तस्वीर साभार- सोशल मीडिया.
आपने सोशल मीडिया पर हो एक वीडियो देखा होगा. जिसमें रवीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रगान 'जन गण मन' गाते दिख रहे हैं. अभी तक वीडियो की सत्यता का खंडन नहीं हुआ है. पहली नजर में ये सच्चा लगता है. टैगोर जिनके बारे में हम सिर्फ स्कूली किताबों में पढ़ते हैं या जिनके किस्से किवदंतियों की तरह सुनते हैं, उन्हें हूबहू देखना और अपना लिखा गान गाते देखना बहुत आनंद देने वाला है.
अमिताभ बच्चन ने भी काफी पहले इसे शेयर करते हुए लिखा था कि राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर खुद गा रहे हैं. अविश्वसनीय है. ये असली फुटेज है. टैगोर दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी लिखी रचनाएं आज दो देशों का राष्ट्रगान हैं. भारत का राष्ट्रगान "जन गण मन" और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान "आमार सोनार बांग्ला". https://twitter.com/SrBachchan/status/824843030167326720?ref_src=twsrc%5Etfw
विडंबना है कि यही बांग्लादेश इन यूनिवर्सल पोएट को मज़हब के नाम पर बेदख़ल कर रहा है. वहां टैगोर व अन्य साहित्यकारों की रचनाओं को स्कूली किताबों से हटाया जा रहा है. सरकार ने स्कूल सिलेबस में बदलाव किया. कक्षा 6 की किताब से टैगोर की कविता 'बांग्लादेशर हृदोय' को हटा दिया गया जिसमें उन्होंने अपनी मातृभूमि की खूबसूरती का जिक्र किया था. इस बारे में कट्टरपंथियों ने कहा कि ये कविता हिंदू देवियों की प्रशंसा करती है इसलिए इसे किताबों से हटा लेना चाहिए और सरकार ने कट्टरपंथियों की मांग मान ली. बांग्लादेश और पश्चिमी बंगाल में तो रवीन्द्रनाथ टैगोर और काजी नजरुल इस्लाम को सर्वमान्य हस्ती और कवि माना जाता है. https://www.youtube.com/watch?v=CxhE2nQ3Mqw रवीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे कवि हैं कि जो इंसानियत के वसूलों की बात करते थे. उन्हें उनकी रचना गीतांजलि के लिए नोबल प्राइज भी दिया गया था. श्रीलंका का राष्ट्रगीत "श्रीलंका मथा" भी टैगोर की कविताओं की प्रेरणा से बना. इसे लिखने वाले आनंद समरकून शांतिनिकेतन में रवींद्रनाथ टैगोर के पास रहे थे और उन्होंने कहा था कि वे टैगोर स्कूल ऑफ पोएट्री से बेहद प्रभावित थे.
ये स्टोरी आदित्य प्रकाश ने की है.
वीडियो देखें: एक कविता रोज: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता