ये बच्चे हैं सरवर खान और सरताज खान. ये नगीने निकले हैं रेगिस्तान वाले स्टेट से. यानी राजस्थान से. दोनों की उम्र महज 12 साल है. वल्लाह एक ही गाने से दोनों लाखों लोगों के दिल की धड़कन बन गए.

सरवर खान
सरवर खान जैसलमेर के डांगरी गांव के लोक गायक दपे खान का बेटा है. सरवर गांव के ही सरकारी स्कूल में सातवीं क्लास में पढ़ रहा है. जबकि सरताज खान जोधपुर में छठी क्लास का स्टूडेंट है. सरताज, इंडियन आइडल जूनियर के स्टेज पर भी अपने सुर बिखेर चुका है.
दंगल के इस गाने की रिकॉर्डिंग पहले मुंबई में हुई. फिर इस गाने के लिए बाड़मेर-जैसलमेर से 20 नन्हे सिंगर का ऑडिशन हुआ. उसी में इन दोनों बच्चों को सेलेक्ट किया गया. और बच्चों ने अपनी आवाज देकर लोगों के दिल पर अपना जादू चला दिया.
सरताज खान को सुन लो, अपनी क्लास में सुनाया है ये गाना
https://www.youtube.com/watch?v=WkPs1u_G1n8&feature=youtu.beविरासत को आगे बढ़ा रहा है सरताज
सरताज का पैदाइशी गांव बया जैसलमेर के करीब में है. लेकिन वो पढ़ाई जोधपुर के एक प्राइवेट स्कूल में हॉस्टल में रहकर कर रहा है. सरताज को यह हुनर अपने दादा और पिता से विरासत में मिला है. सरताज के दादा और पिता राजस्थान के मंगणियार कास्ट से हैं. उसके पिता ग़ाज़ी खान लोकगायक हैं. दादा भी थे. मगर वो पहले ही दुनिया छोड़ गए. लेकिन इतने बड़े फलक पर पहचान सरताज ने छोटी सी उम्र में ही बना ली. या ये कहिये विरासत में मिली गायकी को संभालने के लिए एक काबिल वारिस मिल गया. सरताज के पास गाना गाने के लिए कोई साजो-सामान नहीं है. स्कूल में टेबल, कुर्सी या फिर घर में कुछ और जो मिल गया उसी को बजाकर गाना शुरू कर दिया. और जब भी पढ़ाई से टाइम मिला रियाज करना शुरू कर दिया.
सरताज सिंगर अरिजीत का फैन है. हॉस्टल में अपने दोस्तों के साथ मिलकर अरिजीत के गानों पर रियाज करता रहता था. देश विदेश में राजस्थानी लोक गायकी पेश करने वाले अपने पिता से वह कुछ न कुछ सीखने की कोशिश में लगा रहता है. उसी का नतीजा है कि वो आमिर खान की फिल्म में अपनी आवाज देने में कामयाब रहा.

सरताज खान
अब इतना सुरीला बच्चा क्लास में हो तो बाकी स्टूडेंट और टीचर को ख़ुशी न हो तो ये भला कैसे हो सकता है. हमारा कोई जरा सी भी कामयाबी वाला दूर का दोस्त या रिश्तेदार होता है तो हम बड़े फख्र वाले लहजे में कहते हैं, 'वो दोस्त है मेरा. या रिश्तेदार हैं मेरे' दंगल पिच्चर 23 दिसंबर को रिलीज़ होने वाली है. गाना न सुना हो तो सुन लेना. जब फिल्म देखने जाओगे तो गुनगुना में और मजा आ जावेगा. इस गाने को अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखा है और प्रीतम ने संगीत दिया है.