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कल मां का निधन, आज सुनाए 11 फैसले... जस्टिस ओका रिटायरमेंट के दिन मिसाल कायम कर गए

Justice Oka Retirement: जस्टिस ओका ने गुरुवार 22 मई को अपनी मां का अंतिम संस्कार करवाया. अगले ही दिन शुक्रवार 23 मई को अपने लास्ट वर्किंग डे पर वापस लौटे और ये सभी फैसले सुनाए. इस दौरान उन्होंने कोर्ट में जजों के काम को लेकर बड़ी टिप्पणी भी की.

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कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं जस्टिस ओका.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका (Justice A S Oka Retirement) ने शुक्रवार 23 मई को अपने लास्ट वर्किंग डे पर 11 मामलों में फैसले सुनाए. जस्टिस ओका ने गुरुवार 22 मई को मुंबई में अपनी मां का अंतिम संस्कार करवाया. अगले ही दिन शुक्रवार 23 मई को अपने लास्ट वर्किंग डे पर वापस लौटे और ये फैसले सुनाए. जस्टिस ओका इन फैसलों की तैयारी कई महीनों से कर रहे थे. वो 24 मई को रिटायर हो रहे हैं. 

बार ऐंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन की ओर से उनके लिए फेयरवेल आयोजित किया गया था. इसमें जस्टिस ओका ने कहा कि वह लास्ट वर्किंग डे पर काम न करने की परंपरा से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा,

रिटायर्ड जजों को दोपहर 1:30 बजे गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा में देरी होनी चाहिए. रिटायर्ड होने वाले जजों को लंच के तुरंत बाद घर जाने के लिए क्यों कहा जाना चाहिए? इस कवायद को बदलना होगा ताकि जजों को ऑफिस के आखिरी दिन पर चार बजे तक काम करने की संतुष्टि हो.

जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि उन्हें “रिटायर्ड” शब्द पसंद नहीं है. उन्होंने जनवरी से ही ज़्यादा से ज़्यादा मामलों की सुनवाई करने का फैसला किया था. अपनी फेयरवेल स्पीच में उन्होंने कहा,

मेरा मानना ​​है कि यह एक ऐसा कोर्ट है जो संवैधानिक स्वतंत्रता को बनाए रख सकता है. मुझे यकीन है कि यहां बैठे इतने सारे सीनियर लोगों के सामूहिक प्रयासों से यह कोर्ट स्वतंत्रता को बनाए रखना जारी रखेगा. संविधान के निर्माताओं का भी यही सपना था. मेरा भी ईमानदारी से यही प्रयास रहा. मुझे यकीन है कि इस ईमानदार प्रयास में मैंने कुछ लोगों, कुछ वकीलों को नाराज़ किया होगा.

जस्टिस ओका ने सभी का शुक्रिया अदा करते हुए आगे कहा,

मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि एक जज को दृढ़ और बहुत सख्त होना चाहिए. एक न्यायाधीश को किसी को भी नाराज़ करने में संकोच नहीं करना चाहिए. एक महान जज ने एक बार मुझसे कहा था कि आप लोकप्रिय होने के लिए जज नहीं बन रहे हैं. मैंने उस सलाह का पूरी तरह पालन किया. आज परोक्ष रूप से कहा गया कि कभी-कभी मैं बहुत सख़्त हो जाता था. लेकिन ऐसा मैं सिर्फ एक कारण से करता था. मैं हमारे संवैधानिक सिद्धांतों को कायम रखना चाहता था. मेरा दिल भरा हुआ है.

CJI गवई ने उनके फेयरवेल के दौरान खुलासा किया कि वह और जस्टिस ओका रिटायरमेंट के बाद कोई नौकरी नहीं करेंगे. CJI गवई ने कहा, “हम दोनों ने फैसला किया है कि रिटायरमेंट के बाद कोई नौकरी नहीं लेंगे. हम दोनों शायद मेरी रिटायरमेंट के बाद साथ काम कर सकते हैं.”

जस्टिस ओका का करियर 

जस्टिस ओका का जन्म 25 मई 1960 को हुआ था. उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की. जून 1983 में एडवोकेट के रूप में काम शुरू किया. उन्होंने ठाणे जिला अदालत में अपने पिता श्रीनिवास डब्ल्यू ओका के चैंबर से वकालत शुरू की थी. 1985-86 में वह बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज और पूर्व लोकायुक्त वीपी टिपनिस के चैंबर में शामिल हो गए.

उन्हें 29 अगस्त 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के तौर पर प्रमोट किया गया. 12 नवंबर 2005 को स्थायी जज बनाया गया. 10 मई 2019 को उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली. यहां उन्होंने 31 अगस्त 2021 तक अपनी सेवाएं दीं और इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. 

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