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राजस्थान: एक ही योजना का तीसरी बार नाम बदला, अबकी बार 'इंदिरा रसोई' का क्या नाम रखा?

पहले कांग्रेस सरकार ने नाम बदला था, अब भाजपा की भजन लाल सरकार ने फिर से इस योजना का नाम बदल दिया है. पूरी कहानी जान लीजिए.

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8 अगस्त 2020 को शुरू किए गए इस योजना की टैगलाइन थी, 'कोई भूखा न सोये.' फाइल फोटो- इंडिया टुडे

राजस्थान (Rajasthan) की भजनलाल शर्मा सरकार ने 'इंदिरा रसोई योजना' का नाम बदल दिया है. शनिवार, 6 जनवरी से ये 'श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना' बन गई है. 

सूबे के स्थानीय स्वशासन विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश के मुताबिक, योजना में बदलाव भी किए गए हैं. अब 'श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना' के तहत, पर-प्लेट खाने का भी वजन बढ़ाकर 600 ग्राम कर दिया गया है. हर थाली में सरकारी की ओर से दिए जाने वाले ग्रांट को भी ₹17 से बढ़ाकर ₹22 कर दिया गया है. हालांकि, लाभार्थी यानी लोगों को अब भी ये प्लेट ₹8 में ही मिलेगी.

क्यों बदला नाम?

आजतक के शरत कुमार की रिपोर्ट में पार्टी सूत्रों के हवाले से छपा है कि राज्य की नई सरकार को इंदिरा रसोई योजना में कमियां मिलीं. इसके चलते इसमें बदलाव करने का फैसला किया गया. और, कथित तौर पर नाम बदलने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में की गई. विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में ये भी लिखा है कि योजना का नाम सभी होर्डिंग्स और ऑनलाइन पोर्टल्स से भी बदल दिया जाए. 

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‘इंदिरा गांधी रसोई योजना’ अशोक गहलोत के सत्ता में आने के डेढ़ साल बाद - 8 अगस्त, 2020 को - शुरु की गई थी. इसमें सभी जरूरतमंदों और गरीब को रियायती दरों पर खाना मुहैया कराया जाता है. ₹8 रुपये में पौष्टिक खाना. टैगलाइन थी - 'कोई भूखा न सोये.'

हालांकि, जब ये योजना शुरू की गई, तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समेत बीजेपी के अन्य नेताओं ने आरोप लगाए कि गहलोत ने बीजेपी सरकार की ही योजना हाइजैक कर ली है. बस नाम बदलकर दोबारा शुरू कर दिया है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा जिलाध्यक्ष जगदीश मीणा ने कहा था,

अन्नपूर्णा का नाम बदलकर डेढ़ साल बाद इंदिरा रसोई करके राज्य सरकार स्वयं की पीठ थपथपा रही है. जबकि डेढ़ साल तक कांग्रेस सरकार को गरीबों की याद नहीं आई. भाजपा शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गरीब एवं अक्षम तथा दिहाड़ी मजदूरों को भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के लिए अन्नपूर्णा रसोई की शुरुआत की थी, जो सफल रही . केवल नाम बदलकर डेढ़ साल बाद इस योजना को शुरू करना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि गहलोत सरकार कुंठित राजनीति कर रही है.

वसुंधरा राजे ने भी गहलोत सरकार पर श्रेय न देने के आरोप लगाए थे. पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने कहा था,

“गहलोत सरकार डेढ़ साल में विकास के नाम पर डेढ़ कदम भी नही चल पाई. सिर्फ भाजपा की योजनाओं के नाम बदलने के अलावा कुछ नही किया है.”

वसुंधरा सरकार में 5 रुपये में नाश्ता और 8 रुपये में खाना खिलाने वाली ‘अन्नपूर्णा योजना’ गाड़ियों की रसोई से चलती थी. गहलोत सरकार कार्यकाल में इसे स्थायी रसोई में बदल दिया गया. इस विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत ने इंदिरा रसोई की संख्या बढ़ाकर 1000 कर दी.

पहले भी बंद हुई है योजना

इससे पहले, गहलोत सरकार में शुरू किए गए 'राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्न प्रोग्राम' को बंद करने के आदेश जारी किए गए थे. साल 2021 में शुरू किए गए इस प्रोग्राम के तहत योग्य लोगों को सरकार के साथ छह महीने की इंटर्नशिप करने का मौका मिलता था. लगभग पचास हजार युवा जुड़े हुए थे, जिन्हें दस हजार रुपये तक मेहनताना मिलता था. इंटर्नशिप पूरी करने पर सर्टिफ़िकेंट दिया जाता था.

भजनलाल सरकार ने पिछले साल, 31 दिसंबर से इसे बंद करने का ऐलान किया. लेकिन राज्य के युवा इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. 4 जनवरी को सिरोही, चूरू, सवाईमाधोपुर जैसे कई इलाकों में युवाओं ने SDM को ज्ञापन सौंपा और इंटर्नशिप को जारी रखने की अपनी मांग बताई. 

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