पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के हत्यारों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस मामले में उसे अपनी बात रखने का पर्याप्त मौका नहीं दिया गया. सरकार ने ये भी कहा इस मामले की सुनवाई प्रक्रिया में चूक हुई है, जिसकी वजह से इसमें सरकार की भागीदारी ना के बराबर रही. सरकार की तरफ से इसे न्याय देने में विफलता बताया है. केंद्र सरकार ने ये भी कहा है कि किसी दूसरे देश के आतंकवादियों की सजा माफ करने का अंतरराष्ट्रीय असर होगा.
केंद्र सरकार ने राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का विरोध किया, सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था.

दरअसल, पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले के छह दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था. ये सभी दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे थे. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 1991 में की गई थी. तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान बम धमाके में उनकी हत्या की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने 30 साल से ज्यादा का वक्त जेल में काटा है और सजा के दौरान उनका बर्ताव ठीक था. इसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक और दोषी ए जी पेरारिवलन को पहले ही रिहा कर दिया था. पेरारिवलन को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इधर, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने दोषियों के प्रति नरम रुख अपनाया था. जिससे दोषियों की रिहाई को बल मिला था. हालांकि, कांग्रेस पार्टी दोषियों की रिहाई के खिलाफ है.
दूसरी तरफ हत्याकांड में रिहा हुई नलिनी ने खुद को बेकसूर बताया. उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस परिवार से हैं. नलिनी ने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी, तो उन्होंने पूरे दिन कुछ नहीं खाया था. उन्होंने बताया कि वो चार दिन तक रोई थीं. नलिनी ने राजीव गांधी की हत्या पर भी रोने की बात कही थी. नलिनी ने कहा कि राजीव गांधी की हत्या का आरोप उनके ऊपर लगा और वो आराम से तब ही जी सकेंगी, जब राजीव गांधी की हत्या का आरोप पूरी तरह से उनके ऊपर से हट जाएगा.
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