडियो: अतीक अहमद के राजू पाल हत्याकांड की पूरी कहानी, जिसके गवाह उमेश पाल पर अब बम चले