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"मीडिया वालों को पिंजरे से निकाल दीजिए", राहुल गांधी ने लोकसभा में ये क्यों कहा?

सोमवार, 29 जुलाई को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ख़बर आई कि संसद परिसर में पत्रकारों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. देश के कई बड़े पत्रकारों-स्कॉलर्स ने इस प्रतिबंध को हटाने की मांग की है.

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सदन में मीडिया वालों को आज़ाद करने के लिए बोले राहुल. (फ़ोटो - PTI)

सोमवार, 29 जुलाई को संसद की कार्यवाही शुरू होने के साथ ख़बर आई कि पार्लियामेंट कवर करने वाले पत्रकारों को एक ‘कमरे में बंद’ कर दिया गया. शीशे की दीवारों का कमरा, जिससे अंदर-बाहर दिखता है, मगर कोई बाहर नहीं जा सकता. इसे लेकर सदन के नेता-प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ‘क़ैद’ मीडिया-कर्मियों के लिए आवाज़ उठाई.

क्यों बंद हुए हैं मीडिया वाले?

पत्रकारों के संघ प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने जानकारी दी है कि संसद परिसर में पत्रकारों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. उन्हें ‘मकर द्वार’ के सामने से हटने के लिए कहा गया. इसी जगह वो सभी नेताओं-सांसदों से बात करते थे. पत्रकारों ने इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन भी किया. प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया समेत देश के कई बड़े पत्रकारों-स्कॉलर्स ने मीडिया पर प्रतिबंध हटाने की मांग की है.

इस ख़बर के बाद एक वीडियो और सोशल मीडिया पर घूमा. इसमें कांग्रेस सांसद और लोकसभा के नेता-प्रतिपक्ष राहुल गांधी अपनी गाड़ी से जा रहे हैं. उनकी नज़र कमरे में बंद पत्रकारों पर पड़ती है. वो बाहर निकलते हैं. कुछ पत्रकार कमरे से निकल कर उनसे कुछ बात करते हैं, फिर वो आगे बढ़ लेते हैं. 

इसके बाद सदन में राहुल गांधी अपनी स्पीच देते हैं. स्पीच के एकदम आख़िरी में राहुल गांधी ‘चक्रव्यूह’ की बात करते हैं. महाभारत में अभिमन्यु की कहानी का संदर्भ देकर कहते हैं कि 21वीं सदी में एक नए क़िस्म का चक्रव्यूह बन गया है. 

"जैसे अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाया गया था, वही हिंदुस्तान के साथ किया गया है. हिंदुस्तान के युवाओं के साथ, किसानों के साथ, हमारी माता-बहनों के साथ, छोटे व्यापारियों के साथ किया जा रहा था.

अभिमन्यु को छह लोगों ने मारा था: द्रोणाचार्य, कर्ण, कृपाचार्य, कृत, अश्वत्थामा और शकुनि. सर, आज भी चक्रव्यूह के बीच में छह लोग हैं: नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मोहन भागवत, अजीत दोवाल, अडानी जी और अंबानी जी. यही लोग चक्रव्यूह को कंट्रोल करते हैं."

राहुल गांधी ने जैसे ही इतना बोला कि हल्ला-हंगामा शुरू हो गया. सभापति ओम बिरला ने सदन को कंट्रोल में लिया. 

इसके बाद राहुल गांधी ने अपनी आख़िरी बात रखने की जिरह की. जैसे ही मौक़ा मिला, बोले - 

“एक और चक्रव्यूह आपने बना दिया है सर. मीडिया वालों को आपने पिंजरे में बंद कर दिया है… उन्हें बाहर निकाल दीजिए प्लीज़.”

इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने राहुल गांधी से कहा कि वो सदन के नियम पूरे पढ़ लें. दुहाई दी कि सदन की व्यवस्था स्पीकर अपने विवेकानुसार करता है, उस पर कोई सदस्य टिप्पणी नहीं कर सकता.

राहुल फिर खड़े हुए. कहा, “सर, बेचारे मीडिया वाले हैं…” 

ओम बिरला ने तुरंत टोका, “बेचारे नहीं हैं वे. बेचारे शब्द का इस्तेमाल न करें, उनके लिए.”

राहुल ने ख़ुद को ‘करेक्ट’ किया. कहा, “अच्छा, तो ये जो नॉट-बेचारे मीडिया वाले हैं, उन्होंने मुझसे कहा है कि आपसे हाथ जोड़कर कहूं कि उनको निकलने दें. वो बहुत परेशान हैं.”

सभापति ओम बिरला ने अपनी बात दुहराई कि सदन की व्यवस्था पर टिप्पणी न की जाए. राहुल गांधी से कहा कि अगर उन्हें कोई दिक़्क़त है, तो वो सदन की कार्यवाही के बाद आकर उनसे उनके दफ़्तर में मिलें.

सदन की कार्यवाही से लौटते हुए भी राहुल पत्रकारों से मिले. इस बार अपनी गाड़ी से उतरे. कमरे तक आए. कुछ पत्रकारों से हाथ मिलाया. फिर बढ़ लिए.

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