‘नहीं नहीं, मैं मूंगफली नहीं खाती. मुझे इससे एलर्जी है.’ ‘धूल-मिट्टी उड़ रही है, मैं बाहर नहीं जाउंगा. मुझे एलर्जी है.'
किन चीज़ों से होती है सबसे ज़्यादा एलर्जी? इसे ठीक कैसे किया जाए?
हमारे आसपास कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है, जिसे किसी न किसी चीज़ से एलर्जी होती है. जैसे जानवर के बाल, परागकण यानी पोलन, दूध और फफूंदी वगैरह से.
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हमारे आसपास कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है, जिसे किसी न किसी चीज़ से एलर्जी होती है. जैसे जानवर के बाल, परागकण यानी पोलन, दूध और फफूंदी वगैरह. अगर ये चीज़ें आसपास हों, तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. छींकें आने लगती हैं. नाक बहने लगती है. आंखों से पानी निकलने लगता है. स्किन में खुजली होने लगती है. चकत्ते पड़ जाते हैं. कुल मिलाकर, एलर्जी से लोगों का बुरा हाल हो जाता है.
लेकिन ये एलर्जी होती क्यों है. क्यों एक इंसान को इनके संपर्क में आने से कुछ नहीं होता तो दूसरे की तबीयत बिगड़ जाती है. चलिए समझते हैं.
किसी चीज़ से एलर्जी क्यों हो जाती है?
ये हमें बताया डॉक्टर रविंदर सिंह चौहान ने.

हर इंसान का शरीर, एलर्जी पैदा करने वाली चीज़ों के संपर्क में आने से अलग-अलग तरह रिएक्ट करता है. ज़्यादातर लोगों का शरीर नॉर्मल रिएक्ट करता है. जब धूल, मिट्टी या प्रदूषण के कण शरीर के संपर्क में आते हैं. तो शरीर का इम्यून सिस्टम सामान्य तरीके से प्रतिक्रिया देता है.
जिन लोगों का शरीर थोड़ा सेंसेटिव होता है. यानी जो धूल, मिट्टी या किसी भी छोटे कण से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं. उनमें जैसे ही ये कण नाक या गले के रास्ते शरीर के अंदर जाते हैं. तब शरीर को लगता है कि कोई दुश्मन शरीर में आ गया है. ऐसे में शरीर छींककर, नाक बहाकर या गले में खराश करके उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है. अगर ये कभी-कभार होता है, तो चिंता की बात नहीं है. लेकिन अगर दिक्कत लगातार बनी रहती है, तो इलाज करवाना चाहिए.
कैसे पता चलेगा किस चीज़ से एलर्जी है?
एलर्जी पता करने के लिए कुछ आसान-से टेस्ट किए जाते हैं. ये टेस्ट बहुत महंगे नहीं हैं. इन टेस्ट से पता चल जाता है कि किस-किस चीज़ से एलर्जी है. फिर कुछ थेरेपी लेकर या एलर्जी पैदा करने वाली चीज़ों से दूर रहकर राहत पा सकते हैं.
इस मौसम में होने वाली आम एलर्जी
- इस मौसम में सबसे आम एलर्जी धूल और मिट्टी के कणों से होती है
- दूसरा कारण पेड़-पौधों के परागकण (पॉलिन) हैं
- प्रदूषण के कणों से भी एलर्जी हो सकती है

एलर्जी से बचाव और इलाज
एलर्जी से बचने के कुछ तरीके हैं. जब भी घर में धूल-मिट्टी का काम हो, तो मास्क पहनें. झाड़ू की जगह वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें. पौधों की नियमित सफाई कर के उन पर जमी धूल हटाते रहें. पुराने और कम इस्तेमाल होने वाले सामान को घर से बाहर कर दें. अगर बाहर नहीं कर सकते, तो ऐसे सामान को ढककर रखें.
एलर्जी का इलाज ज़्यादातर मरीज़ों में बहुत आसान होता है. अगर दिक्कत ज़्यादा नहीं है, तो कुछ टैबलेट और नेज़ल स्प्रे (नाक के स्प्रे) से एलर्जी काफी हद तक ठीक की जा सकती है. जिन मरीज़ों को एलर्जी ज़्यादा होती है, उन्हें थोड़ी स्ट्रॉन्ग दवाएं, कुछ खास नेज़ल स्प्रे या नेज़ल वॉश दिए जाते हैं.
अगर इनसे भी आराम न मिले, तो इम्यूनोथेरेपी नाम का स्पेशल इलाज किया जाता है. इसमें पहले टेस्ट करके पता किया जाता है कि किस चीज़ से एलर्जी है. फिर उसी चीज़ की खास वैक्सीन लैब में बनवाई जाती है. मरीज़ को ये वैक्सीन हफ्ते में एक बार दी जाती है. करीब 1 से डेढ़ साल में ज़्यादातर मरीज़ों की एलर्जी बिना किसी दवाई के कम की जा सकती है
एलर्जी की जांच में पता लगाया जाता है कि आपको किन चीज़ों से एलर्जी है. जैसे मोल्ड यानी फफूंदी से. पालतू जानवरों के बाल से. मधुमक्खी के डंक या मूंगफली वगैरह से. इसके लिए स्किन प्रिक टेस्ट, ब्लड टेस्ट और ओरल फूड चैलेंज किए जाते हैं. ओरल फूड चैलेंज में ऐसी चीज़ों को थोड़ा-सा खिलाकर देखा जाता है, जिनसे एलर्जी का शक होता है. जैसे मूंगफली, दूध या अंडा वगैरह. इनसे पता चल जाता है कि व्यक्ति को किस चीज़ से एलर्जी है. ये एक्सपर्ट्स की निगरानी में होता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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