ईरान और इजरायल का सैन्य संघर्ष हर दिन के साथ और बढ़ता जा रहा है. बीते 6-7 दिनों से दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ ताबड़तोड़ मिसाइल हमले किए हैं जिनमें 250 से 300 लोगों की मौत होने की रिपोर्ट्स हैं. मध्यपूर्व के इस संकट पर दुनिया के सबसे ताकतवर देश भी दो धड़ों में बंटते दिख रहे हैं. अमेरिका इजरायल के साथ है तो रूस जैसे देश ईरान के समर्थन में हैं. वहीं भारत निष्पक्ष रुख अपनाए हुए हैं, क्योंकि कूटनीति और व्यापार दोनों ही मोर्चों पर उसके लिए ईरान और इजरायल जरूरी हैं. इसे 'Strait of Hormuz' के उदाहरण से समझा जा सकता है.
ईरान ने Strait of Hormuz बंद कर दिया तो भारत के लिए बड़ी मुसीबत हो जाएगी
India अपने कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा आयात करता है. इसलिए भारत के लिए Strait of Hormuz बेहद महत्वपूर्ण है. यहां किसी भी संकट से तेल कीमतों में तेजी आ सकती है, जिसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

दरअसल, ईरान और इजरायल के बढ़ते तनाव के बीच एक नाम जो बार-बार सुर्खियों में आ रहा है, वो है 'होर्मुज जलडमरूमध्य' यानी Strait of Hormuz. यह तंग समुद्री जलमार्ग भारत के लिए एक रणनीतिक महत्व रखता है. यहां होने वाले किसी भी संकट का सीधा असर भारत की तेल सप्लाई, व्यापार और बाजार निवेशों पर पड़ सकता है.
भारत के लिए Strait of Hormuz का महत्वहोर्मुज जलडमरूमध्य ईरान से उत्तर और ओमान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से दक्षिण में मौजूद है. यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और फिर अरब सागर से जोड़ता है. इसके संकरे हिस्से की चौड़ाई लगभग 34 किलोमीटर है, लेकिन जलमार्ग के चलने लायक क्षेत्र की चौड़ाई बहुत ही सीमित है, जो इसे बेहद संवेदनशील और जोखिम वाला क्षेत्र बनाता है.

इंडिया टुडे से जुड़ीं शिवानी शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जलमार्ग दुनिया के लगभग 20 फीसदी तेल की सप्लाई का रास्ता है. मतलब करीब 1.7 करोड़ बैरल प्रति दिन तेल और गैस इस जलमार्ग से होकर गुजरता है, जिनमें से ज्यादातर एशियाई बाजारों के लिए होता है.
भारत भी अपने कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा आयात करता है. इसलिए भारत के लिए यह जलमार्ग बेहद महत्वपूर्ण है. यहां किसी भी संकट से तेल कीमतों में तेजी आ सकती है, जिसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
इजरायल-ईरान संघर्ष का असर
इजरायल और ईरान के बीच जारी मिसाइल और ड्रोन हमलों ने इस जलमार्ग को जोखिम में डाल दिया है. ईरान पहले भी इस मार्ग को बंद करने की धमकी दे चुका है. अगर अब वो ऐसा करता है, तो तेल आपूर्ति का बड़ा संकट पैदा हो सकता है. इसके अलावा सैन्य तनाव के कारण कमर्शियल जहाजों के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ सकते हैं, जो शिपिंग में देरी और अनिश्चितता का कारण बनेंगे.
भारत पर असर
भारत के लिए यह संकट केवल तेल की आपूर्ति तक सीमित नहीं है. इजरायल-ईरान युद्ध के बढ़ने से भारत-ईरान के बीच हो रहे व्यापारिक और बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स, जैसे कि चाबहार प्रोजेक्ट भी प्रभावित हो सकते हैं. जाहिर है भारत ने दोनों देशों से संघर्ष को बातचीत के जरिए हल करने की अपील की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में कह चुके हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है और भारत इस संघर्ष में किसी पक्ष का समर्थन नहीं करता.
आर्थिक प्रभाव: तेल, शेयर बाजार और रुपये पर असर
तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत के व्यापार पर गहरा असर पड़ेगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर की वृद्धि से भारत का चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लगभग 0.55 फीसदी तक बढ़ सकता है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति में 0.3 फीसदी बढ़ सकता है.
इसके साथ ही शेयर बाजार और रुपया भी प्रभावित हो सकते हैं. तेल की कीमतों में वृद्धि से एयरलाइंस, पेंट्स और टायर जैसी कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा, जबकि ऊर्जा कंपनियों और तेल रिफाइनर्स को फायदा हो सकता है.
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