राजस्थान के कोटा में कोचिंग करने वाले स्टूडेंट्स के बढ़ते सुसाइड (Rajasthan Kota Students Suicide) के मामलों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि कोचिंग सिस्टम में सुधार लाने की जरूरत है, वो बच्चों को मरते हुए नहीं देख सकते. बता दें कि कोचिंग हब कहे जाने वाले राजस्थान के कोटा से लगातार बच्चों के सुसाइड की खबरें आ रही हैं. आजतक के जयकिशन शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक कोटा में पिछले 8 महीनों में 21 बच्चों की सुसाइड से मौत के मामले सामने आए हैं.
'आप क्राइम कर रहे हैं... ', कोटा में सुसाइड केस बढ़ने पर CM गहलोत ने कोचिंग वालों को खूब सुनाया
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोचिंग वालों की बड़ी 'सच्चाई' भी उजागर कर दी!

राजस्थान के CM अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने इस मामले पर 18 अगस्त को कोचिंग संचालकों के साथ मीटिंग की. उन्होंने कहा,
"मैं कोटा में बच्चों को अब मरते हुए नहीं देख सकता, सिस्टम सुधारिए अब."
इस दौरान उन्होंने 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट पर पड़ने वाले बोझ का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट का कोचिंग में नाम लिखाने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. उन पर बोर्ड परीक्षा पास करने और प्रवेश परीक्षा की तैयारी का दोहरा बोझ पड़ता है.
CM गहलोत ने आगे कहा,
"आप एक तरह से अपराध कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है मानो (अगर बच्चा) IIT पास कर लिया तो खुदा बन गया. कोचिंग में आते ही छात्रों का फर्जी स्कूलों में नाम लिखा दिया जाता है. यह माता-पिता की भी गलती है."
गहलोत ने कहा कि बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. छात्रों को 6 घंटे की कोचिंग क्लास लेनी होती है, फिर एक्स्ट्रा क्लास और वीकली टेस्ट देना होता है. इस तरह बच्चों पर अपने आप प्रेशर बढ़ जाता है. CM गहलोत ने कहा कि सोचना पड़ेगा कि जो कमियां हैं, उसे कैसे दूर किया जाए. जो सिस्टम बन गया है, उसमें सुधार के लिए सरकार साथ देगी.
छात्रों के सुसाइड रोकने के लिए CM गहलोत ने अधिकारियों को एक कमिटी बनाने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि इस कमिटी में कोचिंग इंस्टीट्यूट के प्रतिनिधि, छात्रों के माता-पिता और डॉक्टर वगैरह शामिल होंगे. ये कमिटी 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
(अगर आप या आपके किसी परिचित को खुद को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आ रहे हैं, तो आप 9152987821, 9820466726 नंबरों पर फोन करें. यहां आपको उचित सहायता मिलेगी. मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस करने पर डॉक्टर के पास जाना उतना ही जरूरी है, जितना किसी शारीरिक बीमारी का इलाज कराना. खुद को नुकसान पहुंचाना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.)
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