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Harvard University में विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं, ट्रंप प्रशासन ने अब ये फैसला लिया

Trump vs Harvard: अपने इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन ने नेशनल सिक्योरिटी और अनुशासनहीन बर्ताव का कारण दिया है. ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में आंदोलनकारियों के हंगामे और यहूदी छात्रों को तंग करने के आरोपों के बीच ये आदेश दिया है.

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लंबे वक्त से दोनों के बीच चल रही है तनातनी. (फाइल फोटो)

अमेरिका (US) के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) और दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी के बीच विवाद थमता नहीं दिखाई दे रहा. मामले में एक और अहम मोड़ आ गया है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) में अब इंटरनेशनल स्टूडेंट्स (International Students In Harvard) को एडमिशन नहीं मिलेगा. ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार 22 मई को इंटरनेशनल छात्रों को एडमिशन देने के लिए यूनिवर्सिटी के सर्टिफिकेशन को रद्द कर दिया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन ने नेशनल सिक्योरिटी और अनुशासनहीन बर्ताव का कारण दिया है. ट्रंप प्रशासन की ओर से होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड को एक पत्र लिखा है. पत्र में लिखा है,

मैं आपको यह बताने के लिए लिख रही हूं कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट और एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम सर्टिफिकेशन तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया गया है.

हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं दे सकेगा. वहीं, मौजूदा विदेशी छात्रों को अपना कानूनी दर्जा बदलना होगा या खोना होगा. एक बयान में होमलैंड सुरक्षा डिपार्टमेंट ने सेक्रेटरी नोएम के संदेश को दोहराते हुए कहा,

हार्वर्ड को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सहयोग करने, अपने कैंपस में छात्रों से हिंसा, यहूदी विरोधी भावना और आतंकवाद समर्थक आचरण को बढ़ावा देने के लिए जवाबदेह ठहराया जा रहा है.

इसमें आगे कहा गया कि हार्वर्ड के नेतृत्व ने अमेरिका विरोधी, आतंकवाद समर्थक आंदोलनकारियों को कई यहूदी छात्रों सहित लोगों को परेशान करने और शारीरिक रूप से हमला करने की अनुमति देकर एक असुरक्षित कैंपस का माहौल बनाया है.

उधर, होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा,

विदेशी छात्रों को यूनिवर्सिटी में एडमिशन देना कोई अधिकार (Right) नहीं है, बल्कि एक विशेषाधिकार (Privilege) है. विदेशी छात्रों से मोटी फीस लेकर यूनिवर्सिटी को जो फायदा होता है, वह उनका हक नहीं है. आगे ऐसा नहीं होगा. कानून के पालन में विफल होने पर उन्होंने अपना स्टूडेंट और एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम सर्टिफिकेशन खो दिया है. इसे देश भर की सभी यूनिवर्सिटियों और शैक्षणिक संस्थानों एक चेतावनी के रूप में लें.

दूसरी तरफ, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस कदम को “गैरकानूनी” और “बदला लेने वाला” बताया है. उन्होंने इसके गंभीर प्रभाव की चेतावनी दी है. यूनिवर्सिटी ने कहा,

सरकार का एक्शन गैरकानूनी है. हम 140 से ज़्यादा देशों के विदेशी छात्रों और विद्वानों की मेजबानी करने और यूनिवर्सिटी को समृद्ध बनाने की इसकी क्षमता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. बदले की भावना वाली यह कार्रवाई हार्वर्ड कम्युनिटी और हमारे देश को गंभीर नुकसान पहुंचाने की धमकी है. यह कार्रवाई हार्वर्ड के शैक्षणिक और रिसर्च मिशन को कमज़ोर करती है.

गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच बीते कई महीनों से तनातनी चल रही है. मामला अप्रैल में तब शुरू हुआ ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर की फंडिंग रोक दी थी. विश्वविद्यालय ने सरकार की ओर से भेजी मांगों को मानने से इनकार कर दिया था. इसके बाद हार्वर्ड ने इस मामले में ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा कर दिया था. ट्रंप ने हार्वर्ड की टैक्स-छूट (Tax-Exempt Status) का दर्जा खत्म करने का भी एलान किया था.

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